भले ही भारत आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहा है। मगर आज भी भारत के कुछा गांवों में आधुनिकता लोगों के मानसिकता को नहीं बदल पाई है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि आज भी गांवों में महिलाओं केवल रसोई तक ही सीमित रखा जाता है। पढ़ाई से उनका दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। ऐसा ही एक गांव हरियाणा और राजस्थान की सीमा पर है। गांव का नाम मेवात है। यह बेहद छोटा गांव है और यहां के लोगों का मानना है कि लड़कियों को केवल घर के काम आने चाहिए पढ़ाई लिखाई से उन्हें दूर ही रखना अच्छा है। मगर गांव वालों की इस सोच को 24 वर्ष शाहनाज खान ने गलत साबित कर दिया है।
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बीते दिनों शाहनाज को मेवात गांव की सरपंच बनाया गया है। बताया जा रहा है कि मेवात गांव के इतिहास में शाहनाज के मात्र ऐसी लड़की हैं जो इतनी पढ़ी लिखी हैं। इतना ही नहीं गांव में पहली बार इतनी पढ़ी लिखी कोई सरपंच मिली है। शाहनाज अभी इतनी छोटी हैं कि उनकी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है। वह अभी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित तीर्थांकर महावीर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। वह इस वक्त मैडिकल के चौथे वर्ष में हैं और इस वक्त अपनी प्रैक्टिकल परीक्षाएं भी दे रही हैं। उनके डॉक्टर बनने से पहले ही गांव के लोगों ने उन्हें अपना सरपंच बना दिया है।
गांव की सबसे युवा संरपंच होने के साथ ही शाहनाज गांव की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी सदस्य हैं। शाहनाज के गांव में लड़कियों को पढ़ने के लिए स्कूल भी नहीं भेजा जाता है। ऐसे में शाहनाज का डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर पाना गांव के लिए और उनके खुद के लिए गर्व की बात है। मगर शाहनाज एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद आगे भी पढ़ना चाहती हैं। वह कहती हैं, 'ये मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे गांव का सरपंच चुना गया है। मगर गांव की सरपंच होने के नाते में एक ऐसा उदाहरण बन कर गांव वाले के सामने आना चाहती हूं कि इनकी सोच बदल जाए और यहां रहने वाले सभी लोग अपनी अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजने लगें।' इसलिए शाहनाज जल्द ही गुड़गांव के सिविल अस्पताल में अपनी इंटर्नशिप शुरु करने जा रही हैं। शाहनाज इंटर्नशिप पूरी होने के बाद मेडिकल में पोस्ट ग्रैजुएट भी करेंगी।
आपको बात दें कि शाहनाज को राजनीति विरासत में मिली है। उनके दादा भी राजनीति में थे और माता पिता भी राजनिती से जुड़े हुए हैं। शाहनाज की मां कमन विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं। वहीं, शाहनाज के पिता जलीस खान कमन प्रधान यानि पंचायत निकाय के ब्लॉक स्तर के प्रमुख रह चुके हैं। शाहनाज खान की मां जाहिदा ने कहा, “मेरा परिवार लोगों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। शाहनाज ने राजनीति अपने दादा के सपनों को पूरा करने के लिए ज्वाइन की है। शाहनाज मीयू समुदाय के लिए अपनी सेवा देगी, क्योंकि वे काफी पिछड़े हुए हैं।”
अपने राजनीति में आने के फैसले पर शहनाज का कहना है कि पिछले छह माह में मेरी जिदगी बिल्कुल बदल गई, मुझसे पहले मेरे दादाजी भी इसी गांव के सरपंच थे, लेकिन वर्ष 2017 में किन्हीं कारणों के चलते कोर्ट ने उनका निर्वाचन खारिज कर दिया था। इसके बाद गांव और परिवार में यह चर्चा शुरू हो गई कि किसे चुनाव लड़ाया जाए। इसी बीच मेरा नाम सामने आया गया।
शहनाज का कहना है कि मेरे सरपंच बनने से मेवात की लड़कियां शिक्षा को लेकर जागरूक होंगी । अभिभावक भी इस ओर ध्यान देंगे । शहनाज का कहना है कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के मेवात इलाके में रहने वाले लोगों को शैक्षिक,आर्थिंक और राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ा माना जाता है। अब इस पिछड़ेपन को दूर करना मेरा मुख्य मकसद रहेगा ।
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