बॉडी लैंग्वेज में कैसे बढ़ाएं कॉन्फिडेंस? जानें कुछ आसान टिप्स

आपकी बॉडी लैंग्वेज को लेकर शायद आपके मन में भी बहुत से सवाल होंगे। सेल्फ कॉन्फिडेंस के लिए किस तरह की बॉडी लैंग्वेज चाहिए वो हम आपको बताते हैं। 

How to increase self confidence

सेल्फ कॉन्फिडेंस वैसे तो बहुत कॉमन होता है, लेकिन आपके और मेरे जैसे कई लोग इससे जुड़ी समस्याओं से गुजरते हैं। सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी का असर ना सिर्फ हमारे काम और करियर पर पड़ता है बल्कि ये कई बार हमारी निजी जिंदगी को भी खराब कर देता है। सेल्फ कॉन्फिडेंस को बढ़ाने का मतलब है कि आप अपनी बॉडी लैंग्वेज पर भी काम करें। बॉडी लैंग्वेज से जुड़ा एक रिसर्च पेपर बताता है कि अगर आप अपनी बॉडी लैंग्वेज को लेकर कॉन्फिडेंट हैं तो हर काम में कॉन्फिडेंस झलकेगा।

इसी रिसर्च पेपर में सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर के बारे में भी बात की गई है। कई बार अगर आप अपनी बॉडी लैंग्वेज को लेकर कॉन्फिडेंट हो जाती हैं तो इस तरह की सोशल एंग्जाइटी भी खत्म हो जाती है।

अपनी बॉडी लैंग्वेज को सही रखने के लिए कई तरीके हो सकते हैं और उनके बारे में हम आपको बताते हैं।

आई कॉन्टैक्ट बनाए रखें

अगर आई कॉन्टैक्ट की बात करें तो सोशल इंटरेक्शन के लिए ये बहुत ही मददगार साबित हो सकता है। सही आई कॉन्टैक्ट ये दिखाता है कि आप इंटरेस्टेड हैं और कंफर्टेबल हैं। हां, आई कॉन्टैक्ट बनाने का मतलब ये नहीं है कि आप घूरने ही लग जाएं। आपको डायरेक्ट आई कॉन्टैक्ट तो बनाना है, लेकिन लगातार किसी को देखते रहने का मतलब कुछ और होता है।

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कंधे झुकाकर ना बैठें या खड़े हों

सामने की ओर आने का मतलब ये नहीं कि आप कंधे ही झुका लें। ये तरीका दिखाता है कि आप इंटरेस्टेड नहीं हैं। वैसे भी स्लाउच करके बैठना बॉडी लैंग्वेज के हिसाब से अच्छा नहीं माना जाता है। अपनी पीठ को सीधा रखने की कोशिश करें और इस तरह से अपने कंधों को सीधा रखें। अपने पैर बांधकर ना बैठें और कोई भी जरूरी बात करते समय कैजुअल दिखने से बचें। (इन बॉडी लैंग्वेज मिस्टेक्स से बचें)

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बात करते समय सामने की ओर झुकें

ये दिखाता है कि जिस बातचीत में आप इन्वॉल्व हैं आप उसकी तरफ इंटरेस्टेड हैं। हां, एक पर्सनल स्पेस बनाए रखनी चाहिए, लेकिन किसी से बात करते समय थोड़ा सा सामने की ओर झुक जाना ये समझाता है कि उसे बहुत ज्यादा इंटरेस्ट है।

पॉकेट में हाथ डालने से बचें

आपके सामने कोई पॉकेट में हाथ डालकर बात करता दिखे तो अच्छा नहीं लगेगा ना। ऐसा ही होता है जब किसी से बात करते समय आप ध्यान ना दें। यही कारण है कि आपको भी कभी इस तरह से किसी से बात नहीं करनी चाहिए। बॉडी लैंग्वेज के अनुसार इसे या तो कैजुअल बिहेवियर समझा जा सकता है या फिर इसे कॉन्फिडेंस की कमी समझा जाता है। बात करते समय हाथों के जेस्चर्स बहुत ही जरूरी होते हैं।

अपने मूवमेंट्स को धीमा रखें

हाथों के मूवमेंट्स बहुत जरूरी होते हैं ये तो हमने आपको बता दिया, लेकिन अगर आप इन्हें बहुत ज्यादा तेज़ चलाएंगी तो ऐसा लगेगा जैसे आपको बहुत ज्यादा एंग्जाइटी हो रही है। आप कोशिश करें कि आईने के सामने बात करने की प्रैक्टिस की जाए। ये तरीका आपको बताएगा कि आपके कॉन्फिडेंस में कितनी कमी है।

ना बहुत तेज़ ना बहुत धीमे चलें

ये दोनों ही तरीके गलत हैं। अगर आप बहुत तेज़ चलती हैं तो ये लगेगा कि घबरा कर बस बात खत्म करने की कोशिश कर रही हैं और अगर बहुत धीरे चलती हैं तो लगेगा कि आपमें किसी बात को पूरा करने का कॉन्फिडेंस नहीं है। अगर आप किसी के साथ अच्छा पहला इंप्रेशन डालना चाहती हैं तो इस चीज़ से बचना चाहिए।

बार-बार चेहरे पर हाथ ना लगाएं

किसी के बात करते समय अगर आप बार-बार अपने बालों पर, चेहरे पर, गर्दन पर हाथ लगा रही हैं तो ये गलत अंदेशा दे सकता है। ये बताता है कि आप बातचीत करते समय किसी और तरफ ध्यान लेकर जा रही हैं। ये दिखाता है कि आप कॉन्फिडेंट नहीं हैं और इस तरह के मूवमेंट्स से बचना चाहिए।

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हाथ मिलाते समय भी दिखाएं कॉन्फिडेंस

आप अगर किसी से हाथ मिला रही हैं तो वो गर्मजोशी से होना चाहिए। बिना मन के सिर्फ हल्का सा बॉडी जेस्चर देना सही नहीं होता है। ये दिखाता है कि आप सामने वाले में इंटरेस्टेड नहीं हैं।

चिन को ऊपर की ओर रखें

चेहरा झुका कर रखना अच्छा नहीं होता। वैसे तो जब आप आई कॉन्टैक्ट करेंगी तो ही ये हो जाएगा, लेकिन कई लोग आंखें उठा लेते हैं और चेहरा नीचा ही रखते हैं। आपको ये नहीं करना है क्योंकि ये घबराहट का संकेत होता है। इस तरह से नेचुरली बात भी नहीं होगी और इसलिए ये जरूरी है कि आप बोलते समय इस बात का ध्यान रखें।

हाथ-पैरों को बार-बार ना हिलाएं

कई लोगों की आदत होती है कि वो बात करते समय अपने हाथ-पैर लगातार हिलाते रहते हैं। आपको ऐसा नहीं करना है क्योंकि ये एक तरह से एंग्जाइटी को बढ़ाता है और घबराहट का संकेत होता है। कई बार ऐसा लगता है कि इस काम को करने से आपकी घबराहट कम हो जाएगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है। इससे आपका कॉन्फिडेंस नहीं दिखता और इसलिए इसे तुरंत बंद कर दें।

ऐसे ही कई सारी चीज़ें होती हैं जिन्हें हम बिना ध्यान दिए कर देते हैं और इसी कारण ये समझने में दिक्कत होती है कि अब क्या किया जाए। शीशे के सामने खड़े होकर प्रैक्टिस करना बहुत ही अच्छा तरीका साबित हो सकता है। आपका इस मामले में क्या ख्याल है ये हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें।

Image Credit: Shutterstock/ Freepik

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