हिंदी पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रासन में रहते हैं इसी वजह से इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है।
देव उठनी एकादशी जिसे देवोत्थान एकादशी और देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है उस पर भगवान के जागने के बाद से पुनः शादी-विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त हो जाता हैं। इसलिए इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी देव उठनी एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व।
देवउठनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
- देवउठनी एकादशी तिथि: - 14 नवंबर 2021, दिन रविवार
- एकादशी तिथि प्रारंभ: - 14 नवंबर 2021 सुबह 05:48
- एकादशी तिथि समापन: - 15 नवंबर 2021 सुबह 06:39, दिन सोमवार
देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और भक्त मृत्योपरांत विष्णु लोक को प्राप्त करता है।
इसे जरूर पढ़ें:19 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा को पड़ेगा सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण, जानें पूरी खबर
देवउठनी एकादशी पूजा विधि
- इस दिन प्रातः जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें। ऐसी मान्यता है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन संध्या से पहले पूजा स्थल को साफ़-सुथरा कर लें। चूना व गेरू से विष्णु भगवान के स्वागत के लिए रंगोली बनाएं।
- घी के ग्यारह दीपक देवताओं के निमित्त जलाएं।
- ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा, लड्डू, बतासे, मूली आदि ऋतुफल एवं नए अनाज इत्यादि के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें।
- इस दिन मंत्रोच्चारण, स्त्रोत पाठ, शंख, घंटा ध्वनि एवं भजन-कीर्तन द्वारा देवों को जगाने का विधान है।
देवउठनी एकादशी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार लक्ष्मी जी ने विष्णु भगवानसे कहा, ‘हे नाथ! आप दिन-रात जागते हैं और फिर लाखों-करोड़ों वर्षों तक सो जाते हैं तथा उस समय समस्त चराचर का नाश भी कर डालते हैं। आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जाएगा। भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले, ‘देवी तुमने ठीक कहा है। मेरे जागने से सब देवों को खासकर तुमको कष्ट होता है। तुम्हें मेरी सेवा से जरा भी अवकाश नहीं मिलता इसलिए अब मैं प्रति वर्ष चार मास शयन किया करूंगा। उस समय तुमको और देवगणों का अवकाश होगा। इसीलिए इस पर्व को देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु 4 महीने के शयन के बाद आज के दिन उठते हैं।
देवउठनी एकादशी का महत्व
- ऐसा माना जाता है कि देवउठनी एकादशी व्रत का फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर होता है।
- पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस व्रत को करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता हैं।
- उनके पितरों को भी लाभ मिलता है। उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।
- देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है।
इस प्रकार देव उठनी एकादशी का हिन्दुओ में विशेष महत्व है और इस दिन विष्णु पूजन और व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit: wall paper cave.com
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों