मुंबई में 70 साल की कैंसर पेशेंट में पोते ने कूड़े के ढ़ेर में फेंका...
बुजुर्ग मां-बाप को पीट-पीटकर घर से निकाला...
मां से धोखे से साइन करवाए प्रॉपर्टी के कागजात और फिर सड़क पर दिया छोड़...
नोएडा वृध्दाश्रम में बुजुर्गों के साथ अमानवीयता की हदें हुई पार...
यह काफी दुखद है लेकिन हमारे समाज की आईना है। इस तरह की खबरें आपको आए दिन न्यूजपेपर की हेडलाइन्स में, टीवी स्क्रीन पर या सोशल मीडिया फीड में मिल जाएंगी। कमाल की बात यह है कि जो बड़े, बच्चों को पाल-पोसकर उन्हें जिंदगी में कुछ करने लायक बनाते हैं, उन्हें बोलना-चलना और जिंदगी जीना सिखाते हैं, वहीं बच्चे बुढ़ापे के उस मोड़ पर उन्हें छोड़ देते हैं, जब उन्हें उनका साथ सबसे ज्यादा चाहिए होता है। ऐसे मामलों में अक्सर बुजुर्ग असहाय महसूस करते हैं और वे समझ नहीं पाते कि मदद के लिए कहां जाएं। आजकल बच्चों द्वारा बुजुर्गों को प्रताड़ित करने, उनका ख्याल न रखने और कई मामलों में उन्हें अकेला छोड़ देने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों में बुजुर्गों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि कानून उनकी मदद के लिए पूरी तरह से तैयार है। अगर आपके साथ या आपके आस-पास किसी के साथ ऐसा हो रहा है, तो शिकायत दर्ज करवाने और मदद पाने का सही तरीका क्या है, इस बारे में हमनेसुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता कमलेश जैन जी से बात कीऔर उसी बातचीत के आधार पर हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
बच्चे करें बुरा बर्ताव, तो बुजुर्ग कहां दर्ज करवा सकते हैं शिकायत?
- सबसे पहले तो आप यह जान लीजिए कि भारतीय कानून में बुजुर्गों के साथ गलत व्यवहार के खिलाफ कड़े नियम हैं। इंडियन लॉ के अनुसार, 60 साल या उससे ज्यादा के व्यक्ति को सीनियर सिटिजन और 80 साल या उससे भी ज्यादा के व्यक्तियों को सुपर सीनियर सिटिजन माना जाता है।
- अगर किसी बुजुर्ग को मेंटली, फिजिकली या फाइनेंशियली किसी भी तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है, तो वे सीनियर सिटिजन एक्ट ट्रिबुनल के तहत शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
- अगर किसी बुजुर्ग को परिवार की तरफ से जीवनयापन के लिए पैसा नहीं दिया जा रहा है, घर से बच्चों ने बाहर निकाल दिया है, किराये के घर का बच्चे रेंट नहीं दे रहे हैं या इलाज नहीं करवा रहे हैं, तो इन सभी मामलों की शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।
- अगर किसी बुजुर्ग के कोई बच्चा नहीं है, लेकिन उनके पास संपत्ति है, तो जो भी उनकी देखभाल की जिम्मेदारी निभा रहा है, उसे प्रॉपर्टी पर हक मिलेगा और अगर कोई प्रॉपर्टी भी नहीं है, तो सरकार देख-रेख के इंतजाम में मदद करेगी।
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- भारतीय कानून में सीनियर सिटिजन के लिए मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट, 2007 है। जिसके तहत बुजुर्गों को कई सहायता मिलती हैं। इसमें सीनियर सिटिजन्स की जरूरतों जैसे मेडिकल, फाइनेंस और उनके भरण-पोषण से जुड़ी सभी जरूरतों को लेकर नियम है।
- जरूरत की चीजें न देना, अपशब्द कहना, मारना-पीटना, बेइज्जत करना या दवाई और इलाज की व्यवस्था न करने पर इन कानून के अंतर्गत बच्चों को दंड मिल सकता है।
यह है एक्सपर्ट की राय
- कई बार बुजुर्गों को लगता है कि क्योंकि उन्होंने अपनी संपत्ति बच्चों के नाम कर दी है, ऐसे में अब वे कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन, मेंटेनेंस एंड वेलफेयर और पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट 2007 के अनुसार, अगर आपके बच्चे आपकी सही तरह से देखभाल नहीं कर रहे हैं, तो आपको दी हुई संपत्ति को वापिस लेने का पूरा हक है।
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