देश में नए संसद भवन का काम जोरों पर है। ऐसे में 11 जुलाई 2022 को नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का अनावरण किया गया। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस स्तंभ का अनावरण कार्य पूरा हुआ। उनके साथ केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला शामिल थे।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको संसद की छत पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ की कहानी के बारे में बताएंगे। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं अशोक स्तंभ कब और कहां से लिया गया है।
संसद में लगे स्तंभ की खासियत
संसद भवन की छत पर बना नया अशोक स्तंभ देखने में बेहद भव्य है। इसकी ऊंचाई 9 हजार 500 किलोग्राम है। बता दें कि इस स्तंभ को संसद भवन के केंद्रीय फॉयर के सबसे ऊपर लगाया गया है। यह अशोक चिन्ह 6.5 मीटर ऊंचा है, जो देखने में बेहद भव्य नजर आता है। इसे सपोर्ट देने के लिए 6,000 किलोग्राम का सपोर्टिंग स्ट्रक्चर तैयार किया गया है।
चिन्ह की तैयारी में लगी है इतनी लागत
नए संसद भवन पर लगे इस प्रतीक को तैयार करने में लंबे वक्त की मेहनत लगी है। बता दें कि चिन्ह की प्रक्रिया, मॉडलिंग और कंप्यूटर ग्राफिक्स से लेकर कांस्य कास्टिंग को 8 अलग-अलग चरणों में पूरा किया गया है। इतना ही नहीं संसद भवन को बनाने में 200 करोड़ की लागत लग चुकी है, भविष्य में इसपर और भी खर्च होने की उम्मीद की जा रही है।
कौन थे सम्राट अशोक?
अगर आपने इतिहास पढ़ा है तो आपने महान अशोक के बारे जरूर सुना होगा। चक्रवर्ती सम्राट अशोक का नाम विश्व के प्रसिद्ध योद्धाओं में शुमार है। हालांकि, योद्धा होने के साथ-साथ सम्राट अशोक कला प्रेमी भी थे। 3 वर्षों के बीच उन्होंने 84,000 स्तूपों का निर्माण करवाया था। जिनमें अशोक स्तंभ सहित समेत देश के कई ऐतिहासिक स्तंभ शामिल हैं।
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अशोक स्तंभ का इतिहास:
कलिंग युद्ध सम्राट अशोक के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लेकर आया। इस युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और उसके प्रचार प्रसार में जुट गए। इस दौरान उन्होंने कई स्तंभों का निर्माण कराया। इतना ही नहीं सम्राट ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने बच्चों को श्रीलंका भेजा था।
कहां पर स्थित है अशोक स्तंभ?
राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में जाना जाने वाला स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ से लिया गया है। बता दें कि इस स्तंभ के अवशेष आज भी आपको सारनाथ में मिल जाएंगे।
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अशोक स्तंभ से जुड़ी रोचक बातें
अशोक स्तंभ में आपने चक्र नजर आता है। जो आपको तिरंगे में भी देखने को मिलता है। इस तिरंगे में 24 तीलियां होती हैं। यह बौद्ध धम्म चक्र परिवर्तन का चित्रण है, इस चक्र की 24 तीलियां इंसान के 24 गुणों को दर्शाती हैं।
स्तंभ में नजर आने वाले शेर का महत्व
स्तंभ में नजर आने वाले लॉयन कैपिटल की बात करें तो इसे कमल के फूल की आकृति के ऊपर बनाया गया है। इस स्तंभ को लायन कैपिटल कहा जाता है। इस स्तंभ में चार शेर होते हैं, लेकिन सामने से देखने पर हमेशा 3 शेर नजर आते हैं। ये 4 शेर शक्ति, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक होते हैं।
स्तंभ में नजर आते हैं ये पशु
राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ में आपको घोड़ा और बैल की आकृति भी नजर आती है। जहां घोड़ा और बैल के बीच एक पहिया की आकृति देखी जा सकती है। स्तंभ के पूर्व की ओर हाथी और पश्चिम की ओर बैल , दक्षिण की तरफ घोडा और उत्तर की तरफ शेर दिखाई देता है, जिन्हें पहियों के जरिए अलग होते हुए दिखाया गया है।
सत्यमेव जयते का मतलब
अशोक स्तंभ के निचले भाग पर भारतीय परंपरा का सर्वोच्च वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ है। जिसका मतलब सत्य की विजय होता है। बता दें कि स्तंभ का यह मुण्डका उपनिषद से लिया गया है।
तो ये थी भारतीय स्तंभ से जुड़ी अहम जानकारियां, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें। साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
Image Credit- wikipedia
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