आगरा, भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहाँ देश-विदेश से पर्यटक साल भर आते हैं, जिनमें से कुछ ताजमहल की खूबसूरती देखने आते हैं, तो कुछ यहाँ के प्राचीन मंदिरों के दर्शन करने। आगरा में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास हज़ारों साल पुराना है। इनमें से कुछ मंदिर तो इतने पुराने हैं कि उनका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। महाशिवरात्रि का त्योहार आने वाला है, जो भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस अवसर पर हम आपको आगरा के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो सदियों से भी ज़्यादा पुराना है और जिसका संबंध भगवान परशुराम से है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। हम बात कर रहे हैं आगरा में स्थित प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर की। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसका इतिहास भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जुड़वा शिवलिंग की पूजा के महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आगरा के कैलाश शिव मंदिर में स्थापित है जुड़वा शिवलिंग
आगरा में स्थित यह मंदिर यमुना नदी के किनारे है, जो अपनी रमणीय सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ एक साथ दो शिवलिंगों के दर्शन होते हैं। इस मंदिर का नाम प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर है और यह आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के कैलाश गाँव में स्थित है। यह जगह आगरा शहर से कुछ ही दूरी पर है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर में दो शिवलिंगों का होना एक अनोखी और महत्वपूर्ण घटना है। इस मंदिर की मान्यता बहुत ज्यादा है और यहां बड़ी संख्या में शिवभक्त आते हैं। यह मंदिर न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दूर-दूर से भी लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहाँ आने वाले भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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शिव कैलाश मंदिर से जुड़ी कथा
आगरा का कैलाश महादेव मंदिर एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जिसका इतिहास पांच हजार साल से भी अधिक पुराना माना जाता है। इस मंदिर की प्रमुख विशेषता यहां स्थापित दो शिवलिंग हैं, जो इसकी महिमा को और भी बढ़ाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कैलाश मंदिर के शिवलिंगों को भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि ने स्थापित किया था। कहा जाता है कि भगवान परशुराम और उनके पिता, ऋषि जमदग्नि, कैलाश पर्वत पर घोर तपस्या करने गए थे।
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उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा। तब भगवान परशुराम और उनके पिता ने भगवान शिव से उनके साथ रहने की इच्छा व्यक्त की। उनकी भक्ति और इच्छा को देखते हुए, भगवान शिव ने उन्हें दो शिवलिंग भेंट किए, जो आज भी कैलाश मंदिर में पूजे जाते हैं। इस प्रकार, आगरा का कैलाश महादेव मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भगवान परशुराम और उनके पिता की तपस्या और भगवान शिव की कृपा का प्रतीक भी है।
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Image Credit- HerZindagi
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