आपको बचपन के वो लम्हे जरूर याद होंगे, जब आपके कान छिदवाए गए थे। उस वक्त के खट्टे-मीठे अहसास आपको लंबे वक्त तक याद रहे होंगे। शुरुआत में कान में हुए दर्द से कुछ दिन आप परेशान रही होंगी लेकिन बाद में जब आपने सुंदर-सुंदर इयरिंग्स पहनी होंगी, तो आपको मजा भी खूब आया होगा। वैसे आजकल कान में मल्टिपल पियर्सिंग और इंट्रस्टिंग कॉम्बिनेशन्स पहने का ट्रेंड भी जोरों पर है। लेकिन अगर हम इसके मूल में जाएं तो हमारे देश में कान छिदवाने का प्रचलन सदियों से है और हमारी संस्कृति का एक हिस्सा रही है। देश के कई हिस्सों में कणवेध संस्कार होता है, जिसके तहत लड़कियों के कान छिदाए जाते हैं। कान छिदवाने की परंपरा हमारे यहां यूं ही नहीं शुरू हुई, इसके पीछे बहुत से हेल्थ बेनिफिट्स भी हैं। जिस जगह कान छेदा जाता है, वह एक्युप्रेशर के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके तहत प्रेशर प्वाइंट पर कान छिदने से वहां की सभी नसें एक्टिव हो जाती हैं। तो आइए जानें कान छिदाने के कुछ फायदे-
कान छिदवाने का दिमाग से अहम कनेक्शन है। कान के निचले हिस्से में एक प्वाइंट होता है, जिससे दिमाग का दांया और बांया हिस्सा जुड़ा हुआ होता है। जब इस प्वाइंट पर छेद किये जाते हैं तो वे दिमाग के उन्हीं हिस्सों को सक्रिय बनाते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि छोटे बच्चों के बचपन में ही कान छिदवा देने चाहिए ताकि वे पढ़ाई में अच्छी तरह से फोकस कर सकें।
कान छिदवाने का यह बेनिफिट आपको सबसे ज्यादा आकर्षक लग सकता है। जिस जगह पर कान छेदे जाते हैं, वहां पर भूख लगने वाला पॉइंट होता है। इस प्वाइंट पर कान छिदने से डाइजेशन की प्रक्रिया सही तरीके से चलती है और इसका फायदा यह होता है कि आपके पेट पर फैट जमा होने में कमी आती है और मोटापा होने की आशंका कम हो जाती है।
आंखों की रोशनी तेज करने में भी कान छिदवाने से मदद मिलती है। कान के निचले हिस्से, जहां कान छिदाए जाते हैं, के पास ही आंखों की नसें भी होती हैं। इस प्रेशर प्वाइंट के प्रेस होने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। तो अगर आपने किन्हीं वजहों से कान नहीं छिदाएं हैं तो इस हेल्थ बेनिफिट पर जरूर विचार करिए।
आंखों और दिमाग के फंक्शन्स में सुधार करने के साथ कान छिदवाना बेहतर सुनने में भी मदद करता है। जिस जगह पर कान को छेदा जाता है, वहां पर एक ऐसा प्वाइंट होता है, जो साफ सुनने में मदद करता है। जाहिर है कान छिदने पर आपकी हियरिंग पावर यानी कि श्रवण शक्ति भी बढ़ जाती है।
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हमारे देश में पहले के समय में बच्चों को गुरुकुल भेजने से पहले उनके कान छिदवा दिए जाते थे। दरअसल ऐसा उनकी दिमागी शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता था। दिमाग तेज रखने की वजह को ध्यान में रखते हुए ही भारत में पैदा होने वाले बच्चों के बचपन में ही कान छिदवा दिए जाते हैं।
अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्टीट्रीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, नर्चर आईवीएफ दिल्ली बताती हैं, 'इयरलोब यानी कान के निचले हिस्से में प्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ने से अस्थमा के लक्षणों में आराम मिलता है। जिन लोगों को सांस लेने या चेस्ट से जुड़ी परेशानियां होती हैं, उन्हें कान छिदवाने से प्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ने से आराम महसूस होता है। वहीं दाईं तरफ के कान का निछला हिस्सा (मार्मा प्वाइंट) छिदने से करने से रीप्रोडक्टिव हेल्थ बनी रहती है।'
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