How long is maternity leave in Hong Kong: आजकल महिलाएं अपने करियर को लेकर काफी सीरियस हो चुकी हैं। हर लड़की अपने करियर के साथ फैमिली प्लानिंग करना पसंद करती है। ऐसे में लड़कियां बच्चा होने के बाद भी अपनी जॉब पर फिर से लौटने लगी हैं। इसमें कंपनी की पॉलिसी बहुत बड़ा योगदान देती है। लगभग सभी बड़ी कंपनियों में महिलाओं को बच्चा होने पर उन्हें मैटरनिटी लीव दी जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को आराम की खास जरूरत होती है।
वर्किंग महिलाओं को मैटरनिटी लीव मिलती है, जिसके बाद वे फिर से रिकवर होकर आराम से अपने काम पर लौट सकती हैं। हालांकि, सभी देशों में इसकी अवधि और नियम अलग हैं। कई बार मैटरनिटी लीव इतनी छोटी भी होती है कि इतने कम वक्त में एक महिला के लिए फिर से नौकरी पर लौट पाना आसान नहीं होता है। ऐसे में हांगकांग ने मैटरनिटी लीव में इजाफा करके एक मिसाल कायम कर दी है। हांगकांग ने हाल ही में मैटरनिटी लीव 4 हफ्ते और बढ़ा दी है। आइए जानें, मैटरनिटी लीव बढ़ने के क्या फायदे हैं?
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हांगकांग में हुई एक रिसर्च में ये सामने आया कि जिन महिलाओं को 4 सप्ताह एक्स्ट्रा लीव मिली, उनमें पोस्टपार्टम डिप्रेशन के मामले में 22 फीसदी की कमी देखने को मिली। डिलीवरी के बाद महिलाओं में डिप्रेशन होना आम है। इस कंडीशन से उबरना काफी मुश्किल हो जाता है। हालांकि, मैटरनिटी लीव में बढ़ोतरी करने से कई फायदे होते हैं? आइए जानें...
बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला में शारीरिक और मानसिक समस्याएं होने लगती हैं। इस दौरान बच्चे की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है, जिससे एक महिला के लिए सही से आराम कर पाना और अपने ऊपर ध्यान दे पाना मुश्किल हो जाता है। इससे महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। इसे ही पोस्ट पार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। इस दौरान फैमिली का सपोर्ट बहुत जरूरी हो जाता है।
मैटरनिटी लीव कामकाजी महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इससे उन्हें तनाव से तो मुक्ति मिल ही जाती है, इसके साथ ही महिलाएं अपनी मेंटल हेल्थ पर भी फोकस कर पाती हैं। इससे पोस्ट पार्टम डिप्रेशन जैसी कंडीशन से बचने में मदद मिलती है।
मैटरनिटी लीव में नई मां अपने शरीर पर पूरा ध्यान दे पाती है। इस दौरान शरीर में हुए सभी बदलावों को समझने में भी उन्हें मदद मिलती है। डिलीवरी के बाद उन्हें रिकवरी में मदद मिलती है।
मैटरनिटी लीव के दौरान मां अपने नवजात के साथ अच्छा समय बिता पाती है और इसकी सही से देखभाल भी कर पाती है। इसके साथ ही इस नाजुक समय में उसे अपने पार्टनर और परिवार के साथ भी समय बिताने को मिल जाता है। इससे मैंटली एक महिला खुद को काम के लिए तैयार कर पाती है, वो भी बिना किसी स्ट्रेस के।
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