कोलकाता रेप मर्डर केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा? 10 प्वाइंट में जानें

कोलकाता रेप मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है। चलिए आपको बताते हैं कि सीजेआई ने आज सुनवाई करते हुए क्या-क्या बड़ी बातें कहीं

  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2024-08-21, 12:57 IST
Kolkata crime Supreme Court hearing

कोलकाता में 31 साल की लेडी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इसजघन्य अपराध को लेकर लोगों में आक्रोश है। सड़क से लेकर संसद तक लोग इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में इस मामले पर आज सुनवाई हुई। आइए 10 प्वाइंट में जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने अबतक सुनवाई में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ममता सरकार को खूब सुनाया। राज्य सरकार का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल के सामने सवालों की बौछार कर दी। कोर्ट ने कड़े शब्दों में पूछा की बॉडी 8:00 बजे रात को पेरेंट्स को क्यों सोपी गई और फिर 11:45 पर क्यों दर्ज हुआ? अस्पताल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की हत्या को सुसाइड बताने के मामले का भी जिक्र किया।चीफ जस्टिस ने कहा कि अपराध का पता चलने के बाद प्रिंसिपल ने उसे आत्महत्या क्यों बताया?

सुनवाई के दौरान सीजीआई ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया। कोर्ट ने कहा कि हम एक और रेप का इंतजार नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ कोलकाता में हत्या का मामला नहीं है यह मुद्दा देश भर में डॉक्टरों की सुरक्षा का है। इसमें 9 डॉक्टर और 5 ऑफिसर को शामिल किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स की डेडलाइन दी है। टास्क फोर्स को तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट देनी होगी। उसके बाद 2 महीने में फाइनल रिपोर्ट देनी होगी। अस्पताल में तोड़फोड़ के बारे में स्टेटस रिपोर्ट ममता सरकार को भी पेश करनी होगी।

सीबीआई को भी मामले की जांज कर गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

सीजीआई ने पीड़िता का नाम उजागर होने पर भी सवाल किया। सीजीआई ने कहा यह भयानक है। क्या हम इस तरह से सम्मान देते हैं? हर जगह पीड़िता की पहचान उजागर हुई है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था।

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सीजीआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम बहुत चिंतित हैं कि अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर, महिला डॉक्टर, रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों को सुरक्षा नहीं मिल रही है। पुरुष और महिला डॉक्टर के लिए अलग से कोई रेस्ट रूम और ड्यूटी रूम नहीं है। आखिरकार संविधान के तहत सामानता किस बात की है? अगर महिलाएं अपने वर्कप्लेस पर ही सुरक्षित नहीं रह सकती।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर से हड़ताल वापस लेने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर हम पर ट्रस्ट करें। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों पर राज्य पुलिस नरमी से काम ले।

कोर्ट ने पुलिस को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि उपद्रवियों को अस्पताल में क्यों घुसने दिया गया? पुलिस ने क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नहीं किया? पुलिस कासबसे पहले काम अपराध स्थल की सुरक्षा करना होता है

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Image Credit- Social Media


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