Internet Shutdown: आपने देखा होगा कि किसान आंदोलन होने पर या फिर किसी भी तरह की साम्प्रदायिक हिंसा होने के डर से देश के कई हिस्सों में इंटरनेट अस्थाई रूप से बंद कर दिया जाता है। इंटरनेट सस्पेंड करने की एक पूरी प्रक्रिया है, जिसे फॉलो करते हुए इस पर बैन लगाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशन्स समेत दो थिंक टैंक इंस्टीट्यूट की रिसर्च के मुताबिक, इंटरनेट बैन करने के मामले में भारत दुनिया भर में सबसे आगे है। आइए जानते हैं कैसे सरकार इंटरनेट सेवा बंद करती है?
सरकार कई तरीकों से इंटरनेट बंद कर सकती है। कुछ सामान्य तरीके इस प्रकार हैं:
प्रशासन यानी जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी ISPs को आदेश दे सकती है कि वे इंटरनेट सेवाओं को पूरी तरह से या आंशिक तौर पर बंद कर दें। ISPs को सरकार के आदेशों का पालन करना होता है, अन्यथा उन्हें जुर्माना या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
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IXPs वे जगह होते हैं, जहां ISPs डेटा का आदान-प्रदान करते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार के रिव्यू पैनल में कैबिनेट सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलिकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी शामिल होते हैं। वहीं, राज्य सरकार से दिए गए आदेश के रिव्यू पैनल में चीफ सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और अन्य सेक्रेटरी शामिल रहते है। जिससे सरकार IXPs को ब्लॉक करके इंटरनेट ट्रैफिक को रोक सकती है।
केंद्र या राज्य के होम सेक्रेटरी द्वारा अधिकृत किए गए जॉइंट सेक्रेटरी इंटरनेट बैन करने के लिए आदेश दे सकते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें 24 घंटे के अंदर केंद्र या राज्य के होम सेक्रेटरी से इसकी मंजूरी लेनी पड़ती है।
गेटवे राउटर वे डिवाइस होते हैं जो इंटरनेट को लोकल नेटवर्क से जोड़ते हैं। सरकार गेटवे राउटर को ब्लॉक करके इंटरनेट तक पहुंच को रोक सकती है।
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डीएनएस Domain Name System सर्वर वे सर्वर होते हैं, जो वेबसाइट के नाम को उसके IP एड्रेस में बदलते हैं। सरकार डीएनएस सर्वर को ब्लॉक करके लोगों को वेबसाइटों तक पहुंचने से रोक सकती है।
सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मैसेजिंग ऐप्स को ब्लॉक कर सकती है। यह लोगों को जानकारी साझा करने और संवाद करने से रोकने के लिए किया जाता है।
सरकारें अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या सामाजिक अशांति के कारण इंटरनेट बंद कर देती हैं। इंटरनेट शटडाउन का इस्तेमाल करके विरोध प्रदर्शनों को दबाने या इनटॉलेरेंस को रोकने के लिए भी किया जा सकता है।
इंटरनेट शटडाउन का अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और जरूरी सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह लोगों के फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन और सूचना तक पहुंच के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
यह ध्यान रखना जरूरी होता है कि इंटरनेट शटडाउन एक गंभीर समस्या है, जिसके कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। अगर आप इंटरनेट शटडाउन का सामना कर रहे हैं, तो आप प्रशासन से इसके खिलाफ अपनी मांग रख सकते हैं।
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