बेटी के युवावस्था में कदम रखते ही उनके स्वभाव में तरह-तरह के बदलाव आने लगते हैं। कभी वो अचानक से उदास हो जाती है तो कभी खुश। कई बार तो उन्हें महसूस होने लगता है कि उसे समझना वाला कोई नहीं है और वह बिल्कुल अकेली है। इस उम्र में शारीरिक बदलाव भी तेजी से होते हैं। ऐसे में बेटियों को सबसे ज्यादा उम्मीद अपनी मम्मी से होती है। वह अपने मन की हर बात मम्मी से बिना किसी संकोच के कह लेती हैं। वहीं, हर मां का परवरिश का अलग तरीका होता है।
किसी मां का स्वभाव सख्त होता है तो किसी मां का बेहद नर्म। ऐसे में मां का बेटी के साथ सामंजस्य बैठाकर चलना चाहिए। इस उम्र में मां को बेटी की सबसे अच्छी दोस्त बन जाना चाहिए। चूंकि, मां ही बेटी की हर बात को आसानी से समझकर उसका समाधान निकाल सकती हैं। आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि किन तरीकों को अपनाकर आप अपनी बेटी की दोस्त बन सकती हैं।
बात को ध्यान से सुनें
बेटी के युवावस्था में कदम रखते ही उसे कुछ अच्छे तो कुछ बेहद परेशान करने वाले अनुभव होंगे। जिनकी वजह से आपकी बेटी थोड़ी घबराई भी हो सकती है। ऐसे में उसकी बात को ध्यान से सुनें। अगर आप ऐसा नहीं करती हैं तो फिर वो अपने मन की बात आपके साथ कभी शेयर नहीं करेगी। वहीं, अगर आपने बेटी की बात को सुनकर समस्या का हल निकाल दिया तो वह हमेशा अपनी हर बात आपके साथ डिस्कस जरूर करेगी।
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गुस्सा न करें
जब आपकी बेटी कोई बात बताए तो उस पर गुस्सा न करें। इस दौरान अपने को शांत रखने की कोशिख करें। अगर आपको उसकी कोई बात गलत लगती है तो उसके नजरिए ये समझने की कोशिश करें और उसकी परेशानी को दूर करने की कोशिश करें। ऐसा करने से आप अपनी बेटी के और ज्यादा करीब आ जाएंगी और आप दोनों का रिश्ता दोस्ती में तब्दील हो जाएगा।
ज्यादा रोकटोक न करें
युवावस्था में बच्चों का बिगड़ने का सबसे ज्यादा चांस होता है। क्योंकि इस उम्र में अच्छे-बुरे की पहचान कम होती है। लेकिन कई बार ज्यादा रोकटोक उन्हें आपसे दूर कर सकती है। युवावस्था में जब बच्चे देखते हैं कि उनके दोस्त घूमने जा रहे हैं या पार्टी कर रहे हैं तो उनका भी घूमने और पार्टी करने का मन करता है। ऐसे में उन्हें अच्छे-बुरे के बारे में समझाएं और हर बात के लिए उन्हें मना न करें। ऐसा करने से बच्चों और आपका रिलेशन मजबूत होगा और उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान भी होगी।
तानेबाजी न करें
यदि युवावस्था में बेटी से कोई गलती हो गई है तो उसे बार-बार ताने न दें। ऐसा करने से वो अंदर ही अंदर टूटने लगेगी और आपसे हर बात बताना बंद कर देगी। उसको एहसास होगा कि आप उसको समझती नहीं हो बल्कि तानेबाजी करती हो। इसलिए बेटी को दोस्त बनाना है तो ऐसा बिल्कुल न करें।
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दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड करने दें
ज्यादातर देखा जाता है कि कुछ घरों में बच्चों के दोस्तों की एंट्री बैन होती है। कुछ ऐसी बातें होती हैं जो बच्चें दोस्तों के साथ शेयर कर लेते हैं। लड़कियां तो अपनी सहेलियों के साथ ज्यादा सहज महसूस करती हैं। इसलिए बच्चों के दोस्तों को घर आने से न रोकें और बाहर घूमने भी जानें दें। इस तरीके से आपकी बेटी आपके बेहद नजदीक आ जाएगी और उसे हर दम मम्मी के साथ होने का एहसास रहेगा।
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Image Credit: Freepik
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