मैं जब छोटी थी। मतलब पीरियड होने की उम्र हो चुकी थी लेकिन दिमाग से छोटी थी। शुरू में मुझे आठ से दस दिन तक पीरियड होते थे और काफी पेट भी दर्द देता था। मुझे आज भी याद है, " उस समय जब मैं पेट दर्द से रोती थी तो मेरी मम्मी डंटते हुए बोलती थी कि की अकेले तुझे ही दुनिया में नहीं होता है । अब चुप हो जा, पूरी दुनिया को बताने की जरूरत नहीं है।"
फिर मैं चुप हो जाती थी। आज बड़ी हो गई हूं। अब किसी को पता भी नहीं चलता है और मुझे पीरियड शुरू होकर खत्म भी हो जाते हैं। दर्द अब भी देता है। लेकिनदवाई ले लेती हूं। मालुम है दवाई लेना गलत है। लेकिन ले लेती हूं, क्योंकि वो डांट अब भी याद है। मम्मी अब कुछ नहीं बोलती, लेकिन अब अंदर से एक चिढ़ हो गई है।
चिढ़ मम्मी की बात से नहीं।
चिढ़ समाज की बात से।
हर कोई ये बोलता है,
"अरे उसे पीरियड हो रहे हैं इसलिए पूजा नहीं कर सकती। पीरियड हो रहे हैं तो अचार मत छूना। पीरियड हो रहे हैं तो गोलगप्पा मत खाना। दौड़ मत। भाई के साथ खेल मत। वो मत कर। ये मत कर।" अरे यार क्या जीना छोड़ दें...
आपको (समाज के पुरूषों से) कभी पीरियड का दर्द हुआ है?
नहीं ना। इसलिए मालुम भी नहीं कि वो दर्द कितना ज्यादा दर्दनाक होता है। उस दर्द में मीटिंग अटेंड करना। ऑफिस में बैठे रहना। काम करना। नहीं होता मेरे से इसलिए दवाई ले लेती हूं। क्योंकि अगर बोलूंगी तो यही बात होगी कि " तुम अकेली नहीं हो जिसे पीरियड होते हैं।"
लेकिन इतने सदियों और इतनी बातें होने के बाद एक कंपनी लड़कियों के इस दर्द को समझने लगी है। क्योंकि किसी के दर्द को समझने के लिए महिला या पुरुष होने की जरूरत नहीं, केवल इमोशन्स और इंसानियत होने की जरूत है। इसलिए भारत की दो कंपनीज़ Culture Machine औऱ Gozoop ने Woman Employees को पीरियड के पहले दिन छुट्टी देना शुरू किया है जिसे Period leave कहा जाएगा।
अगर आपको लगता है कि ये दो कंपनियां पीरियड लीव देने वाली पहली हैं तो आप गलत हैं। बिहार 1992 से पीरियड लीव दे रहा है और All India Progressive Women's Association (AIPWA) की सेक्रेटरी कविता कृष्णनन भी पीरियड लीव के favour में है। कविता कहती हैं, "कर्मचारी संघ ने AIPWA और AICCTU के साथ जुड़कर महिलाओं के लिए महीने में दो दिनों की छुट्टी की मांग की और बिहार में सरकारी कर्मचारियों को 1992 से ये छुट्टियां मिल रही हैं। अगर male employees को पीरियड होते तो obvious है कि हर कोई पीरियड लीव की मांग करता। लेकिन अभी बिल्कुल उल्टा हो रहा है।"
इसमें अपनी बात जोड़ते हुए कविता कहती हैं, "मेरा ये प्वाइंट है कि पीरियड लीव इस पर डीपेंड नहीं होना चाहिए कि पीरियड painful है कि नहीं? यहां तक कि वो महिलाएं जो पीरियड में काम कर सकती हैं उन्हें भी काम नहीं करना चाहिए। जैसे हम रात को सोते हैं औऱ दिन में काम करते हैं। वैसे ही महिलाओं का natural menstrual cycle होता है जिसमें महिलाओं को तनाव से दूर रहते हुए आराम करना चाहिए।"
सो Happy period leave :)
Source- beingindian
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