अगर महिलाओं के लिए पीरियड्स लीव्स हैं तो, मर्दों को भी कुछ छुट्टियाँ देनी चाहिए- कल्कि कोचलिन

पीरियड लीव्स पर बात पिछले कई दिनों से हो रही है। कई महिलाएं इसके सपोर्ट में हैं तो कई नहीं। लेकिन कल्कि की इन सबसे कुछ अलग राय है।

  • Shikha Sharma
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2017-11-08, 13:08 IST
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पीरियड्स होना एक मंथली प्रोसेस है जो सामान्य तरह से हर महिलाओं को होता है। लेकिन इस पर पिछले कुछ महीनों से काफी बहस की जा रही है। लेकिन बहस का विषय केवल पीरियड्स नहीं है... बल्कि पीरियड्स लीव हैं। महिलाओं का मानना है कि महीने के वे पांच दिन काफी थका देने वाले और असहनीय होते हैं इसलिए उन दिनों में छुट्टी होनी चाहिए। मुंबई की एक मीडिया कंपनी के बाद अब कोच्चि के मीडिया समूह 'मातृभूमि' ने महिलाओं को पीरियड्स लीव दे भी दिए। लेकिन इसके बाद एक बहस शुरू हो गई है। कई महिलाएं इन लीव्स को सपोर्ट करतीं हैं तो कई महिलाएं इन लीव्स के against में है।

आप के भी आमने-सामने रहने वाली दो महिलाओं की इस पर एक राय नहीं होगी।

लेकिन राय जरूरी नहीं हो कि एक है... बात तो तब है जब against और fevour में जाने के बजाय लोग थोड़ी intellectual राय रखें। जैसे की कल्कि कोचलिन ने रखी है। आइये जानते हैं कि बॉलीवुड की सबसे बोल्ड और बेहतरीन एक्ट्रेस में से एक कल्कि कोचलिन का इस बारे में क्या कहना है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कल्कि कोचलिन फेमिनिज़्म में विश्वास रखती हैं। लेकिन इसके साथ वो 'equality' पर भी विश्वास रखती हैं। इसलिए उन्होंने कहा है कि अगर महिलाओं के लिए पीरियड लीव्स हैं तो, मर्दों को भी कुछ छुट्टियाँ देनी चाहिए।

एक्सपर्ट्स ने भी माना कि मिलनी चाहिए छुट्टियां

मासिक धर्म और इससे जुड़ी समस्याओं को लेकर आए दिन चर्चाएँ होती रहती हैं। एक्स्ट्रा केयर, परफेक्ट डाइट, कुछ दवाइयां और कई सारे घरेलू नुस्खों के साथ दुनिया की हर लड़की अपने मासिक धर्म को पूरा करती है। आपको बता दें कि दुनिया के कई कोनों में एक्सपर्ट्स का मानना है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपने काम से कुछ आराम मिलना चाहिए। एक्सपर्ट्स ने अपने शोध के ज़रिये पता लगाया है कि रोज़ाना दफ्तर जाने वाली महिलाएं काम और घर के प्रेशर की वजह से अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पातीं और इस वजह से उन्होंने हर कॉर्पोरेट ऑफिस में पीरियड लीव्स के चलन को शुरू किया है। वैसे, इस बारे में भारत में सिर्फ चर्चाएँ ही हो रही हैं।

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हाल ही में कल्कि से हमने पीरियड लीव्स के इस चलन के बारे में बात की। इस बारे में सुनकर पहले तो कल्कि काफी इम्प्रेस हुई और कहा कि यह एक बहुत अच्छा इनिशिएटिव है मगर, इसके लिए कंपनी में काम करने वाली महिलाओं से यह बात पूछी जानी चाहिए। “पर्सनली मुझे नहीं लगता कि ऐसी किसी भी लीव्स की ज़रूरत है। महिलाएं इस मामले में बहुत स्ट्रांग हैं और शुरुआती दिनों के बाद वो धीरे-धीरे इस दर्द से दोस्ती कर लेती हैं,” कल्कि ने कहा।

ऐसा ही कुछ जवाब हमें अभिनेत्री निधि अग्रवाल ने भी दिया था। उन्होंने कहा था कि वैसे तो उन्हें इन लीव्स की ज़रूरत नहीं है मगर, यह इंसान पर डिपेंड है कि क्या उसे छुट्टी की ज़रूरत है? निधि ने यह भी कहा था कि अगर फिर भी छुट्टी मिल रही है तो उसे एन्जॉय करना चाहिए।

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कल्कि ने आगे कहा, “मैं अपने पीरियड्स के दौरान भी काम कर सकती हूँ। पर, फिर उन्हें मर्दों के लिए भी कुछ लीव्स रखनी चाहिए। बुरे दिन तो उनके भी होते हैं। मुझे लगता है ये ‘पीरियड लीव्स’ का फैसला कम्पनी और उसमें काम करने वाली महिलाओं ओअर छोड़ देना चाहिए। मुझे पीरियड लीव्स की ज़रूरत नहीं मगर हाँ, कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें इस दौरान दवाइयाँ और एक्स्ट्रा केयर की ज़रूरत होती है, तो उनके लिए ये बहुत अच्छी चीज़ है।“

कल्कि का मानना है कि चीज़े इक्वल हों, अब वो लड़का हो या लड़की सबकुछ इक्वल होना चाहिए। वैसे, बात तो कल्कि सही कह रही है, फेमिनिज़म के चलते कई बार हम इक्वेलिटी को भूल जाते हैं! आपकी क्या राय है?

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