हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं और यदि किसी महीने में अधिक मास होता है तो उस साल में 13 पूर्णिमा तिथियां होती हैं। आमतौर पर महीने में एक पूर्णिमा तिथि होती है। प्रत्येक पूर्णिमा तिथि का एक अलग महत्व होता है और इसमें विशेष रूप से सभी भगवानों का पूजन किया जाता है। हिन्दू पांचांग में कार्तिक के महीने को सबसे पवित्र महीना माना जाता है और इस महीने में पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा का अलग महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म और शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व माना गया है।
इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक असुर का नाश किया था। तभी से भगवान शिव त्रिपुरारी के नाम से पूजित हुए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है और इस दिन मुख्य रूप से दीप दान किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव पांच दिनों तक चलता है। यह प्रबोधिनी एकादशी या देव उठनी एकादशी के दिन से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ आरती दहिया जी से जानें कि इस साल कब मनाई जाएगी कार्तिक के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा।
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
कार्तिक के महीने को सभी महीनों में सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी महीने में भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा से बाहर निकलते हैं और पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच जल में निवास करते हैं।
- इस साल कार्तिक का महीना 21 अक्टूबर 2021 से आरंभ हुआ था और यह 19 नवंबर 2021 कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त हो जायेगा।
- इस साल यानी साल 2021 में कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर, शुक्रवार के दिन पड़ेगी।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ - 18 नवंबर, बृहस्पतिवार प्रातः 11:55
- पूर्णिमा तिथि समाप्त -19 नवंबर दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर
- चूंकि उदया तिथि में पूर्णिमा 19 नवंबर को पड़ रही है इसलिए इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन देवी- देवताओं को खुश करने का दिन होता है। इसलिए इस दिन लोग मुख्य रूप से गंगा जैसी पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं और अपने तन और मन की शुद्धि करते हैं। गंगा में डुबकी लगा कर एवं दान करके लोग पुण्य की प्राप्ति करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन कार्तिक स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान, दान-पुण्य के कार्य और दीपदान अवश्य करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमाको धार्मिक समारोहों को करने के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इसलिए इस दिन कई अनुष्ठानों और त्योहारों का समापन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए शुभ समारोह खुशियां लाते हैं। मान्यता है कि इस दिन गाय, हाथी, घोड़ा,रथ और घी का दान करने से संपत्ति बढ़ती है और भेड़ का दान करने से ग्रह योग के कष्ट दूर होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने वाले अगर बैल का दान करें तो उन्हें शिव के समान पद प्राप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
- यदि संभव हो तो पवित्र नदी में स्नान करें। यदि आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- यदि संभव हो तो इस दिन आप अन्न का सेवन न करें और फलाहार व्रत का पालन करें।
- उसके बाद लक्ष्मी नारायण की देसी घी का दीपक जलाकर विधि विधान से पूजा करें।
- इस दिन सत्यनारायण की कथा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
- भगवान को इस दिन खीर का भोग अवश्य लगाना चाहिए।
- शाम को लक्ष्मी नारायण की आरती करके तुलसी जी में घी का दीपक जलाना जलाएं और घर के चारों और भी दीप प्रज्वलित करें।
इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा में किया गया पूजन और दान पुण्य आपके जीवन में खुशहाली लाएगा और मनोकामनाओं की पूर्ति करेगा।
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Image Credit: wall paper caves.com and freepik
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