Kalakshetra Case: स्टूडेंट्स के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट का मामला, 200 लोगों का प्रोटेस्ट दिखाता है Metoo की सच्चाई

हाल ही में चेन्नई के कलाक्षेत्र इंस्टीट्यूट में 200 स्टूडेंट्स ने प्रोटेस्ट किया। फैकल्टी द्वारा इतने बड़े लेवल पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का मामला चिंता का विषय है। 

 
How does metoo aligations appear in kalakshetra

चेन्नई में कलाक्षेत्र इंस्टिट्यूट जितना अपनी कला के लिए फेमस है उतना ही विवादों के लिए भी। इसकी स्थापना के समय से ही राजनीति, धर्म, घोटालों से इसका नाम जुड़ा रहा है। 2005 से 2012 तक फाउंडेशन डायरेक्टर के पद पर लीला सैमसन थीं। उनके कार्यकाल में भी कई विवाद हुए। 2012 में करप्शन के चार्ज तहत लीला सैमसन ने रिजाइन कर दिया था।

अगर आपको लग रहा है कि मैं इतनी पुरानी बात अब क्यों निकाल रही हूं, तो मैं आपको बता दूं कि मौजूदा मामला भी लीला सैमसन के जरिए ही सामने आया। उन्होंने पिछले साल 24 दिसंबर को एक फेसबुक पोस्ट शेयर की जिसमें बताया गया था कि आर्ट और कल्चर के इस संस्थान में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण हो रहा है।

इस पोस्ट को जल्दी ही डिलीट कर दिया गया, लेकिन स्क्रीनशॉट्स वायरल हो गए। इसके बाद अलग-अलग स्टूडेंट्स ने अपने साथ हुई घटनाओं का जिक्र किया।

कलाक्षेत्र मामले ने मार्च में पकड़ा तूल

मार्च 2023 में कलाक्षेत्र की तरफ से एक बयान जारी किया गया। उसमें कहा गया कि पिछले कुछ महीनों से संस्थान को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। यह बेबुनियाद हैं। संस्थान ने दावा किया कि उनकी इंटरनल कमेटी द्वारा की गई जांच में आरोप बेबुनियाद पाए गए हैं। कलाक्षेत्र ने स्टूडेंट्स और स्टाफ को लीगल एक्शन लेने की धमकी भी दी। यहीं कुछ स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि मैनेजमेंट उस इंसान का सपोर्ट कर रहा है जो दोषी है।

kalakshetra metoo

मीडिया के जरिए नेशनल हुआ मामला

21 मार्च, 2023 को एक मीडिया हाउस ने इस स्टोरी को रिपोर्ट किया और उसके बाद नेशनल कमीशन फॉर वुमन ने संज्ञान लिया। 26 मार्च को NCW ने कहा कि सभी शिकायतों को वापस ले लिया गया है और कोई गवाही देने को तैयार नहीं है। ऐसा कहकर यह मामला बंद कर दिया गया।

200 स्टूडेंट्स ने शुरू किया प्रोटेस्ट

यह मामला अभी तक दबाया जा रहा था, लेकिन इसके बाद लगभग 200 स्टूडेंट्स ने रात भर बैठकर प्रदर्शन शुरू किया। उन्होंने परीक्षा देने से भी मना कर दिया।

kalakshetra protest

चार फैकल्टी मेंबर हरी पद्मन, संजीत लाल, साई कृष्णन और श्रीनाथ के खिलाफ सख्त सजा की मांग की गई। एक स्टूडेंट यूनियन भी बनाई गई और तमिल नाडु के कल्चर मिनिस्टर को पत्र भी लिखा गया। (Workplace हैरेसमेंट के लिए ऐसे उठाएं आवाज)

दो दिन बाद NCW ने दोबारा इस मामले को खोला और इस मामले ने राष्ट्रीय रूप ले लिया। यहां एक बात गौर करने वाली है कि टीचर हरी पद्मन की गिरफ्तारी हो चुकी है और इसके बाद चार मेल स्टूडेंट्स ने भी दो अन्य फैकल्टी मेंबर्स के खिलाफ हैरेसमेंट का आरोप लगाया है। एक मीडिया पोर्टल को दिए इंटरव्यू में स्टूडेंट ने कहा, "उसने मेरे प्राइवेट पार्ट को सबके सामने छुआ। टीचिंग के बहाने ये सब हो रहा है।"

इसे जरूर पढ़ें- महिलाएं क्यों नहीं करतीं सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत? इसके पीछे है ये बड़ा कारण

म्यूजिक और Metoo

कलाक्षेत्र को सीधे मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर द्वारा ऑपरेट किया जाता है। 1936 में बना यह इंस्टीट्यूशन सेक्सुअल हैरेसमेंट के घेरे में आ गया। पर ऐसा पहले भी हुआ है कि म्यूजिक, आर्ट, कल्चर के मामले में Metoo जैसे मूवमेंट चले हैं। अगर सिर्फ कर्नाटक और तमिल म्यूजिक इंडस्ट्री की बात करें, तो सालों से इस तरह की स्थिति चली आ रही है।

2018 में जब #Metoo मूवमेंट ने भारत में अपनी पकड़ बनाई थी, तब भी कई नामी लोगों का नाम सामने आया था। डांस टीचर, म्यूजिक टीचर, आर्टिस्ट सभी इसके घेरे में आए थे।

यह कहना गलत नहीं होगा कि #Metoo मूवमेंट जैसे आंदोलन की जरूरत हमारे देश को बहुत ज्यादा है। लगभग हर फील्ड में इस तरह हैरेसमेंट के केस सामने आते रहते हैं। यह चिंताजनक है कि किसी मामले को नेशनल लेवल तक आने में इतना समय लग जाता है।

आपकी इस मामले में क्या राय है? हमें अपने जवाब आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP