गजानन को प्रसन्न करना है तो गणपति स्थापना में ना करें ये गलतियां

वर्षों से चली आ रही गणपति महोत्सव की प्रथा पहले सिर्फ़ मुंबई में मनाई जाती थी परंतु पिछले कुछ वर्षों से पूरे पश्चिम भारत में इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है।

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चंद दिनों में गणपति महोत्सव का शुभारम्भ होने वाला है। बहुत से लोग अपने घरों में भी गणपति की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक पूरे श्रद्धा भाव से गणपति की पूजा अर्चना करते हैं। लेकिन अंजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं जिससे गणपति उत्सव के प्रभाव में कमी तो आ ही जाती है साथ ही इसके दुष्परिणाम भी होते हैं। इस बारे में बता रहीं नियति बाई आरती की फाउंडर (एस्ट्रोलॉजी, टैरो कार्ड्स, स्प्रिचुएलटी, न्यूमिरोलॉजी, मेडिटेशन, वास्तु एक्सपर्ट) डॉक्टर आरती दहिया का कहना है कि गणपति उत्सव में हम बहुत चीज़ों को अपने हिसाब से बेहतर बनाकर इस महोत्सव में और चार चांद लगा सकते हैं जैसे –

गणपति को भोग लगाए बिना भोजन न करें

शास्त्रों के अनुसार गणपति को प्रथम पूजनीय माना जाता है इसलिए यदि घर में गणपति स्थापना करें तो सर्वप्रथम गणपति को भोग लगाएं और तभी घर के सदस्य भोजन ग्रहण करें।

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चढ़ी हुई सामग्री इधर उधर ना डालें

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गणपति बप्पा में चढ़ी हुई सामग्री इधर उधर कहीं भी ना डालें न ही किसी जल में डालें उसको कहीं भी कच्ची ज़मीन में गड्ढा करके और उसमें उसको दबा दें। कहा जाता है गजानन को भोजन अति प्रिय है (घर पर बनाएं मोदक) इसलिए ऐसा करने से गणपति रुष्ट हो जाते हैं।

काला या नीला आसन न दें

गणपति स्थापना के दौरान गणपति बप्पा को काला या नीला आसन भूलकर भी न दें अन्यथा घर के सदस्यों में अत्यधिक मानसिक तनाव होने लगते हैं। यहां तक कि पूजा के दौरान भी काले या नीले वस्त्र न धारण करें।

तुलसी न अर्पित करें

ऐसी मान्यता है कि गणपति को कभी भी भोग में तुलसी दल या तुलसी पत्ती न अर्पित करें क्योंकि एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार तुलसी (तुलसी की पूजा में न करें ये गलतियां) ने गणपति की तपस्या भंग करके उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था और इसी बात से गणपति तुलसी से रुष्ट हो गए थे। इसीलिए आज भी भोग में तुलसी अर्पित करने से गजानन अप्रसन्न हो जाते हैं।

गणपति के स्थान में अंधेरा न करें

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गणपति की स्थापना घर के लिए सुख का संदेश देता है इसलिए गणपति की स्थापना जिस स्थान पर है उस स्थान को हमेशा प्रकाशमय रखें। उस स्थान पर भूलकर भी अंधेरा न रखें। ऐसा करना अनिष्ट का संकेत होता है।

गणपति को अकेला न छोड़ें

ऐसा माना जाता है कि गणेश उत्सव के दौरान गणपति साल में एक बार हमारे घर आते हैं। इसलिए जिस स्थान पर गणपति स्थापना हो वहां कोई ना कोई अवश्य रहे गणपति बप्पा को भूल कर भी अकेला ना छोड़े।

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इन बातों का भी रखें ध्यान –

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  • गणपति जी की अखंड ज्योति सिर्फ़ देसी घी में जलाएं किसी भी अन्य तेल का इस्तेमाल वर्जित है।
  • गणपति भोग में पान को चढ़ाते समय सुपारी का इस्तेमाल ना करें परंतु दो साबुत सुपारी गणेश जी के आगे अवश्य चढ़ाएं।
  • गणपति जी को लाल रोली का तिलक ना करें उसमें हल्की सी हल्दी अवश्य मिलाएं।
  • गणपति जी को भूलकर भी प्याज़ लहसुन का भोग ना लगाएं।
  • गणपति जी की दिन में दो बार वंदना अति आवश्यक होती है इसलिए भूल कर भी वंदना करना न छोड़ें ।
  • गणपति बप्पा को यूं तो दिन भर ही कुछ ना कुछ परोसा जाता है परंतु दिन के तीन भोग भूल कर भी ना छोड़े ।
  • दूषित व्यक्ति को बप्पा के नज़दीक आने की अनुमति नही होनी चाहिए।

सब मंगल होगा बस भाव शुद्ध रखें और अपने आप पर भरोसा रखें कि आप जो कर रहे है वो सर्वोतम है गणपति बप्पा का पूर्ण आशीर्वाद आपको और आपके परिवार को अवश्य मिलेगा।

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