ऑटिज्म यानी स्वलीनता, जो की बच्चों से संबंधित एक मानसिक समस्या है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चा अपने आप में ही खोया रहता है। ऐसे बच्चे लोगों के सामने आने और बोलने में संकोच करते हैं। ऐसे में, बच्चे सामाजिकता एवं व्यावहारिकता नहीं सीख पाते हैं। इन बच्चों को व्यावहारिक और अनुशासित बनाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। ये बच्चे अक्सर आपकी बात का भी जवाब नहीं दे पाते हैं। इससे कई माता-पिता उन पर गुस्सा करने लगते हैं। हालांकि, यह सही नहीं है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए स्वयं को भी अनुशासित और संयमित होना पड़ता है। ये सारी बाते हम नहीं बल्कि आर्टेमिस अस्पताल के चिल्ड्रेन सेंटर की बाल चिकित्सा फिजियोथेरेपिस्ट मोहिनी का कहना है। उन्होने इसके अलावा, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के पैरेंट्स के लिए कुछ टिप्स बताए हैं, जिसे फॉलो करके आप उन्हें अनुशासन सिखा सकती हैं।
बच्चे के व्यवहार को समझें
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चा अपनी कई भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता है। जैसे, कई बार ऐसे बच्चे अपने साथ वाले बच्चों को काट लेते हैं, चिल्लाते हैं, लोगों से आंख नहीं मिलाते और कभी-कभी खुद को भी नुकसान पहुंचा लेते हैं। ऐसे में, उन पर भड़कने और गुस्सा करने के बजाय उनकी भावनाओं को समझना चाहिए। पेरेंट्स को हर ऐसी बातों से बचना चाहिए जिनसे बच्चे का व्यवहार ट्रिगर होता हो।
बच्चे को सकारात्मक माहौल दें
ऐसे बच्चे गुस्से और डांट के बजाय सकारात्मक तरीके से ज्यादा सीखते और समझते हैं। बच्चे की अच्छी आदतों पर ध्यान दें और उन आदतों के लिए उसकी प्रशंसा भी करें। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चा किसी मॉल में शॉपिंग के दौरान शोर नहीं करता और अच्छे से शॉपिंग करने देता है, तो इस बात की प्रशंसा करें और इनाम के तौर पर उसे उसकी पसंद का कुछ खिलाएं। इससे बच्चे अपनी उग्रता को छोड़ने और अनुशासन अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।
शांत रहने के तरीके सिखाएं
बच्चे को ऐसे तरीके सिखाएं जिनसे वह खुद को शांत कर सके। उसे बताएं कि जब कोई बात अच्छी न लगे और गुस्सा आने लगे तो आंखें बंद करके गहरी सांस लेनी चाहिए। आंखें बंद करके उसे कुछ अच्छी बातें याद करने के लिए कहें। ऐसे समय में अगर कोई बड़ा गले लगा ले तो बच्चा शांत अनुभव करेगा। इन तरीकों से बच्चे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सीखते हैं। साथ ही, उनके व्यवहार और तौर-तरीके में भी सुधार आता है।
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माहौल नियंत्रित रखें
बच्चे के आसपास का माहौल उसकी पसंद का रखें। उसके कमरे में उसके पसंदीदा खिलौने रखें। उसके आसपास ऐसी वस्तुएं रखें, जिनसे उसे अच्छा और सुरक्षित अनुभव हो। ऐसे बच्चे कुछ खिलौनों और चीजों से चिढ़ते हैं, उन्हें दूर रखें। ऐसे माहौल में बच्चे को काफी खुशी महसूस होती है, जिससे वह आपकी बात मानने के लिए भी खुद को तैयार कर सकता है।
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दिनचर्या पर दृढ़ रहें
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे दिनचर्या को एकदम व्यवस्थित रखना चाहते हैं। उन्हें सब कुछ तय व्यवस्था के हिसाब से होना अच्छा लगता है। दिनचर्या में किसी भी तरह की रुकावट उन्हें परेशान करता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी दिनचर्या को लेकर पूरी तरह अनुशासित रहें। आपका यह अनुशासन ही बच्चे को अनुशासित बनाने की कड़ी साबित होता है।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चा मानसिक रूप से कमजोर नहीं होता है। उसे बस व्यवहार से जुड़ी कुछ समस्याएं होती हैं। ऐसे में आप अपना व्यवहार अनुशासित रखकर उसे भी व्यावहारिकता का पाठ पढ़ा सकती हैं। आपका अनुशासन ही उसे आत्मविश्वास की राह पर ले जा सकता है।
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Image credit- Herzindagi
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