अगर कोई शिव का भक्त है, तो उसे रुद्राक्ष का महत्व पता ही होगा। रुद्राक्ष का इस्तेमाल हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है और इसलिए ही इसे धारण करने, हवन में इस्तेमाल करने या फिर भगवान पर चढ़ाने का महत्व है। वैसे तो एक मुखी, दो मुखी, पांच मुखी जैसे कई तरह के रुद्राक्ष होते हैं, लेकिन इन्हें किस तरह से पहचाना जाए, यह सबको नहीं पता होता। अगर आपने कभी रुद्राक्ष खरीदा है, तो आपको पता होगा कि इसकी कीमत हजारों में होती है।
एक रुद्राक्ष की माला खरीदने के लिए आपको 1000 से 15000 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि अगर आप कुछ महंगी चीज खरीद रही हैं, तो उसका इस्तेमाल भी ठीक तरह से किया जा सके। ऐसे में अगर आपको कोई असली रुद्राक्ष की जगह कुछ नकली दे दे, तो आपको भी खराब लगेगा। फेक रुद्राक्ष मार्केट में मिलना बहुत आसान है और नकल इतने सही तरीके से की जाती है कि लोग इसके बारे में पता ही नहीं कर पाते।
अगर आपके पास भी रुद्राक्ष है या फिर आप इसे खरीदने के बारे में सोच रही हैं, तो हम आपको कुछ टिप्स बताएंगे जिससे फेक और असली रुद्राक्ष की पहचान की जा सकती है।
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इसकी कहानी शिव महापुराण में लिखी गई है। उसके अनुसार एक समय की बात है जब भगवान शिव अपनी 1000 साल की समाधी से बाहर आए थे तब उन्होंने संसार की हालत देखकर आंसू बहाए थे। जहां-जहां उनके आंसू गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष के पेड़ उग गए। यही कारण है कि रुद्राक्ष का महत्व शिव पूजा के लिए बहुत माना जाता है और ऐसी भी मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने से दुख और पीड़ा का विनाश होता है।
वैसे तो रुद्राक्ष कोई भी पहन सकता है, लेकिन फिर भी इसे पहनने से पहले आपको किसी ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए। इसे धारण करने का सही तरीका क्या है, किस तरह का रुद्राक्ष धारण करना है यह सब कुछ आपको जान लेना चाहिए।
अब बात करते हैं उन टिप्स की जो बताएंगे कि रुद्राक्ष की पहचान आप सही तरीके से कर सकती हैं या नहीं।
असली रुद्राक्ष को पहचानने का तरीका यह है कि उसे पानी में उबाला जाए और कुछ देर बाद इसे देखा जाए। अगर रुद्राक्ष का रंग बदल गया है, तो वह नकली है और अगर रुद्राक्ष पर कोई असर नहीं हुआ, तो वह असली है। नकली रुद्राक्ष का रंग बदलने के साथ-साथ उसकी बनावट पर भी असर पड़ सकता है।
पानी से जुड़ा ही एक और तरीका भी बताया जाता है। रुद्राक्ष को खाली पानी में डालकर देखें। असली रुद्राक्ष पानी में तैरता है और नकली वाला डूब जाता है। हालांकि, यह तरीका फुल प्रूफ नहीं है क्योंकि कई ऐसे मटेरियल भी होते हैं जिनके रुद्राक्ष काफी हल्के होते हैं और ये आसानी से तैर सकते हैं। इसलिए इसे एकदम सही तरीका नहीं कहा जा सकता है।
जब रुद्राक्ष को सरसों तेल में डुबोया जाता है, तो उसका रंग और गहरा हो जाता है। हमेशा गहरे रंग का रुद्राक्ष ही सही माना जाता है और हल्के रंग वाला अच्छा नहीं माना जाता है। हालांकि, ऐसा भी हो सकता है कि असली रुद्राक्ष में आर्टिफीशियल रंग चढ़ा दिया गया हो। अगर कोई लंबे समय तक रुद्राक्ष पहनता है, तो उसका रंग बदलता हुआ देख सकता है।
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अगर रुद्राक्ष के बीच में सुई डाली जाए और दूसरे साइड से फाइबर्स निकलें, तो रुद्राक्ष असली है। नहीं तो यह फेक भी हो सकता है।
रुद्राक्ष का शेप कभी भी एक जैसा नहीं रहता है। उसका सरफेस हमेशा ऊबड़-खाबड़ रहेगा, लेकिन फेक रुद्राक्ष अधिकतर एक जैसे ही दिखते हैं। इसलिए सबसे पहला अंतर तो आप शेप देखकर ही समझ सकते हैं।
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