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Mahashivratri 2024: शिवलिंग पर कितने शमी पत्र चढ़ाने चाहिए?

8 मार्च को देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। शिव जी के प्रिय पर्व में से एक पर्व महाशिवरात्रि में लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए कई तरह से पूजा करते हैं। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-02-20, 18:46 IST

भगवान शिव का प्रिय त्योहर महाशिवरात्रि इस साल 8 मार्च को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि का यह पावन पर्व भगवान शिव को समर्पित है। यह पावन पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह और उनके महामिलन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोगों में काफी उत्साह होता है, रूद्राभिषेक से लेकर शिव महा पूजन तक, लोग इस दिन कई अलग-अलग तरह से शिव जी की पूजा अर्चना करते हैं। भगवान शिव जैसे पति पाने के लिए और अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहे, इसलिए लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।

शिवजी को प्रसन्न करने के लिए लोग पूजा में भांग, धतूरा, आक, बेलपत्र और शमी पत्र जैसे कई चीजों को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। शिवलिंग पर हर एक चीज को चढ़ाने और पूजा विधि के अलग नियम और महत्व है। सभी को सही नियम और विधि पता नहीं होता है, जिसके कारण उन्हें उनके कठोर व्रत और पूजन का लाभ नहीं मिल पाता है। आप सभी को फूल-बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम तो पता होगा, लेकिन क्या आपको शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाने का सही नियम पता है। यदि नहीं तो चलिए जानते हैं इस लेख में।

शिवलिंग शमी पत्र चढ़ाने के नियम

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शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाने के नियम को लेकर बात करते हुए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने बताया कि शिवमहापुराण के कथा के अनुसार शिवलिंग पर शमी पत्र चढ़ाने का अलग नियम है। शिव लिंग पर एक, दो या तीन शमी के पत्र नहीं चढाए जाते। शिवलिंग पर 11, 21, 51, 108, 151... और आगे की संख्या में शमी पत्र चढ़ाए जाते हैं।

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शमी पत्र चढ़ाते हुए इस मंत्र का जाप करें।

राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।

सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

इस मंत्र को श्री राम तारक मंत्र कहा गया है। इस मंत्र का जो कोई भी जाप करता है, उसे समपूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या भगवान विष्णु के 1000 नामों के जप का फल मिलता है। यह मंत्र राम रक्षा स्तोत्र से लिया गया है और शमी पत्र चढ़ाते हुए इस मंत्र के जाप से मनुष्य को पुण्यफल की प्राप्ति होती है। 

हिंदू धर्म में शमी पत्र का क्या महत्व है

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शमी के वृक्ष को बहुत ही मंगलकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं की माने तो जब प्रभु श्री राम लंका से जीत कर आए थे, तब उन्होंने शमी के वृक्ष का पूजन किया था। इसके अलावा पांडवों को जब अज्ञातवास दिया गया था, तब पांडवों ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र शमी के वृक्ष में छिपाए थे। नवरात्रि में देवी दुर्गा के पूजन में शमी के पत्रों का उपयोग किया जाता है। भगवान शिव के प्रिय फूल में से एक शमी का फूल है और गणेश जी एवं शनी देव को शमी पत्र बहुत प्रिय है।

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