मैरिड लाइफ का एक इंपॉर्टेंट हिस्सा है फिजिकल इंटिमेसी। आमतौर पर कपल्स फिजिकल इंटिमेसी में काफी दिलचस्पी लेते हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है कि पार्टनर्स के सेक्शुअल बिहेवियर अलग होते हैं। मसलन अरेंज मैरिज में कई बार पति या पत्नी में से किसी एक की फिजिकल इंटिमेसी में ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती, वहीं दूसरे के लिए यह बड़ी प्रायोरिटी होती है। दूसरे मामलों में यह भी देखने को मिलता है कि शुरुआत में फिजिकल इंटिमेसी के बाद एक पार्टनर की फिजिकल इंटिमेसी में रुचि कम या खत्म हो जाती है, जिसकी वजह से कई बार एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हो जाने के मामले भी सामने आते हैं। मैरिड लाइफ में अगर कपल्स इस तरह की प्रॉब्लम से जूझते हैं तो वे इससे काफी ज्यादा परेशान हो जाते हैं, विशेष रूप से तब, जब वे अपने पार्टनर के लिए कमिटेड हों।
रिलेशनशिप कोच पंकज दीक्षित बताते हैं, 'सेक्शुअल डिजायर नॉर्मल चीज है, अगर थोड़ा-बहुत फर्क है, तो यह बहुत सामान्य बात है। अगर इस तरह की इच्छा बहुत कम है या बिल्कुल नहीं है, तो यह थोड़ा अनकॉमन है। हालांकि भारत में ऐसे मामले भी देखने को मिल रहे हैं। 70 फीसदी मामलों में पुरुषों को यह समस्या 'प्रेशर टू परफॉर्म' की वजह से होती है। उनके मन में बार-बार ये खयाल आता है, 'मैं संतुष्ट कर पाऊंगा या नहीं।' यह ज्यादातर साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम होती है। इसमें वाइफ इमोशनली बहुत सपोर्ट कर सकती है। ताना देने या दबाव डालने का उल्टा असर होता है। इसके लिए सही तरीका यह है कि पार्टनर को वक्त दिया जाए। मैरिड लाइफ में दूसरी चीजें भी हैं, जिनसे आप अपने पार्टनर को जता सकती हैं कि आप उनके साथ खुश हैं। इस तरह की प्रॉब्लम में ब्लेम से बचना चाहिए, आप धीरे-धीरे भरोसा दिलाएं। इमोशनली आप क्लोज हो गए तो यह प्रॉब्लम अपने आप सॉल्व हो जाती है। अगर पर्याप्त वक्त देने पर ठीक ना हो तो डॉक्टर को दिखा सकते हैं और यह प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है।'
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पकंज दीक्षित आगे बताते हैं, 'कुछ मामलों में डिजायर लेवल अलग होने पर भी दिक्कत हो सकती है। जब दोनों समान भाव से एंजॉय करें तो तभी इसमें कपल्स बेहतर महसूस करते हैं। इस बात को आप दोनों को ही समझने की जरूरत है। हो सकता है कि किसी बात को लेकर परेशान हों। ऐसे में उसे वक्त देना चाहिए। यह बिल्कुल नेचुरल इंस्टिंक्ट है, इसकी इच्छा करना कोई गलत नहीं है। यह बिल्कुल सामान्य व्यवहार है। इसके बारे में खुलकर बात करें। अगर कोई घटना हुई है तो उसके लिए काउंसलर से बात कर सकती हैं। पति-पत्नी एक दूसरे के अच्छे काउंसलर हो सकते हैं, इसके लिए सिर्फ समय देने की जरूरत होती है। एक्सट्रीम केसेस में जहां पार्टनर्स में बिल्कुल असमानता हो, उसमें भी साइकोलॉजिकल या इमोशनल प्रॉब्लम होती है। पहले कभी मोलेस्टेशन जैसा व्यवहार होने पर बाद में फिजिकली इंटिमेट होने परेशानी महसूस होती है और इच्छा नहीं रहती। महिलाओं को मेंटली इसके लिए तैयार होने में वक्त लगता है और अगर वे तैयार ना हों तो कभी-कभी बहुत असहज भी महसूस होता है। ऐसे में वे इससे परेशान हो सकती हैं। वहीं कई महिलाओं को बहुत दर्द हो सकता है, जिसके कारण वे फिजिकली इंटिमेट नहीं होना चाहतीं। फिजिकल पेन में डॉक्टर को दिखाने से प्रॉब्लम सॉल्व हो सकती है। अगर आप इस तरह का इशु महसूस करती हैं तो आप अपने पति से इमोश्नल, साइकोलॉजिकल या फिजिकल पेन के बारे में बात कर सकती हैं। आदर्श रूप में इस बारे में बात करने के लिए पति से अच्छा कोई और नहीं है।'
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