पंचांग के हिसाब से मार्गशीर्ष माह का आरंभ 16 नवंबर से हो चुका है। शास्त्रों में मार्गशीर्ष माह को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का नाम भी मार्गशीर्ष है। इस माह को अगहन महीना भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति अगहन माह में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना विधिवत रूप से पूरी श्रद्धा के साथ करता है। उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और अमोघ फलों की भी प्राप्ति होती है।
स्कंदपुराण के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि कामना करने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह महीना सबसे शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इतना ही नहीं, इस माह में धार्मिक नियमों का पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है। इस माह में किए गए व्रत और पूजा-पाठ से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है। अब ऐसे में सवाल है, कि मार्गषीर्ष माह को ही क्यों भगवान श्रीकृष्ण का महीना कहा जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
मार्गशीर्ष माह को भगवान श्रीकृष्ण का महीना क्यों कहा जाता है?
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह को भगवान श्रीकृष्ण का महीना कहा जाता है। क्योंकि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के दसवें अध्याना में कहा है कि ''मासानां मार्गशीर्षोअहम'' जिसका मतलब है कि साल के सभी महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा कहा गया है कि मार्गशीर्ष माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों में मृगशिरा नक्षत्र को महत्वपूर्ण माना गया है। पुराण के अनुसार, कहते हैं कि मार्गशीर्ष माह का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को बताया था। उन्होंने कहा कि मार्गशीर्ष माह में जो जातक यमुना स्नान करेगा और तुलसी की पूजा करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। साथ ही सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। इस बात का ध्यान विशेष रूप से रखें कि स्नान के दौरान ऊं नमों नारायणाय मंत्र का जाप अवश्य करें।
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मार्गशीर्ष माह का धार्मिक महत्व क्या है?
मार्गशीर्ष माह में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का भी विशेष महत्व है। इस दौरान सभी शुभ कार्य जैसे कि मुंडन संस्कार, विवाह और अन्नप्राशन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह में विधिवत रूप से तुलसी की पूजा के साथ-साथ सूर्यदेव की उपासना भी करनी चाहिए। इससे व्यक्ति को सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है और उत्तम परिणाम भी मिलते हैं। साथ ही अक्षय फलों की भी प्राप्ति होती है।
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Image Credit- HerZindagi
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