10 महिला सांसदों ने पुराने संसद भवन की याद में हाथ से लिखी नोट किया साझा

नए संसद भवन के परिसर में जाने से पहले विदाई की तैयारी में 10 महिला सांसदों ने पुराने संसद भवन से जुड़ी अपनी यादों को साझा करने के लिए हाथ से लिखी नोट साझा किया है। 

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आज 10 महिला सांसदों ने पुराने संसद भवन की अपनी यादों को कुछ अनोखे ही अंदाज में साझा किया है। इस नोट में मैसेज देते हुए, अपने निजी अनुभव को हाथ से लिख कर साझा किया है। क्योंकि आगामी विशेष सत्र के लिए सभी सांसद नए परिसर में जाने से पहले विदाई देने की तैयारी कर रहीं।

अनेकों राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाली सांसदों ने उस इमारत को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जो भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का केंद्र रही है। आइए जानते हैं क्या कहा, इन 10 महिला सांसदों ने, जिसमें स्मृति ईरानी, सुप्रिया सुले, महुआ मोइत्रा, अनुप्रिया पटेल, प्रियंका चतुवेर्दी, पूनम महाजन, हरसिमरत कौर बादल, नवनीत राणा, राम्या हरिदास और पी.टी. उषा का नाम शामिल है।

केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद स्मृति ईरानी ने अपने नोट में अपनी "शुभकामनाएँ!" साझा कीं।

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महिला सांसद सुप्रिया सुले

दूसरी ओर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी की महिला सांसद सुप्रिया सुले ने संसद भवन में सत्र में भाग लेने का अवसर देने के लिए महाराष्ट्र और बारामती लोकसभा क्षेत्र के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

सुप्रिया सुले अपने नोट में लिखा, "मुझे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा बनने और पुराने खूबसूरत संसद भवन में सत्र में भाग लेने का अवसर देने के लिए महाराष्ट्र और बारामती के लोगों को धन्यवाद और आभार, यहां उन नेताओं की आवाज गूंजती है जिन्होंने हमारे सुंदर देश के विकास में योगदान दिया है।

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कांग्रेस सांसद राम्या हरिदास ने इमारत के महत्व को याद करते हुए इसे "लोकतंत्र का महल" और "मजबूत निर्णयों का जन्मस्थान" कहा। उन्होंने इसके ऐतिहासिक महत्व और स्थायी यादों पर जोर दिया।

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महिला सांसद महुआ मोइत्रा

टीएमसी की महुआ मोइत्रा ने कहा कि इमारत का "मेरे दिल में हमेशा एक विशेष स्थान रहेगा, जैसा कि किसी के पहले घर का होता है"।

"इस महान हॉल ने हम सभी को गले लगाया, इमारत बदल सकती है लेकिन इसका प्रतीकवाद-एक स्वतंत्र देश के स्वतंत्र रूप से निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए एक मुक्त स्थान, वह है जो अनिवार्य है हम सभी को बिना टूटे हुए बनाए रखने के लिए, राजकोष और विपक्ष दोनों और हमें इसके कोकून में अपने छोटे कोने ढूंढने में मदद की।

अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कहा कि उन्हें पुरानी इमारत में बिताए सभी अनमोल समय अच्छे से याद है और उन्होंने कहा, "जब मैं पहली बार संसद में प्रवेश कर रही थी तो यह मेरे लिए एक महान स्मृति थी। इस संसद ने मुझे बहुत सी चीजें सीखने का मौका दिया। यह लोकतंत्र का एक वास्तविक मंदिर है।"

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महिला सांसद प्रियंका चतुर्वेदी

शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी ने पुराने संसद भवन की याद में हाथ से लिखी नोट के जरिए से कहा, "यादें, सीख, नीति निर्माण, दोस्ती, इतिहास और इस वास्तुशिल्प चमत्कार की सुंदरता जिसने गहन बहस और व्यवधान देखे हैं।

प्रियंका चतुर्वेदी कहा" एक नया घर, फिर से लाल बलुआ पत्थर में "दिग्गज और इतिहास निर्माता सभी इसके परिसर में काम करते हैं। संसद ने एक आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में हमारी 75 साल की यात्रा को आकार दिया है। इस यात्रा का हिस्सा बनने पर गर्व है और उम्मीद है कि इस संसद का सार नए भवन में भी जारी रहेगा।"

भाजपा सांसद पूनम महाजन ने काव्यात्मक ढंग से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "अंतिम जय का वज्र बनाएं, नव दधीचि हड्डियां गलाएं। आओ फिर से दीया जलाएं।"

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महिला सांसद हरसिमरत कौर बादल

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने अपने नोट में पुराने संसद भवन के पवित्र हॉल के भीतर अपनी यात्रा का जिक्र किया। जिसमें उन्होंने कहा, "2006 में एक यादगार विजिट से लेकर 2009 में पहली बार सांसद, फिर 2014 में पहली बार मंत्री बनने तक, लोकतंत्र के इस मंदिर के ये 144 स्तंभ मेरे लिए ढेर सारी यादें रखते हैं।" हरसिमरत कौर बादल ने कहा, "हजारों भारतीय कलाकारों, मूर्तिकारों और मजदूरों के इतिहास और हस्तकला से सजाया गया यह खूबसूरत इमारत गहरी शिक्षा और अपार संतुष्टि की जगह रही है।"

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महिला सांसद अनुप्रिया पटेल

मौजूदा, केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) सांसद अनुप्रिया पटेल ने अपने नोट में संसद भवन में अपने पहले कदम को याद किया। उन्होंने अपने नोट में कहा, "मैं गहराई से महसूस कर सकती हूं कि मैं एक ऐतिहासिक इमारत में प्रवेश कर रही हूं, जिसने 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिलते, हमारे संविधान के निर्माण और हमारे देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के विकास और मजबूती को देखा।"

राज्यसभा सांसद और महान धावक पी.टी. उषा ने अपना अनूठा दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने संसद भवन की अपनी यात्राओं और साथी सांसदों से मिले गर्मजोशी भरे स्वागत को याद करते हुए उनके समर्थन और सहयोग पर जोर दिया।

20 जुलाई, 2022 का दिन मेरे लिए बहुत खास दिन था। मैंने अपने जीवन में पहली बार अपने दाहिने पैर से राज्यसभा में कदम रखा, अपने दाहिने हाथ से सीढ़ी को छुआ और 'हरि ओम' का जाप किया। "सियोल में स्वर्ण पदक जीतने के बाद मैं पहली बार वर्ष 1986 में एक दर्शक के रूप में इस खूबसूरत संसद भवन में गया था। वह समय आज भी याद है कि सभी माननीय सांसदों ने मुझे बधाई और शुभकामनाएं दी थीं। उसके बाद भी मैंने किसी विशेष उद्देश्य से दो या तीन बार दौरा किया।

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आपको बता दें कि संसद का एक सत्र सोमवार को शुरू होने वाला है, इस बात पर गहन चर्चा है कि क्या सरकार इमारत में पांच दिवसीय बैठक के दौरान कुछ खास योजनाएं लाएगी, जिसमें संसद की 75 साल की यात्रा और सदन की कार्यवाही को नई दिशा में ले जाने पर चर्चा होगी।

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Pic: PTI

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