Mother's Day 2024: जब पुत्र की रक्षा के लिए अपने ही पति से लड़ गई थी ये मां, जानें एक रोचक कहानी

मदर्स डे हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। यह दिन सभी माताओं को समर्पित है। वहीं इस साल 12 मई को मदर्स डे मनाया जाएगा। आइए इस लेख में मातृ दिवस से संबंधित पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं। 

mothers day  when mata parvati fight against lord shiva for her Son Vinayak ()

(Mother's Day 2024) हर साल मई के दूसरे रविवार के दिन मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल 12 मई को मदर्स डे मनाया जाएगा। यह दिन बेहद खास माना जाता है। यह एक ऐसा अवसर है जब हम उन अद्भुत महिलाओं को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने हमें जन्म दिया,पाला-पोसा और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। माँ प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। वह जीवनदायिनी है, जो हमें अपने गर्भ में 9 महीने पालती है और असहनीय पीड़ा सहकर हमें इस दुनिया में लाती है। वह हमारी पहली शिक्षिका होती है, जो हमें जीवन के मूल्यों और संस्कारों की शिक्षा देती है। वह हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती है, जिसके साथ हम अपने सुख-दुख साझा करते हैं। वह हमारी रक्षक होती है, जो हर मुश्किल में हमारा साथ देती है और हमें हर परिस्थिति से लड़ने का हौसला देती है। माँ का प्यार अनंत और अटूट होता है।

माँ हमसे कुछ भी अपेक्षा नहीं करती,बस बदले में हमारा प्यार और सम्मान चाहती है। माँ का प्यार ही हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और हर मुश्किल का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। वहीं पौराणिक कथाओं में भी मां को देवी, शक्ति और सृष्टि की आधारशिला माना जाता है। वहीं ऐसी ही एक कहानी सुनने को मिलती है कि मां ने अपने ही पुत्र की रक्षा के लिए पति से लड़ गई थी। ये कथा बेहद रोचक है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार जानते हैं।

माँ पार्वती और विनायक की कथा

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एक बार, माँ पार्वती स्नान कर रही थीं और उन्होंने अपने पसीने से एक बालक को बनाया। उन्होंने उस बालक को द्वारपाल नियुक्त किया और उसे आदेश दिया कि वह किसी को भी उनके अंदर न आने दे। जब भगवान शिव घर लौटे, तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने बालक का सिर काट दिया। माँ पार्वती यह देखकर विलाप करने लगीं और भगवान शिव से अपने पुत्र को जीवित करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने उन्हें वचन दिया कि वे किसी भी पहले जीव का सिर लेकर आते हैं और उसे बालक के धड़ पर रख देंगे। वहीं जब शिव जी जंगल गए, तो भगवान शिव को एक हाथी का मृत शरीर मिला। उन्होंने उसका सिर काटकर उसे बालक के धड़ पर रख दिया। इस प्रकार गणेश जी का जन्म हुआ। जिनका सिर हाथी का और शरीर मनुष्य का है।

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मां का प्रेम है अटूट

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माँ पार्वती का अपने पुत्र के प्रति प्रेम अटूट था। उन्होंने भगवान शिव से विनती करके उन्हें पुनर्जीवित करवाया। बता दें, उस समय भगवान शिव बेहद क्रोधित थे, लेकिन भगवान शिव ने अपने क्रोध पर नियंत्रण रखा और माँ पार्वती की प्रार्थना स्वीकार कर ली। वहीं गणेश जी अपनी माँ और भगवान शिव के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं। वे ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता माने जाते हैं।

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