ऑस्कर अवॉर्ड के बारे में जानें ये खास रोचक तथ्य

ऑस्कर अवॉर्ड फिल्मी दुनिया का बेहद खास अवॉर्ड माना जाता है, आइए जानते हैं ऑस्कर से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में।

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आपने ऑस्कर अवॉर्ड के बारे में जरूर सुना होगा। इसे फिल्म जगत के सबसे फेमस और प्रतिष्ठित अवॉर्ड में से एक माना जाता है। हर साल फिल्मी दुनिया में इस अवॉर्ड का इंतजार बड़ी बेसब्री के साथ किया जाता है। बता दें कि कुछ समय पहले ही साल 2022 के ऑस्कर नॉमिनेशन की घोषणा की गई , जिनमें दुनिया की कई बड़ी फिल्मों ने अपनी जगह बनाई है। भारत की तरफ से भी दो फिल्मों 'मराक्कर' और 'जय भीम' को बेस्ट मूवी कैटेगरी में चुना गया था, मगर दोनों ही फिल्में फाइनल लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाईं। बता दें कि भारत की डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर’ ने ऑस्कर की फाइनल लिस्ट में अपनी जगह बनाई है।

यह 94वां ऑस्कर अवॉर्ड लॉस एंजेलिस में आयोजित किया जाएगा। वहीं 27 मार्च को विनर्स की घोषणा की जाएगी। तो यह थी इस साल के ऑस्कर से जुड़ी बात, मगर आज हम आपको इस अवॉर्ड से जुड़े कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में बताएंगे। तो देर किस बात की आइए जानते हैं ऑस्कर से जुड़े कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में-

ऑस्कर का असली नाम और इतिहास-

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आप में से ज्यादातर लोग इस अवॉर्ड को ऑस्कर के नाम से जानते हैं। मगर इसका असली नाम ‘अकादमी अवॉर्ड ऑफ मेरिट’ है। इस पुरस्कार का आयोजन सबसे पहली बार 16 मई साल 1929 में किया था।

मेटल की कमी के कारण इस तरह से बनाई गई थी ट्रॉफी-

बता दें कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान मेटल की भारी कमी थी। जिस वजह से तीन सालों तक ऑस्कर की ट्रॉफी को प्लास्टर की मदद से बनाया गया और उसपर पेंट करके गोल्डन कलर चढ़ाया गया था। बता दें कि केवल एक बार लकड़ी की ट्रॉफी को भी तैयार किया था, जिसे साल 1938 में अमेरिकी एक्टर Edgar Bergen को दिया गया था।

यहां किया गया था पहला अवॉर्ड समारोह-

ऑस्कर के पहले समारोह को अमेरिका के रूजवेल्ट होटल में आयोजित किया गया था और इस समय यह शो केवल 15 मिनट तक ही चला था। समारोह के बाद पोस्ट समारोह की पार्टी अमेरिका के मेफेयर होटल में दी गई थी।

किस तरह से बदला विजेता के नाम घोषित का तरीका-

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1929 में ऑस्कर अवॉर्ड के विजेताओं के नाम तीन महीने पहले ही दे दिए गए थे। मगर दूसरे ऑस्कर समारोह में यह फैसला लिया गया कि विजेताओं के नाम अवॉर्ड सेरेमनी की रात 11 बजे मीडिया को दिए जाएंगे। यह सिलसिला साल 1941 तक चला, इसके बाद साल 1941 में नया तरीका सामने आया जो अभी तक चलता है। इसमें समारोह के मौके पर नॉमिनेटेड सूची से विजेताओं के नाम बंद लिफाफे से निकाले जाते हैं।

साल 1930 में किया गया रेडियो पर प्रसारण-

साल 1930 में ऑस्कर समारोह को पहली बार रेडियो पर प्रसारित किया गया था, वहीं साल 1953 में अवॉर्ड को पहली बार टीवी पर दिखाया गया। बता दें कि आज करीब 200 देशों में इस अवॉर्ड सेरेमनी का सीधा प्रसारण किया जाता है, इसके अलावा अब इसे ऑनलाइन भी बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।

विजेता के पास नहीं रहता है ट्रॉफी का मालिकाना हक -

आप में से बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि ऑस्कर की ट्रॉफी का मालिकाना हक विजेता के पास नहीं होता है। वह अपनी ट्रॉफी को किसी दूसरे इंसान को बेच नहीं सकता है। यह नियम साल 1950 में लागू किया गया था, जिसके पीछे का कारण एक एग्रीमेंट है। बता दें कि अवॉर्ड से पहले विजेता से साइन कराया जाता है कि वो अपनी ट्रॉफी को अगर बेचना चाहे भी तो केवल 1 डॉलर में अकादमी को ही बेच सकता है। अगर कोई भी सेलिब्रिटी ऐसा नहीं करता तो उसका ट्रॉफी पर कोई भी अधिकार नहीं होता है।

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किस तरह की फिल्मों को किया जाता है नॉमिनेट-

किसी भी फिल्म को इस अवॉर्ड में नॉमिनेट होने के लिए कई स्टैंडर्ड पूरे करने होते हैं। जैसे कि फिल्म को करीब 40 मिनट का होना चाहिए, इसके अलावा फिल्म 35 एमएम और 70 एमएम की होनी चाहिए। बता दें कि ऐसे ही कई और पैरामीटर्स भी हैं, जिनके तहत किसी भी फिल्म को इस अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन में भेजा जाता है।

भारत की पहली फिल्म जिसे ऑस्कर के लिए गिया गया था नॉमिनेट-

फिल्म ‘मदर इंडिया’ भारत की पहली फिल्म थी, जिसे साल 1958 ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था। हालांकि फिल्म को कोई अवॉर्ड नहीं मिला था मगर इस फिल्म के बाद से ही ऑस्कर में भारतीय फिल्मों को भी नॉमिनेट किया जाने लगा।

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इन भारतीयों को मिल चुका है ऑस्कर-

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भानु अथैया-

ऑस्कर पाने वाली पहली भानु अथैया थीं, जिन्हें साल 1983 में फिल्म ‘गांधी’ में कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए ऑस्कर दिया गया था। बता दें कि इससे पहले भानु अथैया करीब 100 फिल्मों में कॉस्ट्यूम डिजाइन कर चुकी थीं।

सत्यजीत रे-

भारतीय सिनेमा को बड़े मुकाम तक पहुंचने वाले फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे ने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। बता दें कि साल 1992 में उन्हें ऑस्कर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था। जब उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया, उस में वो अस्पताल में थे। तब उन्होंने अस्पताल से ही लाइव स्पीच थी थी।

ए.आर रहमान-

फिल्म ‘स्लम डॉग मिलेनियर’ के लिए संगीतकार ए.आर रहमान को भी ऑस्कर से सम्मानित किया जा गया है, जिसके लिए एक साथ उन्हें दो ऑस्कर अवॉर्ड दिए गए थे। इस फिल्म में संगीतकार ए.आर रहमान ने ‘जय हो’ गाना गाया था।

गुलजार -

साल 2009 में ही दो भारतीयों को ऑस्कर से सम्मानित किया गया था। जिसमें गुलजार साहब और रहमान साहब दोनों ही थे। बता दें कि फेमस शायर, डायरेक्टर और संगीतकार गुलजार साहब को फिल्म 'स्लम डॉग मिलेनियर' के लिरिक्स राइटिंग के लिए ऑस्कर से सम्मानित किया था।

रेसुल पोक्कुट्टी-

बता दें कि फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर के लिए रेसुल पोक्कुट्टी को ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उन्हें बेस्ट साउंड मिक्सिंग के लिए ऑस्कर पुरस्कार दिया गया था। इस फिल्म में कई भारतीय कलाकार शामिल थे।

तो ये थे ऑस्कर से जुड़े कुछ बेहद इंटरेस्टिंग फैक्ट, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

image credit- jagran, britanica.com, wikipedia

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