भारतीय पौराणिक कथाओं में मां को शक्ति, प्रेम, बलिदान और मातृत्व का प्रतीक बताया जाता है। मां का अस्तित्व हमेशा से ही सबसे अलग रहा है। चाहे हम पौराणिक कथाओं की बात करें या फिर आधुनिक जीवन की, मां की छवि निराली ही रही है।
मां वो है जो अपने बच्चों की भलाई के लिए किसी भी तरह की बाधा को पार कर जाती है। उनका व्यक्तित्व मजबूत है और वे बच्चों के लिए कई भूमिकाएं निभाती है। कभी एक अध्यापिका तो कभी एक संरक्षक के रूप में मां बच्चों को अपनी छत्र चाय में रखती है। मां के द्वारा निभाई गई विभिन्न भूमिकाओं को हमारी पौराणिक कथाओं में भी अच्छी तरह से समझाया गया है।
मातृत्व की अवधारणा उन सभी पहलुओं और विशेषताओं को शामिल करती है जो मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। वास्तव में अगर यह मां न होती तो शायद यह दुनिया ही कुछ अलग होती।
इस बार मदर्स डे पर न सिर्फ आधुनिक मांओं की भूमिका को समझना बल्कि पौराणिक कथाओं की महान मांओं की शक्ति को पहचाना भी जरूरी है। आइए आपको बताते हैं पौराणिक कथाओं की कुछ ऐसी मांओं के बारे में जो हम सभी के लिए आदर्श हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शक्ति सभी देवी-देवताओं की माता हैं। वह पृथ्वी को बुरी शक्तियों से बचाती हैं। सभी पौराणिक माताओं में से, उन्हें सबसे दिव्य मातृ चरित्र के रूप में जाना जाता है। वह जानती है कि अपने भक्तों का ख्याल कैसे बच्चों की तरह से रखना चाहिए। माता शक्ति अहंकार और अज्ञान का नाश करने वाली है।
माता पार्वती सुंदरता, रचनात्मकता, प्रेम और भक्ति का उदाहरण हैं। उन्हें अपने पुत्र भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय से अत्यधिक प्रेम था। भगवान गणेश को जन्म भले ही माता पार्वती से न दिया हो, लेकिन उन्होंने अपने हाथों, ऊर्जा और रचनात्मकता का उपयोग करके मिट्टी का उपयोग करके उनका निर्माण किया था।
यही नहीं जब उनके पुत्र की रक्षा की बात आई तब वो अपने पति से भी लड़ गईं। इससे यह भी पता चलता है कि अगर एक मां अपने बच्चे के लिए अगर कुछ करने की ठान लेती है, तो वह उसे करके ही रहती है।
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हम सभी कृष्ण और उनकी मां यशोदा के बीच के खूबसूरत रिश्ते को जानते और मानते हैं। माता यशोदा ने कृष्ण को जन्म नहीं दिया था, लेकिन उनका प्रेम और मातृत्व हम सभी के लिए उदाहरण है।
माता यशोदा को भगवान कृष्ण के प्रति उनके अद्वितीय प्रेम और आराधना के लिए जाना जाता है और उनका सम्मान किया जाता है। आज भी जब एक मां के प्रेम की बात आती है तो मां यशोदा को ही याद किया जाता है। आप भी उनसे मर्म और मातृत्व का पाठ सीख सकती हैं।
महाभारत में माता कुंती को एक शक्तिशाली और प्रतिष्ठित योद्धाओं की माता के रूप में जाना जाता है। वो पांच पुत्रों की मां थीं, लेकिन कभी भी उन्होंने अपने पुत्रों में भेदभाव नहीं किया। माता कुंती ने हमेशा ही सभी पुत्रों को बराबर महत्व दिया।
यही नहीं वो किसी एक पुत्र की तुलना कभी दूसरे से नहीं करती थीं। वह हमेशा अपने पुत्रों को यही हमेशा सिखाती थीं कि उनके पास जो भी चीजें हों, उन्हें एक-दूसरे से साझा करें। उन्होंने अपने बच्चों का पालन-पोषण इस तरह किया कि जीवन चाहे कैसी भी परिस्थिति में आए, उन्हें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
माता कौशल्या को प्रभु श्री राम के रूप में जाना जाता है और उन्हें उस समय की सबसे परोपकारी महिला माना जाता है। भगवान राम की मां होने के नाते, उन्होंने हमेशा श्री राम को अच्छे मूल्य और नैतिकता सिखाई।
वह एक परोपकारी स्त्री थीं, इसलिए वो अपने बेटे को लोक कल्याण के लिए 14 वर्ष के वनवास में भेजने को तैयार हो गईं। यही नहीं उन्होंने राम को 14 साल के लिए वनवास में भेजने के लिए कैकेयी को भी माफ कर दिया था। आज भी जब परोपकार की बात आती है तो माता कौशल्या का जिक्र होता है। आपको भी माता कौशल्या से परोपकार का पाठ सीखना चाहिए।
ऋग्वेद के अनुसार अदिति देवमाता, सभी देवताओं की माता हैं। वह सर्वशक्तिमान इंद्र की माता मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड के निर्माण से पहले ही, उसके गर्भ में सभी स्वर्गीय पिंड थे।
ऐसा माना जाता है कि वह उन लोगों की रक्षा करती हैं जो उनकी पूजा करते हैं। वह उनकी अभिभावक के रूप में पूजी जाती थीं। वह हमेशा अपने बच्चों की जरूरतों, मांगों और इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करती है।
चाहे पौराणिक रूप से हो या आम जीवन में माओं का हमेशा से अलग ही स्थान रहा है। आप भी इन पौराणिक कथाओं की मांओं से जीवन के लिए कई पाठ सीख सकती हैं।
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