Independence Day 2023: कल यानी 15 अगस्त भारत के लिए बेहद खास दिन है। भारत को आजाद हुए कल 77 साल हो जाएंगे। कहा जाता है कि भारत की आजादी की क्रांति 1857 में मेरठ से शुरू हुई थी। यही वो समय था, जब देशवासियों में स्वतंत्रता की अलग आग जगी थी। बहुत कम लोगों को पता है कि आजाद भारत में लाल किले पर फहराया गया खादी का तिरंगा मेरठ के क्षेत्रीय गांधी आश्रम में ही तैयार हुआ था।
किसने सिला था आजाद भारत का पहला झंडा
खादी का पहला झंडा मेरठ के नत्थे सिंह ने सिला था। कहा जाता है कि नत्थे सिंह अपने अंतिम समय तक तरंगों की सिलाई करते रहे थे। उनके बाद उनके बेटे रमेश चंद्र तिरंगे सिलते हैं।
मेरठ में ही क्यों बना था आजाद भारत का तिरंगा?
दैनिक भास्कर से बात करते हुए नत्थे के बेटे रमेश कहते हैं कि आधिकारिक रूप से कभी इस बात का जिक्र नहीं हुआ। लेकिन 1947 में अगस्त में जो लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहराया गया था, वो मेरठ में तैयार हुआ था। अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि आखिर मेरठ को ही तिरंगा बनाने के लिए क्यों चुना गया। दरअसल दिल्ली से मेरठ बहुत पास है, इसी को देखते हुए इस जगह को चुना गया था।
जब रातों-रात तैयार हुआ था झंडा
उस समय रातों रात नया तिरंगा लाने का एक बहुत बड़ी परेशानी थी। 14 अगस्त से पहले तिरंगा बनाना अंग्रेजी हुकूमत के हाथों अपनी बलि चढ़ाने के समान था। इसी वजह से तय हुआ कि मेरठ के क्षेत्रीय गांधी आश्रम से तत्काल तिरंगा बनवाकर लाया जाए। कुछ क्रांतिकारियों का दल मेरठ से तिरंगा बनवाकर लेकर गए थे।
किसने किया था तिरंगा डिजाइन?
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के भाटलापेनुमारु गांव में जन्मे पिंगली वेंकय्या ने 2 अगस्त 1876 में तिरंगा डिजाइन किया था। वेंकय्या तेलुगु ब्राह्मण परिवार से थे और उनके पिताजी हमेशा से ही चाहते थे कि पिंगली गांव के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन करें।
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