किसी भी मंत्र जाप का अपना अलग महत्व होता है। ये मानसिक शांति प्रदान करने के साथ शारीरिक शक्ति भी प्रदान करते हैं। मंत्रों का जाप श्रद्धा पूर्वक करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।
ऐसे में सावन के महीने में भी कुछ मन्त्रों का नियमित जाप आपको समस्याओं से बाहर निकलने में मदद कर सकता है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस महीने लोग शिव जी की भक्ति में डूबे रहते हैं। ऐसे में यदि आप शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनके विशेष महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो आपके रोग-दोष तो दूर हो ही सकते हैं और पापों से मुक्ति भी मिलती है।
किसी भी भक्त के लिए यह मंत्र विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें सावन में इस मंत्र का जाप करने के मिलने वाले विशेष लाभों के बारे में।
सावन के महीने में महामृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और ऐसा माना जाता है कि इसमें मृत्यु के भय सहित शारीरिक और मानसिक कष्टों पर काबू पाने की अपार शक्ति प्रदान करता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त होती है, जो मृत्यु के विजेता और दिव्य चेतना के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं।
यदि आप सावन में इस मंत्र का जाप करते हैं तो ये जीवन से सभी बाधाओं, भय और नकारात्मक प्रभावों को दूर कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है और आंतरिक शांति, सकारात्मकता और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। सावन में इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करने की सलाह दी जाती है।
सावन शारीरिक और मानसिक कायाकल्प से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप शारीरिक और भावनात्मक दोनों स्तरों पर लाभदायक है यह आपके जीवन में समग्र कल्याण को बढ़ाता है और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
महामृत्युंजय मंत्र को मुक्ति का मंत्र माना जाता है। इस मंत्र का भक्ति और ईमानदारी से जाप करने से जन्म और मृत्यु के चक्र को पार करने में मदद मिलती है, जिससे आध्यात्मिक मुक्ति और परम आनंद मिलता है।
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सावन का महीना भक्तों के लिए भगवान शिव के साथ अपने संबंध को गहरा करने और आध्यात्मिक प्रथाओं को अपनाने का समय है। इस पवित्र महीने के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भक्ति का कार्य माना जाता है, जो व्यक्तियों को दिव्य चेतना के साथ गहरा संबंध स्थापित करने और आंतरिक परिवर्तन का अनुभव करने की अनुमति देता है।
सावन का महीना मानसून के आगमन से जुड़ा होता है, जो प्रकृति की कायाकल्प का प्रतीक है। इसी तरह, माना जाता है कि इस महीने के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप व्यक्ति के आंतरिक अस्तित्व को शुद्ध और पुनर्जीवित करता है, जिससे आध्यात्मिक जागृति और विकास होता है।
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ। इस मंत्र का शाब्दिक अर्थ है- त्र्यम्बकं शब्द का अर्थ होता है 'तीन नेत्रों वाले' 'यजामहे" शब्द का अर्थ है 'हम यज्ञ करते हैं' यह शब्द हमारे निष्ठा और समर्पण को दर्शाता है, जिसके माध्यम से हम भगवान की आराधना करते हैं। ''सुगन्धिं' शब्द का अर्थ होता है 'सुगंधित'।
यह शब्द भगवान की सुंदरता, महिमा और दिव्य सुगंध को बताता है। 'पुष्टिवर्धनम्' शब्द का अर्थ होता है 'वृद्धि करने वाला'। इससे भगवान की कृपा, आशीर्वाद, संपदा और स्वास्थ्य की वृद्धि का संकेत दिया जाता है।
यह मंत्र भगवान शिव की कृपा, स्वास्थ्य, और अमरत्व की प्राप्ति के लिए जाप किया जाता है। इसका जाप शारीरिक और मानसिक बीमारियों से रक्षा करने, मृत्यु से मुक्ति प्राप्त करने, सुख और शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
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महामृत्युंजय मंत्र का जाप श्रद्धा, एकाग्रता और शुद्ध हृदय से करना महत्वपूर्ण माना जाता है। मुख्य रूप से सावन में इस मंत्र का जाप फलदायी हो सकता है।
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