भारतीय संस्कृति अपनी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, जिनका पालन आज भी हम कर रहे हैं। हालांकि इन परंपराओं में से कुछ अंधविश्वासी विचारों का बढावा देती हैं लेकिन कुछ परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं। इसलिए इन परंपराओं को भारतीय लंबे समय तक मानते आ रहे हैं। खासतौर पर महिलाएं तो इन परंपराओं को अपने जीवन में जरूर उतारती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि जो महिलाएं इन्हें अपने जीवन में उतारती हैं वह हेल्थ संबंधी कई समस्याओं से बची रहती हैं। आधुनिक विज्ञान में सुधार के साथ, यह स्पष्ट हो रहा है कि इन परंपराओं में से बहुत से इतने लंबे समय से क्यों चल रही हैं। आइए ऐसी ही कुछ खास परंपराओं के बारे में जानें, जिन्हें अपने जीवन में उतारने से आपको वास्तव में लाभ प्राप्त हो सकता है।
जमीन पर बैठकर खाना खाना
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जमीन पर बैठकर भोजन करना डाइजेस्टिव सिस्टम और पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। पालथी मारकर बैठना एक योग आसन है। इस अवस्था में बैठने से ब्रेन शांत रहता है और भोजन करते समय ब्रेन शांत हो तो डाइजेस्टिव सिस्टम अच्छा रहता है। पालथी मारकर भोजन करते समय ब्रेन से एक संकेत पेट तक जाता है कि पेट भोजन ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाए। इस आसन में बैठने से गैस, कब्ज, अपच जैसी समस्याएं दूर रहती हैं।
कान छिदवाना
पुराने समय से ही महिला और पुरुष दोनों के लिए कान छिदवाने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि, आज पुरुष वर्ग में ये परंपरा मानने वालों की संख्या काफी कम हो गई है। इस परंपरा की वैज्ञानिक मान्यता यह है कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है, बोली अच्छी होती है। कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का ब्लड सर्कुलेशन कंट्रोल और मैनेज रहता है। कान छिदवाने से एक्यूपंक्चर से होने वाले स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। वैसे कान छिदवाने के फायदे हम कुछ दिन पहले अपने एक आर्टिकल के माध्य्म से आपको बता भी चुके हैं।
नमस्ते करना
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हम जब भी किसी से मिलते हैं तो नमस्ते या नमस्कार करते हैं। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क यह है कि नमस्ते करते समय सभी उंगलियों के शीर्ष आपस में एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर प्रेशर पड़ता है। हाथों की उंगलियों की नसों का संबंध बॉडी के सभी प्रमुख अंगों से होता है। इस कारण उंगलियों पर प्रेशर पड़ता है तो इस एक्यूप्रेशर का सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है। साथ ही, नमस्ते करने से सामने वाला व्यक्ति हम लंबे समय तक याद रह पाता है। इस संबंध में एक अन्य तर्क यह है कि जब हम हाथ मिलाकर किसी को विश करते हैं तो सामने वाले व्यक्ति के बैक्टीरिया हम तक पहुंच सकते हैं। जबकि नमस्ते करने पर एक-दूसरे का शारीरिक रूप से संपर्क नहीं हो पाता है और बीमारी फैलाने वाले वायरस हम तक पहुंच नहीं पाते हैं।
नवरात्रों के दौरान व्रत
नवरात्र एक साल में दो बार आते हैं। वह ऐसे समय पर आते हैं जब मौसम में बदलाव आने वाला होता है। इस समय पर व्रत रखकर आप अपनी बॉडी के टॉक्सिन को साफ और पॉजिटीव एनर्जी को प्राप्तस करती हैं। यह हमें नए सीजन के लिए तैयार करते हैं।
पीरियड्स में किचन में न जाने देना
हम सभी जानती हैं कि पीरियड्स के साथ पीएमएस के लक्षण आते हैं। इसलिए लड़कियों से एक्ट्रा प्रेशर को रोकने के लिए पुराने समय में लोग उन्हें खाना पकाने से ब्रेक लेने की सिफारिश करते थे। यानी वह चाहते थे कि इन दिनों महिलाओं को पूरा आराम मिलना चाहिए।
मंगलवार और गुरुवार को बाल धोना
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पुराने लोग कहते हैं कि आपको मंगलवार और गुरुवार को अपने बालों को धोने से बचना चाहिए। इसके पीछे कोई अंधविश्वाआस नही हैं। बल्कि वह पानी की असली कीमत जानते हैं। :)
मसाले के साथ खाने की शुरुआत और मीठे के साथ अंत
पुराने समय में लोगों ने इस तथ्य पर हमेशा जोर दिया करते थे कि हमें हमेशा मसाला के साथ भोजन को शुरू करना चाहिए और भोजन का अंत किसी मीठी चीज को खाकर करना चाहिए। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि मसालेदार खाना खाने से डाइजेस्टिव सिस्टिम एक्टिव होता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पूरा डाइजेस्टिव प्रोसेस सही तरीके से चलता है। मीठे आहार जो कार्बोहाइड्रेट और शुगर से भरपूर होते हैं, डाइजेस्टिव प्रोसेस को धीमा करते हैं, जो आपके पेट में भोजन के समय को बढ़ा और सूजन पैदा कर सकते हैं।
परंपराओं जो अतीत में अंधविश्वास माना जाता था, अब वैज्ञानिक सबूत द्वारा समर्थित हैं। अपनी परंपराओं को ईमानदारी से पालन करना सुनिश्चित करें क्योंकि वह आपको आध्यात्मिक रूप के साथ ही साथ वैज्ञानिक रूप से मदद करेंगे!
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