कथक के पर्याय यानी पंडित बिरजू महाराज, जिन्होंने बॉलीवुड के कितने दिग्गज कलाकारों को नृत्य सिखाया था, आज दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। पंडित बिरजू महाराज को जो भी नृत्य करते देखता वो मंत्रमुग्ध होकर रह जाता था। मगर आज उनके चले जाने से हर कोई स्तब्ध है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार को देर रात 83 वर्षीय बिरजू महाराज अपने पोते के साथ खेल रहे थे। ऐसा बताया जाता है कि इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और वह अचेत पड़ गए। उन्हें ऐसी हालत में देखते ही उनके परिजन उन्हें दिल्ली के साकेत स्थित एक अस्पताल लाए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके परिवार ने बताया कि अभी कुछ समय पहले ही वह किडनी की समस्या से उबरे थे और डायलिसिस पर थे।
उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने उनके निधन की दुर्भाग्यपूर्ण खबर सोशल मीडिया के जरिए साझा की।उन्होंने लिखा, 'बहुत दुख की घोषणा करते हुए.. पं. बिरजू महाराज जी.. मेरे नाना जी नहीं रहे। अत्यंत दु:ख के साथ सूचित किया जाता है कि हमारे परिवार के सबसे प्रिय सदस्य पं बिरजू महाराज जी का दुखद एवं असामयिक निधन हो गया है।'
पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज के यूं चले जाने से बॉलीवुड में भी शोक की लहर है। उन्होंने अपने जीवन में कई लोगों को अपने नृत्य से छुआ और एक अमिट छाप छोड़ी। कई हस्तियों को कथक सिखाया, कई गानों को कोरियोग्राफ किया और कई पुरस्कारों से सम्मानित हुए। वह किसी पहचान के मोहताज नहीं रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बॉलीवुड के दिग्गज ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। आज दिल्ली के लोधी रोड स्थित क्रेमेशन ग्राउंड में उनका अंतिम संस्कार हुआ। अपने प्रिय गुरु को अंतिम विदाई देने कई लोग पहुंचे थे।
पंचतत्व में विलीन हुए पंडित बिरजू महाराज
कोविड-19 प्रोटोकोल्स को ध्यान में रखते हुए आज दोपहर उनका अंतिम संस्कार करीबी लोग और परिवार के बीच किया गया। नई दिल्ली स्थित लोधी रोड श्मशान घाट पर पंडित बिरजू महाराज को विदाई दी गई। नम आंखों से लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अपने पीछे बिरजू महाराज कई फैंस और शिष्यों को छोड़ गए, जो इस विरासत को और उनके नाम को आगे ले जाएंगे।
माधुरी दीक्षित, दीपिका पादुकोण और कमल हासन को सिखाया नृत्य
साल 2002 में फिल्म 'देवदास' का गाना 'काहे छेड़े मोहे' माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया था। इस गाने को बिरजू महाराज ने कोरियोग्राफ किया था। माधुरी दीक्षित की लगन और नृत्य से महाराज इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने माधुरी की खूब तारीफ की थी। आगे कई इंटरव्यूज में उन्होंने यह बताया था कि उन्हें माधुरी के साथ काम करने में सबसे ज्यादा मजा आया। इसके बाद एक बार फिर से माधुरी दीक्षित को बिरजू महाराज के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने 2014 में आई फिल्म 'डेढ़ इश्किया' का एक गाना कोरियोग्राफ किया था। गाने के बोल 'जगावे सारी रैना' थे और यह भी माधुरी पर फिल्माया जाना था।
पंडित बिरजू महाराज ने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के साथ भी काम किया था। साल 2015 में फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' के गाने 'मोहे रंग दो लाल' को बिरजू महाराज ने कोरियोग्राफ किया था। इसमें उन्होंने दीपिका पादुकोण को शानदार डांस सिखाया था।
पंडित बिरजू महाराज साउथ सिनेमा के सुपरस्टार कमल हासन को भी कथक सिखा चुके हैं। बिरजू महाराज ने फिल्म 'विश्वरूपम' के गाने 'उन्नाव कानाधू नानी' को कोरियोग्राफ किया था। यह इतना लोकप्रिय हुआ कि न सिर्फ कमल हासन की तारीफ हुई बल्कि इसके लिए पंडित बिरजू महाराज को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
कैसा था प्रारंभिक जीवन
बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी को कथक प्रतिपादक जगन्नाथ महाराज के घर में हुआ था, जिन्हें लखनऊ घराने के अच्चन महाराज के नाम से जाना जाता था। उन्होंने रायगढ़ रियासत में दरबारी नर्तक के रूप में काम किया था। बिरजू महाराज का नाम बृजमोहन नाथ मिश्रा था, लेकिन कथक सिखाते-सिखाते वह बृजमोहन से बिरजू महाराज हो गए। उन्हें उनके चाचा, लच्छू महाराज और शंभू महाराज और उनके पिता से ही कथक की शिक्षा मिली और उन्होंने सात साल की उम्र में पहली बार कथक किया था।
ऐसे शुरू हुआ करियर
नौ साल की उम्र में बिरजू महाराज ने अपने पिता को खो दिया था। उसके बाद से वह लोगों को नृत्य सिखाने लगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि बहुत छोटी से उम्र में उनका करियर शुरू हो गया था। सिर्फ 13 साल की उम्र से वह दिल्ली के संगीत भारती में नृत्य सिखाने लगे। इसके बाद वह भारतीय कला केंद्र में और कथक केंद्र में कथक सिखाने लगे। कथक केंद्र में वह डायरेक्टर और हेड ऑफ फैकल्टी थे और 1998 में वहां से रिटायर हुए। रिटायर होने के बाद उन्होंने दिल्ली में अपना डांस स्कूल 'कलाश्रम' खोला। नृत्य करने के साथ-साथ उन्होंने संगीत में भी हाथ आजमाया। हिंदी फिल्मों में उनके करियर की शुरुआत 1977 में हुई थी और सत्यजीत रे की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' के लिए उन्होंने दो डांस सीक्वेंस तैयार किए और गाए भी। वहीं साल 2002 में फिल्म 'देवदास' का गाना 'काहे छेड़े मोहे' कोरियोग्राफ किया।
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कथक को दी नई परिभाषा
बिरजू महाराज ने ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘देवदास’, ‘डेढ़ इश्किया’, ‘उमराव जान’, ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘दिल तो पागल है’, ‘गदर एक प्रेम कथा’ सहित कई फिल्मों के गानों में बतौर नृत्य निर्देशक काम किया। उन्होंने कथक को एक नई परिभाषा दी और एक नए स्तर पर ले गए। यह कथक पर उनकी पकड़ ही थी कि उन्होंने कई शैलियों की रचना की। गोवर्धन लीला, माखन-चोरी, फाग, कुमार संभव और मालती माधव जैसी नृत्य की शैलियां उन्होंने ही दी। अपने दोनों चाचा और पिता से सीखे नृत्य को उन्होंने मिलाकर कुछ नया किया।
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कई पुरस्कारों से हुए सम्मानित
बिरजू महाराज को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वहीं साल 1986 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1987 में उन्हें कालिदास सम्मान से भी नवाजा गया था और तो और उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली थी। साल 2000 में बिरजू महाराज को प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार और 2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन सब के अलावा बिरजू महाराज को भरत मुनि, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार सहित अन्य अवार्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है।
आखिर थम गई घुंघरुओं की खनक
भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति! pic.twitter.com/PtqDkoe8kd
— Narendra Modi (@narendramodi) January 17, 2022
दुनिया भर को अपनी घुंघरुओं की खनक से मंत्रमुग्ध करने वाले पंडित बिरजू महाराज के चले जाने से सभी मायूस हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसे कभी नहीं भरा जा सकता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिग्गज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने परफॉर्मिंग आर्ट्स के एक दिग्गज को खो दिया। इसी तरह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनके निधन पर दुख जताया। बॉलीवुड की कई हस्तियों ने बिरजू महाराज के निधन पर दुख जताया है। इनमें सुभाष घई, अनुपम खैर, अदनान सामी, हेमा मालिनी, करीना कपूर, आदि ने दुख जताया।
India loses a legend of performing arts. Kathak exponent Pandit Birju Maharaj is no more.
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) January 17, 2022
Born into a family of kathak masters, belonging to the Lucknow gharana, Pandit #birjumaharaj took kathak to wider audience. Took forward traditions,held through generations,with great elan. https://t.co/vimvG0EXzh
The demise of legendary Pandit Birju Maharaj marks the end of an era. It leaves a deep void in the Indian music and cultural space. He became an icon, making unparalleled contribution to popularise Kathak globally. Condolences to his family and admirers.
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 17, 2022
Extremely saddened by the news about the passing away of Legendary Kathak Dancer- Pandit Birju Maharaj ji.
— Adnan Sami (@AdnanSamiLive) January 16, 2022
We have lost an unparalleled institution in the field of the performing arts. He has influenced many generations through his genius.
May he rest in peace.🙏🖤#BirjuMaharajpic.twitter.com/YpJZEeuFjH
My first learning from kathak dance maestro was in my college youth festival when he expressed a romantic conversation between lord krishna n radha thru his two eyes talking. I learnt ‘DANCE means body but soul is in eyes.
— Subhash Ghai (@SubhashGhai1) January 17, 2022
That’s y he was a Jagat guru in kathak💃🏽
RIP BIRJU SIR🙏🏽 pic.twitter.com/yeWT5Fv23v
बिरजु महाराज...ओम् शांति!🙏🌺🙏 #BirjuMaharaj#Kathakpic.twitter.com/2se5620LSq
— Anupam Kher (@AnupamPKher) January 17, 2022
The nation mourns the passing of a true legend, Shri Birju Maharaj,Kathak exponent par excellence. His ghungroos were on his ankles till he breathed his last.I always admired and respected him as a giant of the medium of Kathak & will miss his presence on the firmament of dance🙏 pic.twitter.com/Wz0VLGDQPW
— Hema Malini (@dreamgirlhema) January 17, 2022
महान कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का जाना वाकई एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को कभी भूला नहीं जा सकता। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हैं।
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