Kartik Purnima Puja Vidhi 2023: पूजन में लगती हैं ये सामग्री, जानें कैसे की जाती है पूजा

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सत्‍यनारायण जी की पूजा करनी है, तो आर्टिकल पढ़ें और पूजन विधि एवं सामग्री के विषय में विस्तार से जानें। 

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हिंदू धर्म में दिवाली को सबसे बड़ा पर्व माना गया है, मगर दिवाली के त्‍योहार के बाद लगभग सभी बड़े त्‍योहारों की झड़ी लग जाती है। कार्तिक पूर्णिमा भी इन्‍हीं में से एक है। हर साल दिवाली के पर्व के बाद लोग कार्तिक पूर्णिमा का इंतजार करते हैं और इसे छोटी दिवाली के रूप में देशभर में मनाया जाता है। इस दिन भी घरों को सजाया संवारा जाता है और ईश्‍वर की पूजा अर्चना की जाती है।

इस आर्टिकल में हम हम आपको कार्तिक पूर्णिमा के विषय में विस्तार से बताएंगे और इस दिन पूजा कैसे की जाती है और पूजन में कौन सी सामग्री लगती है, यह भी आपको आर्टिकल में पढ़ने को मिलेगा।

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कब है कार्तिक पूर्णिमा?

कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा को ही कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 26 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और 27 को दोपहर 2 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

पंडित मनीष शर्मा कहते हैं, 'इसे सभी पूर्णिमाओं में सबसे बड़ी पूर्णिमा कहा गया है। खासतौर पर यदि यह कृतिका नक्षत्र पर पड़ती है तो यह महा कार्तिक पूर्णिमा हो जाती है। रोह‍िणी और भरणी नक्षत्र पर पड़ने पर इसकी मान्‍यता और भी अधिक बढ़ जाती है। इस वर्ष 27 तारीख को 1 बजकर 35 मिनट के बाद रोहिणी नक्षत्र लग रहा है। ऐसे में इस बार की कार्तिक पूर्णिमा यदि आप पूजन हवन करते हैं तो आपको उसका विशेष फल प्राप्‍त होगा।'

क्‍या है कार्तिक पूर्णिमा का महत्‍व?

यह एक बहुत ही विशेष दिन होता है। हिंदू शास्‍त्रों में बताया गया है कि हम जो पूर्वजन्‍म और वर्तमान जन्म में कर्म करते हैं, उसका फल हमें पुनर्जन्म में भी प्राप्त होते हैं। यदि आप कार्तिक पूर्णिमा में पूजन हवन करते हैं, तो आपको पुनर्जन्‍म में मिलने वाले कष्‍ट कम हो जाते हैं और आपका वर्तमान जन्‍म भी सुधर जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्‍णु जी की पूजा की जाती है और गौदान भी किया जाता है। ऐसा करने से आपके सारे पाप धुल जाते हैं और आप सही रास्‍ते पर चलने लगते हैं।

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कार्तिक पूर्णिमा की पूजन सामग्री

कार्तिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण स्वामी जी और देवी लक्ष्‍मी का पूजन होता है। यह पूजन हर पूर्णिमा पर किए जाने वाली सत्‍यनारायण स्‍वामी की पूजा जैसे ही किया जाता है। श्री विष्णु जी का पूजन है, तो आपको केले के पत्‍तों का मंडप बनाना चाहिए। मंडप नहीं बना पा रहे हैं, तो आपको केले के दो पत्‍तों को मंदिर में जरूर रखना चाहिए। इसके अलावा काले तिल के बिना श्री विष्णु जी का पूजन अधूरा माना गया है, तो आपको काले तिल भी पूजा में रखने चाहिए।

लकड़ी की एक चौकी, सत्यनारायण जी का चित्र और लाल कपड़ा भी पूजन सामग्री में जरूर शामिल करें। लकड़ी से शुद्ध किसी भी चीज को पूजन के लिए अच्‍छा नहीं माना गया है। वहीं लाल रंग की ऊर्जा को भी सकारात्मक माना गया है। इसके अलावा विष्‍णु जी पर अर्पित करने के लिए रोली और लक्ष्‍मी जी पर अर्पित करने के लिए सिंदूर पूजा सामग्री में जरूर शामिल करें।

रोली अर्पित करने के बाद चावल अर्पित करने का भी महत्‍व है, तो यह भी पूजा सामग्री में होना चाहिए। साथ ही घी का दीपक, पंचामृत, मौली आदि भी इस पूजन सामग्री में जरूर शामिल करें। इसके अलावा पूजन सामग्री में गंगाजल का होना भी जरूरी है क्‍योंकि इसी से आप सबसे पहले पूजन स्थान को शुद्ध करेंगे और प्रतिमा पर भी गंगाजल अवश्‍य डालें। अन्‍या सामग्री में धूप, नैवेद्य, मिठाई और फल आदि भी आते हैं। आपको फल केला और मिठाई में दूध की मिठाई श्री विष्‍णु जी को जरूर अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा गुड़हल एवं कमल का फूल भी यदि आप श्री विष्‍णु और श्री लक्ष्‍मी को अर्पित करते हैं, तो आपको विशेष आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि

  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्‍नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें। इस दिन आपको नए वस्‍त्र धारण करने चाहिए। यदि नए नहीं हैं तो साफ वस्‍त्र धारण करके भी आप इस पर्व को मना सकती हैं।
  • इसके बाद आपको ईशान कोण पर लकड़ी का पाटा रखना है और उस पर सर्वप्रथम गंगाजल छिड़कना है। फिर आपको एक नया साफ लाल कपड़ा उस पर बिछाना है।
  • अब आप श्री हरी विष्णु एवं देवी लक्ष्‍मी की प्रतिमा को उस लकड़ी के पाटे पर रख दें। प्रतिमा को भी गंगाजल से शुद्ध करें।
  • इसके बाद आपको प्रतिमा पर वस्त्र अर्पित करने हैं, जिसके लिए आप मौली का प्रयोग कर सकते हैं।
  • फिर आप प्रतिमा पर लोचना एवं सिंदूर चढ़ाएं और चावल आदि अर्पित करें। इसके आद आपको प्रतिमा पर फूल आदि चढ़ाने चाहिए।
  • अब आपको धूप बत्‍ती आदि दिखा कर घी का दीपक जलाना चाहिए और फिर सत्यनारायण जी की कथा पढ़नी चाहिए।
  • कथा के बाद सत्यनारायण जी की आरती करें और पंचामृत का प्रसाद चढ़ाएं। फिर यदि प्रसाद सभी को देने के बाद खुद भी ग्रहण करें। पूजा के बाद आप भोजन भी कर सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्‍यान

  • इस दिन आपको शरीर के साथ अपने विचारों को भी शुद्ध रखना है।
  • किसी से छल-कपट न करें और विवाद से भी दूर रहें।
  • इस दिन यदि कोई आप से भोजन मांगे तो उसे अवश्य कराएं।
  • इस दिन आप शाकाहारी भोजन ही करें और मांस मदिरा से दूर रहें।
  • घर में जिस दिन पूजा है उस दिन साथी से दूरियां बना कर रखें।
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