आजाद हिन्दुस्तान के पीछे ऐसी कई महिलाओं का हाथ है, जिन्होंने हिन्दुस्तान को आजादी दिलाने के लिए पूर्ण योगदान दिया। इतिहास के पन्नों में कई ऐसी महिलाओं के नाम दर्ज हैं, जिन्हें पढ़ जाना चाहिए। हिन्दुस्तान में बसे हर राज्य की अपनी अलग कहानी और संघर्ष हैं। भोपाल भी कई मायनों में खास है क्योंकि यहां कई सालों तक महिलाओं का शासन रहा है। भोपाल की बेगम प्रेरणादायक शख्सियत हैं, जिन्होंने अपना भाग्य बनाने के लिए उन मानदंडों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आज हम आपको शाहजहां बेगम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ना सिर्फ भोपाल पर शासन किया बल्कि कई प्रेरणादायक काम भी किए। हालांकि वह भोपाल पर शासन करने वाली तीसरी महिला थी। तो चलिए जानते हैं भोपाल और उनसे जुड़ी कई रोचक बातें....
आज भोपाल राज्य की अपनी एक अलग पहचान है, संस्कृति है, खूबसूरती है। आज जो भोपाल हमारे सामने हैं और इसे बनाने में कई लोगों ने कड़ी मेहनत व संघर्ष किए हैं, जिसे कभी नकारा नहीं जा सकता है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भोपाल की रियासत पर हमेशा से मुस्लिम पुरुष शासकों और नवाबों का शासन रहा है।
लेकिन इसके बावजूद कई महिलाओं ने अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगन से राजनीति और सार्वजनिक जीवन में एक लंबा इतिहास रच दिया है। इतिहास गवाह है कि कैसे दोस्त मुहम्मद की पत्नी, फतेह बीबी ने राजपूतों और मराठों से युद्ध करने वाले हमलों के खिलाफ भोपाल में अपनी संपत्ति का बचाव किया था।
शाहजहां बेगम भोपाल रियासत पर लगभग सन् 1868-1901 तक शासन किया था। वह जहांगीर मोहम्मद खान और सिकंदर बेगम की बेटी थी। आपको बता दें कि सिकन्दर बेगम भी भोपाल पर शासन कर चुकी थी। उनकी मौत के बाद भोपाल की रियासत शाहजहां बेगम ने संभाली थी।
उन्होंने अपने शासनकाल में कई ऐसे काम किए जो आज इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। उन्हें इमारतें बनवाने का बेहद शौक था इसलिए उन्होंने भोपाल में कई इमारतें, स्मारक जैसे लालकोठी यानि राजभवन का निर्माणकरवाया था। उस वक्त इस इमारत में पोलिटिकल एजेंट आकर रहा करते थे। इसके अलावा, उन्होंने ताजुल मस्जिद और कई ऐतिहासिक इमारतों का भी निर्माण करवाया था।
शाहजहां बेगम का नाम इतिहास के पन्नों में सिर्फ इसलिए दर्ज नहीं है क्योंकि उन्होंने भोपाल पर राज किया। बल्कि उन्होंने कई ऐसे काम किए जो काबिले तारीफ हैं। शाहजहां बेगम को इमारते बनवाने का बहुत शौक था इसलिए उन्होंने भोपाल में ताजमहल, नूर मस्जिद, बेनजीर मंजिल, नूर महल, निशात मंजिल, नवाब मंजिल आदि बनवाई। इसके अलावा, उन्होंने नवाब जहांगीर मोहम्मद खान और सिकन्दर बेगम के नाम से मकबरे भी बनवाए।
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इमारत, स्मारक बनवाने के अलावा उन्हें लिखने और पढ़ने का भी बहुत शौक था। खासकर वह उर्दू भाषा की अच्छी जानकर थीं। इसलिए उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान उर्दू भाषा में पहली ऑटोबायोग्राफीलिखी थी। शाहजहां ने महिलाओं के लिए सुधारवादी मैनुअल लिखा और वह लिखने वाली भारत में पहली महिला बन गई।
उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान भोपाल राज्य के पहले डाक टिकट जारी किए गए थे। साथ ही, लगभग 1882 ई. में भोपाल में डाक व्यवस्था भी शुरू की, जो आज तक वहां लागू है। हालांकि, आज डाक व्यवस्था में कई तरह के बदलाव किए जा चुके हैं। लेकिन इस व्यवस्था का श्रेय शाहजहां बेगमको ही जाता है। इसके अलावा, उन्होंने भोपाल के उज्जैन 1896 ई में रेलवे लाइन भी शुरू की। इसके अलावा उन्होंने अपने शासन काल में मदरसा ड्यूक आफ एडिनबरा तथा प्रिंस आफ वेल्स अस्पताल भी बनवाए।
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हालांकि, इससे पहले, कुदसिया बेगम, सिकंदर बेगम भोपाल पर शासन कर चुकी हैं और इतिहास के पन्नों में दर्ज उनकी शख्सियत दर्ज भी है। अगर आपको लेख अच्छा लगा हो, तो उसे लाइक और शेयर ज़रूर करें। साथ ही, जुड़े रहे हरजिन्दगी के साथ।
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