Holi 2025: होली का फाग से है बेहद खास नाता, जानें इसका महत्व

होली और संगीत का एक गहरा और अनूठा संबंध है। भारतीय संस्कृति की यह एक खास बात है कि यहां हर मौसम, त्यौहार या उत्सव में लोकगीतों का साथ हमेशा बना रहता है। उसी तरह, होली के लोक संगीत और गीत भी बहुत लोकप्रिय हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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भारत की पहचान हमेशा से ही उसके हरे-भरे खेत और खलिहान रहे हैं, जो इसकी कृषि प्रधान संस्कृति को दर्शाते हैं। इसके साथ ही, भारत में सभी ऋतुओं को बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यही कारण है कि इसे लोक गीतों का देश भी कहा जाता है।

यहां की अनूठी विशेषता यह है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक, जीवन के हर महत्वपूर्ण मोड़ पर गीत गाए जाते हैं, लोग झूमते हैं और खुशियां मनाते हैं। जाहिर है, लोक संगीत से समृद्ध संस्कृति में होली जैसे जीवंत त्योहार अछूते नहीं रह सकते। इस अवसर पर भी, होली को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और देश के कई हिस्सों में लोग जमकर गीत गाते हैं। अब ऐसे में होली का फाग से क्या संबंध है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

फाग से क्या अर्थ है?

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फाग का मूल शब्द 'फाल्गुन' है, जो हिंदू कैलेंडर का एक महीना है। यह महीना वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह महीना मार्च में आता है। फाग होली के त्योहार से जुड़ा हुआ है। यह रंगों, आनंद और उत्सव का समय है। फाग मनाने में लोकगीत, नृत्य और सामाजिक मेलजोल शामिल हैं। आपको बता दें, फाग लोकगीतों का एक शैली है जो होली के दौरान गाई जाती है। इन गीतों में अक्सर प्रेम, प्रकृति और सामाजिक विषयों को दर्शाया जाता है।

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फाग के बिना होली क्यों मानी जाती है अधूरी?

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फाग होली के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक लोक गीत हैं। ये गीत सदियों से चले आ रहे हैं और होली के उत्सव का अभिन्न अंग हैं। फाग गीतों में प्रकृति की सुंदरता, होली के रंग और राधा-कृष्ण के प्रेम का वर्णन होता है। ये गीत होली के उत्साह और उमंग को बढ़ाते हैं और उत्सव में चार चांद लगाते हैं। होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। फाग गीतों में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है। फाग गीतों को गाने से भगवान कृष्ण और राधा रानी प्रसन्न होते हैं। इसलिए, फाग गीतों के बिना होली का त्योहार अधूरा माना जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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