महिलाएं अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर बहुत ज्यादा फिक्रमंद रहती हैं। वे चाहती हैं कि उनके बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले। लेकिन मिडिल क्लास फैमिली के लिए बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया करना एक बड़ी चुनौती होता है, क्योंकि अच्छे स्कूलों की फीस भी काफी ज्यादा होती है। कई बार किसी फाइनेंशियल प्रॉब्लम या इमरजेंसी सिजुएशन्स की वजह से भी बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस भरने में मुश्किल आ जाती है। अगर आप भी इसी मुश्किल से जूझ रही हैं तो आपके लिए राहत की खबर है। आजकल कुछ बैंकों सहित कई ऐसी संस्थाएं हैं जो आपके बच्चे की अच्छी पढ़ाई का खर्च उठाने के तात्कालिक तौर पर खर्च उठाने को तैयार हैं।
ब्याज दर भी ज्यादा ऊंची नहीं
वित्तीय संस्थाओं के लिए यह बाजार अभी छोटा है, लेकिन इसमें जोखिम कम होने की वजह से वे इसे लेकर काफी एक्साइटेड हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें जोखिम 1 फीसदी से भी कम का है। इस सेगमेंटम में फाइनेंसिंग सिक्योर्ड नहीं है और ब्याज दरें 11-15 फीसदी के बीच हैं, जो कि पेरेंट्स के क्रेडिट स्कोर पर आधारित होती हैं। जहां पेरेंट्स की सैलरी महीना पूरा होने पर मिलती है, स्कूलों में 6 महीने से लेकर सालभर की रकम एक साथ जमा करवा ली जाती है। ऐसी स्थितियों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए बैंक से लोन लिया जा सकता है और फिर पैसों की व्यवस्था हो जाने पर यह रकम चुकाई जा सकती है। स्कूलों की फीस भरने के लिए पहले पर्सनल लोन लिए जाते थे, लेकिन अब फर्क ये है कि रकम सीधे स्कूल के बैंक खाते में जमा कराई जा सकती है। कंपनियां स्कूलों के साथ मिलकर बैंकों के लिए यह विकल्प उपलब्ध करा रही हैं।
कई बैंक मुहैया करा रहे हैं लोन
कई बैंक जैसे कि इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, जे एंड के बैंक, तमिलनाडु बैंक, मर्चेंटाइल बैंक स्कूलों की फीस भरने के लिए लोन उपलब्ध कराते हैं। हमारे देश में शिक्षा पर आने वाले खर्च में पिछले कुछ सालों में भारी इजाफा हुआ है। एनएसएसओ (National Sample Survey Office) के आंकड़ों के अनुसार प्राइमरी शिक्षा के खर्च में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है, जो कि 3 फीसदी से भी ज्यादा है।
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