आपने कभी न कभी बुकर पुरस्कार का नाम जरूर सुना होगा। सालों से यह पुरस्कार लेखनी के क्षेत्र में मिलता है, बता दें कि इस पुरस्कार बुकर कंपनी और ब्रिटिश प्रकाशन संघ द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाता है। नोबेल पुरस्कार के बाद इस पुरस्कार को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार कहा जाता है। इसमें जीतने वाले विजेताओं को प्राइज के साथ-साथ नकद इनाम भी दिया जाते हैं, इसके अलावा भी विजेता साहित्यकारों को तरह-तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। बता दें कि बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंग्लैंड में बुकर मैकोनल कंपनी के द्वारा की गई थी। जिसमें विजेता को 60 हजार पाउंड की राशि दी जाती है। दुनिया का पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।
अब तक दुनिया भर के कई देशों के लेखक यह पुरस्कार जीत चुके हैं, जिनमें कई भारतीय लेखक भी इस लिस्ट में शामिल हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको उन लेखकों के बारे में बताएंगे, जिन्हें बुकर प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं इन भारतीय लेखकों के बारे में-
वी.एस नायपॉल-
वैसे तो उपन्यासकार वी.एस नायपॉल मुख्य रूप से भारत के नहीं हैं, मगर मूल रूप से वो भारतीय हैं। वी.एस.नायपॉल को साल 1971 में ‘इन अ फ्री स्टेट’ के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बता दें कि इसके बाद उन्हें दोबारा ‘अ बैंड इन द रिवर’ के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था।
सर अहमद सलमान रुश्दी -
प्रसिद्ध ब्रिटिश भारतीय उपन्यासकार और निबंधकार सलमान रुश्दी को करीब चार बार बुकर प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया, वहीं उन्हें ‘बुकर ऑफ बुकर्स’ और ‘बेस्ट ऑफ द बुकर’ के लिए सम्मानित किया गया। बता दें कि साल 1981 में सलमान रुश्दी को उनके उपन्यास ‘मिड नाईट चिल्ड्रन’ के लिए बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया।
रोहितों मिस्त्री-
बता दें कि भारतीय कैनेडियन उपन्यासकार रोहितों मिस्त्री बुकर प्राइज के लिए तीन बार नॉमिनेट किए गए। जहां साल 1991 में उनकी रचना ‘सच अ लॉन्ग जर्नी’ काफी चर्चा में रहा। इसके बाद रोहितों मिस्त्री की रचना साल 1996 में ‘अ फाइन बैलेंस’ और 2002 में आई ‘फेमिली मैर्टस’ भी बुकर प्राइज नॉमिनेशन का हिस्सा रही।
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अरुंधती रॉय-
अरुंधति रॉय भारतीय लेखन की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं। वो लेखक होने के साथ-साथ राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं, बता दें कि अरुंधती रॉय ने साल 1997 में आई पुस्तक ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर्स पुरस्कार से सम्मानित किया। यह एक गैर प्रवासी भारतीय लेखक की सबसे अधिक बिकने वाली किताब थी, जिसके बाद अरुंधति रॉय लेखनी की दुनिया में एक बड़ा नाम बन गईं।
इंद्रा सिन्हा-
इंद्रा सिन्हा एक ब्रिटिश भारतीय लेखक हैं। बता दें कि साल 2007 में इंद्रा ने भोपाल गैस त्रासदी पर आधारित ‘एनिमल्स पीपल’ नाम का उपन्यास लिखा था। जो कि बुकर्स की फाइल सूची की हिस्सा रहा था।
किरण देसाई-
किरण देसाई की बेटी अनीता देसाई को अपने उपन्यास ‘द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस’ के लिए 2006 में बुकर्स पुरस्कार जीता था। हालांकि उनकी पहली पुस्तक भी ‘हल्लाबलू इन द ग्वावा ऑर्चर्ड’ भी काफी चर्चित रही थी।
अरविंद अडिगा-
साल 2008 में अरविंद अडिगा को उनके उपन्यास ‘द व्हाइट टाइगर’ के लिए सम्मानित किया गया था। बता दें कि उपन्यास के जरिए अडिगा बुकर पुरस्कार पाने वाले दूसरे सबसे छोटे लेखक बन गए, वो चौथे ऐसे भारतीय लेखक थे, जिन्हें बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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अमिताव घोष-
बता दें कि साल 2008 में बंगाली लेखक अमिताव घोष को उनके उपन्यास ‘सी ऑफ पोप्पिएस’ के लिए सूची में नामांकित किया गया है। बता दें कि साल 2007 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
जीत थाइल-
फेमस भारतीय उपन्यासकार, कवि और संगीतकार जीत थाइल का नाम साल 2012 की सूची में किया गया। यह उनके पहले उपन्यास ‘नार्कोपोलीस’ के लिए था जो एक फिक्शन था। यह 1970 में मुंबई के एक व्यक्ति की कहानी है जो अफीम के नशे में जाने और बाहर आने का वर्णन करती है।
तो ये थे वो भारतीय लेखक जिन्हें बुकर लिस्ट में शामिल किया जा चुका है। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit- wikipedia
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