Lakshmi Jayanti 2021: जानें कब मनाई जाएगी लक्ष्मी जयंती, क्या है इसका महत्त्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी के अवतरण दिवस को लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाया जाता है। जानें इस साल कब मनाया जाएगा यह त्यौहार और इसका महत्त्व। 

 

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हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी की विशेष महिमा बताई गयी है। धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी घर को धन धान्य से पूर्ण तो करती ही हैं साथ ही सभी कष्टों का निवारण भी करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को माता लक्ष्मी की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंधन के दौरान इसी तिथि को माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं और उनके अवतरण की तिथि को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित एस्ट्रोलॉजी और वास्तु विशेषज्ञ, प्रशांत मिश्रा जी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी लक्ष्मी जयंती,कैसे करें माता लक्ष्मी का पूजन और क्या है इसका महत्त्व।

लक्ष्मी जयंती की तिथि

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फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली माता लक्ष्मी की जयंती का विशेष महत्त्व है। इस साल यानी वर्ष 2021 में फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा तिथि 28 मार्च यानी रविवार के दिन पड़ रही है। इसलिए इसी दिन लक्ष्मी जी का पूजन फलदायी होगा।

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शुभ मुहूर्त

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  • प्रातः 10:49 से प्रारम्भ होकर 12:22 तक अम्रत बेला रहेगी, जो कि अत्यन्त शुभ है।
  • इसके अतिरिक्त 11:57 से प्रारम्भ होकर 12:46 तक अभिजित नक्षत्र रहेगा, जो बहुत ही लाभकारी है।
  • अतः पूजन ऐसे समय प्रारम्भ करें, कि दोनों मुहूर्त का लाभ उठा सकें, अर्थात् लगभग 11 बजे से प्रारम्भ कर 12:15 बजे तक पूजन विश्राम करें।
  • लक्ष्मी जयंती 2021 तिथि: - 28 मार्च 2021, रविवार
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: - 28 मार्च 2021 प्रातः 03:27 से आरम्भ
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: - 29 मार्च 2021 सुबह 12:17 तक
  • उदया तिथि में पूर्णिमा 28 मार्च 2021, रविवार के दिन पड़ रही है इसलिए इसी दिन को माता लक्ष्मी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

कैसे करें पूजन

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  • पंडित श्री प्रशांत मिश्रा जी के अनुसारपूर्णिमा तिथि के दिन प्रातः जल्दी उठाकर और स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें। पूजा के स्थान को साफ़ करें।
  • तीन बार आचमन करें(ऊँ केशवाय नमः, ऊँ माधवाय नमः, ऊँ नारायणाय नमः इन तीन मंत्रों से आचमन करें, फिर ऊँ हृशीकेशाय नमः इस मंत्र से हाथ धोएँ, थोड़ा जल अपने सिर पर प्रोक्षण करें।
  • पृथ्वी पर थोड़ा जल छोड़कर, थोड़ा जल अपने आसान पर प्रोक्षण करें, और यह भाव रखें, कि पृथ्वी माता आपका आसान पवित्र करें।चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। माता लक्ष्मी की मूर्ति पूजा स्थान या चौकी पर स्थापित करें। घी का दीपक जलाएं।
  • सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करें, ध्यान करते समय हाथ में अक्षत, पुष्प लेकर- वक्रतुण्ड महाकाय, कोटि सूर्य सम प्रभः, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा, यह श्लोक बोलें।
  • इसके पश्चात हाथ में अक्षत, पु्प लेकर तीन बार श्री विष्णुः बोलकर संकल्प करें- हे माँ लक्ष्मी, मैं अमुक नाम, अमुक गोत्र(अमुक के स्थान पर अपना नाम व गोत्र बोलें, यदि गोत्र न पता हो, तो कश्यप गोत्र का उच्चारण करें), अपने ज्ञान व श्रद्धा के अनुसार आपका आवाह्न व पूजन करता/करती हूँ। आपसे प्रार्थना करता/करती हूँ कि मेरी पूजा स्वीकार कर मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें
  • इसके पश्चात हाथ में अक्षत, पुष्प लेकर लक्ष्मी जी का ध्यान करते हुए-सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम्‌ ।ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।।यह मंत्र बोलें, और प्रार्थना करें, कि हे माता आप यहाँ आकर विराजमान हों।
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  • माता को चार बार जल अर्पित करें। लाल वस्त्र(चुनरी)चढ़ाएं, रोली, चंदन, अक्षत अर्पित करें। लाल पुष्प, अर्पित करें, यदि कमल पुष्प हो तो अति उत्तम है, यदि कमल पुष्प उपलब्ध न हो पाए, तो कोई भी लाल पुष्प अर्पित कर सकते हैं।
  • थोड़ा सिंदूर, इत्र अर्पित कर धूप, दीप दिखाएं। फिर हाथ धोकर माता को नैवेद्य(भोग) के साथ थोड़े मखाने,अनार, शरीफा(सीताफल), या सेब व एक मीठा पान(बिना चूना, कत्था के) निवेदित करें।
  • चार बार जल छोड़कर माता को आचमन कराएं। कुछ दक्षिणा चढ़ाएँ, जो बाद में किसी मंदिर में या किसी कन्या को दान कर दें।
  • इसके पश्चात हाथ में पुष्प लेकर प्रार्थना करें, प्रार्थना करते समय- ऊँ महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णु पत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात, ये मंत्र बोलें ।
  • विशेष- माता को जब भी कुछ अर्पित करें, तो ऊँ महालक्ष्म्यै नमः का उच्चारण करते रहें।
  • इसके पश्चात यदि समय हो तो- श्री सूक्त व कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें, अथवा- ऊँ श्रीं, ह्रीं, श्रीं कमले कमलालये प्रसीद- प्रसीद श्रीं, ह्रीं, श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।। इस मंत्र का जाप करें। जप के पश्चात हाथ में थोड़ा जल लेकर- महालक्ष्मीमर्पणमस्तु बोलकर जल माता के सामने छोडें।
  • इसके पश्चात माता से क्षमायाचना करें, कि हे माता, मैंने जो आपकी पूजा की, इसमें यदि कोई त्रुटि हो तो अपना बालक जानकर क्षमा करें, मुझपर व मेरे परिवार पर अपनी दया बनाए रखें। पूजन करके लक्ष्मी माता की आरती करें।
  • आसन से उठने से पहले थोड़ा जल आसान के नीचे डालते हुए- स्वस्ति शक्राय नमः बोलें, व उस जल को पृथ्वी से लेकर मस्तक पर लगाएं और आसन को तुरंत उठाकर रखें, बिछा न रहने दें, भोग सभी परिवार जनों को वितरित कर दें।

लक्ष्मी जयंती का महत्व

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इस दिन माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन का विशेष महत्त्व है। कहा जाता है इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन पूरे श्रद्धा भाव से करने पर घर धन धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। इस दिन जो भक्त मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है उस पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसाती हैं। जो भक्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है उसे इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए। मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक संकट दूर हो जाती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

माता लक्ष्मी का इस विशेष दिन पूरे श्रद्धा भाव से पूजन करने से माता की कृपा सदैव बनी रहती है। इसलिए लक्ष्मी जयंती के दिन मुख्य रूप से माता का पूजन करें।

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Image Credit: freepik

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