हेल्थ प्रॉब्लम्स सिर्फ इंसानों के जीवन का हिस्सा ही नहीं है, बल्कि इससे जानवर भी पीड़ित होते हैं। हालांकि, यह देखने में आता है कि इंसानों की तरह बोलकर अपनी बात ना समझा पाने के कारण अक्सर जानवरों को परेशानी लंबे समय तक झेलनी पड़ सकती है। हो सकता है कि आपने भी किसी डॉग को पाला हो और पिछले कुछ समय से आप उसमें बदलाव देख रही हों। आपकी लाख कोशिशों के बावजूद भी आप पालतू डॉग को खुश व एक्टिव ना रख पा रही हों।
ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि ऐसी कई बीमारियां और स्थितियां हैं जो कुत्तों को प्रभावित कर सकती हैं। यहां तक कि कुछ कॉमन हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना अधिक डॉग्स करते हैं, लेकिन पालतू के मालिक को इस बारे में पता ही नहीं होता। जिसके कारण स्थिति बद से बदतर होती चली जाती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको डॉग्स को होने वाली कुछ कॉमन हेल्थ प्रॉब्लम्स के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में आपको भी जानना चाहिए-
यह डॉग्स में होने वाली एक बिग हेल्थ प्रॉब्लम है। आमतौर पर, अधिक उम्र के डॉग्स में यह स्वास्थ्य समस्या देखी जाती है। इस हेल्थ प्रॉब्लम के चलेते उनके देखने के तरीके में अंतर आ जाता है। कैटरैक्ट्स के कारण प्रकाश को रेटिना तक पहुंचने से रोकता है, जिससे डॉग्स को देखने में समस्या होती है। यह डॉग के एक या दोनों आंखों में भी हो सकता है। इस स्वास्थ्य समस्या के होने पर डॉग की आंखों के सेंटर में व्हीटिश, ब्लू या ग्रे एरिया नजर आता है। इतना ही नहीं, जब उन्हें कम दिखाई देता है तो उनके व्यवहार में भी कुछ हद तक परिवर्तन आता है। उम्र बढ़ने के अलावा किसी तरह की अन्य बीमारी या चोट के कारण भी डॉग्स की आंखों को नुकसान हो सकता है। कुछ कुत्तों में जन्म से भी मोतियाबिंद हो सकता है या यह उनके जीवन के पहले कुछ हफ्तों में विकसित हो सकता है।
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अगर आपके घर में एक प्यारा बुलडॉग है, तो उन्हें सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आपके बुलडॉग के छोटे नथुने, लम्बी मुलायम तालू, और संकीर्ण श्वासनली वे कारण हैं जिनकी वजह से वे शायद खर्राटे लेते हैं। इतना ही नहीं, अगर वे ज़्यादा गरम हो जाते हैं या अधिक थक जाते हैं तो इससे उनकी जीवन तक को भी खतरा हो सकता है। इसलिए गर्मियों में बुलडॉग को ठंडा रखना महत्वपूर्ण है और उनके साथ बहुत अधिक एक्सरसाइज करने से बचें।
यह भी एक कॉमन हेल्थ प्रॉब्लम है, जिसका सामना अमूमन अधिक उम्र के डॉग करते हैं। डॉग्स में क्रॉनिक पेन की यह एक मुख्य वजह है और इसके कारण कभी-कभी उन्हें परमानेंट ज्वॉइंट डैमेज भी हो सकता है। कुत्तों में सबसे अधिक प्रभावित जोड़ कूल्हे, घुटने, कंधे और कोहनी होते हैं। जब डॉग्स में यह समस्या होती है तो इसके कुछ संकेत नजर आते हैं। मसलन, कुत्ता अपेक्षाकृत धीमा चलना शुरू कर देता है और वह पहले की तुलना में बहुत कम सक्रिय होता है।
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कुत्तों में कान का संक्रमण बहुत आम है, खासकर जिन नस्लों के डॉग्स के कान लंबे होते हैं, उनमें यह समस्या बेहद कॉमन है। अक्सर, गंदगी, धूल या घास के बीज जैसी कोई वस्तु आपके कुत्ते के कान के अंदर जमा हो सकती है, जिससे उन्हें परेशानी होती है और अंततः कान संक्रमित हो जाते हैं। अगर आपके कुत्ते के कान में संक्रमण है, तो वे बार-बार अपने कानों पर पंजा मारेंगे और अपना सिर हिलाएंगे। इतना ही नहीं, संक्रमित कान लाल या पपड़ीदार हो सकते हैं और उनमें से गंध उत्पन्न हो सकती है।
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