आजकल महिलाएं बखूबी घर और बाहर की जिम्मेदारी संभाल रही है। घर और बाहर की चीजों को साथ में मैनेज करना काफी मुश्किल हो सकता है। मां बनने के बाद, यह चैलेंज काफी हद तक बढ़ जाता है। नौकरी और घर के कामों के साथ, बच्चों को संभालना, सिखाना और सही परवरिश देना आसान नहीं है। बेशक, इसमें पार्टनर और घर के बाकी सदस्यों को हाथ बंटाना चाहिए। लेकिन, साथ ही, आप बच्चों को कुछ आसान चीजें सिखाकर, अपने काम और बच्चों के आने वाले कल को आसान बना सकती हैं। मां के लिए बच्चों को वक्त देना जरूरी है पर बच्चों को कुछ काम खुद करना भी सिखाना चाहिए। ऐसे कौन-से स्किल्स हैं, जो वर्किंग मदर्स को बच्चों को जरूर सिखाने चाहिए, इस बारे में हमने एक्सपर्ट से बात की। चलिए, आपको बताते हैं कि एक्सपर्ट के मुताबिक, बच्चों को कौन-से स्किल्स जरूर सिखाने चाहिए। यह जानकारी, शालिनी अग्रवाल, इंटरनेशल सर्टिफाइड ट्रेनर और सॉफ्ट स्किल्स कोच, दे रही हैं।
छोटी-मोटी मुश्किलें खुद हल करने की क्षमता
वर्किंग मदर्स को बच्चों में यह स्किल जरूर डेवलेप करना चाहिए। इससे बच्चों का खुद पर भरोसा बढ़ता है। उम्र के हिसाब से, आपको बच्चों को वो बातें बतानी चाहिए, जिन्हें अब वे खुद हल कर सकते हैं। इससे हर सिचुएशन में बच्चा, आपकी मदद मांगने के बजाय, खुद समाधान निकालने की कोशिश करेगा। इससे आपका काम तो आसान होगा ही, साथ ही, बच्चे आने वाले कल के चैलेंजेस के लिए खुद को तैयार कर पाएंगे।
फैसले लेना सिखाना
बेशक बच्चे जिंदगी के हर फैसले को खुद नहीं ले सकते हैं। उनके समझदार होने तक, उनसे जुड़े फैसले पैरेंट्स ही लेते हैं। लेकिन, अपने लिए कपड़े सलेक्ट करना, वीकेंड की एक्टिविटी डिसाइड करना, फ्रेंड के लिए गिफ्ट लेना, जैसे छोटे-छोटे फैसले आप बच्चों को लेना सिखाएं। इससे बच्चे हर ऑप्शन की अच्छाई और बुराई को समझेंगे। अगर बच्चा कोई गलत फैसला लेता है, तो उसे रोकें और समझाएं। लेकिन, उसे धीरे-धीरे फैसले लेने दें।
टाइम मैनेज करना सिखाना
बच्चों को टाइम मैनेजमेंट सिखाना बहुत जरूरी है। उन्हें कितना वक्त खुद को देना है, कितना वक्त पढ़ाई को देना है, कब खेलना है और कब बाकी एक्टिविटीज करनी हैं, ये तय करने के लिए बच्चों को प्रेरित करें। उनसे अपने लिए एक टाइमटेबल बनाने को कहें। अगर आपको कुछ बदलाव की जरूर लगें, तो बेशक उन्हें बताएं।
अपनी बात खुलकर कहना
बच्चों को खुलकर अपनी बात कहना सिखाना बहुत जरूरी है। बच्चे को अपने इमोशन्स, फीलिंग्स और जरूरतों के बारे में खुलकर बात करना आना चाहिए। उनका दिन कैसे बीता, स्कूल या बाहर कोई परेशानी तो नहीं हुई या कोई सवाल अगर बच्चे के मन में है, तो उन्हें वो पूछने चाहिए।
यह है एक्सपर्ट की राय
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