Is there any compensation in case of a government bus accident: बीते रविवार को प्रयागराज से आ रही रोडवेज बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। यह हादसा रोड के किनारे खड़े डंपर से टकराने के कारण हुई। यह टक्कर इतना तेज था कि इसकी आवाज आसपास के इलाके में गूंजी। हादसे में बस ड्राइवर की मौत और कुछ लोगों को गंभीर चोटें आई थी। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, जब किसी बस का एक्सीडेंट हुआ। ऐसी तमाम खबरे हम सभी रोजाना पढ़ते और सुनते रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जब कोई सरकारी बस ऐसे हादसे का शिकार होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होता है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति के परिवार का कोई शख्स इसमें शामिल है, तो क्या उसे कोई मुआवजा मिलता है। हालांकि आज भी अधिकतर लोगों को इस विषय में जानकारी नहीं है, कि इसे लेकर क्या प्रावधान है।
इस लेख में आज हम आपको इस विषय के बारे में बताने जा रहे हैं कि अगर ऐसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता है और मुआवजा पाने का क्या प्रोसेस है।
बस दुर्घटना किसी भी वजह से हो सकती है। लेकिन कानूनी रूप से सरकारी बस अगर किसी हादसे का शिकार होता है, तो इसकी जिम्मेदारी राज्य परिवहन निगम की मानी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ड्राइवर निगम का कर्मचारी होता है। साथ ही बस का रखरखाव भी निगम की जिम्मेदारी होती है। अगर दुर्घटना ड्राइवर की लापरवाही या बस में तकनीकी खराबी की वजह से हुई है, तो राज्य परिवहन निगम ही जिम्मेदार होगा। वहीं दुर्घटना अगर किसी तीसरे पक्ष की लापरवाही से हुई होती है, तो जिम्मेदारी तीसरे पक्ष की हो सकती है।
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अगर रोडवेज बस का एक्सीडेंट ड्राइवर या तकनीकी खराबी की वजह से होती है, तो उसका मुआवजा सरकार देती है। बता दें कि यह मुआवजा आम तौर पर दो तरह से दिया जाता है, तत्काल और कानूनी मुआवाजा। कई राज्य परिवहन निगम दुर्घटना में मृतकों के परिजनों और घायलों को तत्काल आर्थिक सहायता देते हैं। यह मुआवजा दुर्घटना की गंभीरता के आधार पर तय की जाती है। इसका खास उद्देश्य पीड़ित परिवारों को शुरुआती राहत देना होता है।
कानूनी मुआवजा, इस में पीड़ित या उनके परिवार मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में मुआवजे के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, जो सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों को देखता है। इस मुआवजे की राशि पीड़ित की उम्र, इनकम, चोट की गंभीरता और परिवार के लोगो की संख्या जैसे कारणों के आधार पर तय की जाती है। बता दें कि सरकारी बसों का बीमा नहीं होता, इसलिए मुआवजा राज्य परिवहन निगम के फंड से दिया जाता है।
भारत में, सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े सभी मामलों को लेकर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 मुख्य कानून है। इस अधिनियम के अंतर्गत,पीड़ित व्यक्ति या उनके परिवार वाले मुआवजे के लिए दावा कर सकते हैं। यह दावा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) में किया जाता है, जो हर जिले में स्थापित एक विशेष अदालत है।
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