हिन्दू धर्म में होली के त्यौहार का विशेष महत्त्व है। रंगों से भरा ये त्यौहार लोगों को एक -दूसरे के करीब लाने का सबसे अच्छा तरीका है। मान्यतानुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक का समय माना जाता है। वैसे तो होली पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है लेकिन होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक का आरम्भ हो जाता है।
कहा जाता है कि होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए अन्यथा लाभ नहीं मिलता है। आइए जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस साल किस दिन से शुरू हो रहा है होलाष्टक और कौन से कार्य करना इस अवधि के दौरान वर्जित होते हैं।
होलाष्टक आरम्भ तिथि
होलाष्टक, होली से पहले के 8 दिनों तक माना जाता है। इस साल यानी साल 2021 में होलिका दहन (होलिका दहन में ध्यान रखें ये बातें) 28 मार्च को और होली का त्यौहार 29 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं होलाष्टक का आरम्भ 22 मार्च 2021 से होगा और इसका समापन लेकर 28 मार्च 2021 को होगा।
- होलाष्टक 2021:अष्टमी तिथि 21 मार्च 2021 को सुबह 7:10 बजे शुरू होगी और 22 मार्च 2021 को सुबह 9:00 बजे समाप्त होगी।
- उदया तिथि के अनुसार अष्टमी तिथि 22 मार्च को है, इसलिए इसी दिन से होलाष्टक का आरम्भ माना जाएगा।
क्यों नहीं होते शुभ काम
पौराणिक कथाओं के अनुसार होलाष्टक उस समय को माना जाता है जब राजा हिराण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को इन 8 दिनों के दौरान बहुत प्रताड़ित किया था। उसी समय से ये प्रथा चली आ रही है कि इन 8 दिनों में कोई शुभ कार्य करना फलदायी नहीं होता है। कहा जाता है कि होलाष्टक की अवधि में शादी व्याह, सगाई, जनेऊ और मुंडन जैसी गतिविधियों से तो बचना ही चाहिए, इसके अलावा गृहप्रवेश और नए व्यवसाय की शुरुआत भी नहीं करनी चाहिए। इस अवधि में नवविवाहिता को मायके भी नहीं आना चाहिए। यदि मायके जाना है तो होलाष्टक से पहले का समय शुभ माना जाता है।
होलाष्टक का महत्त्व
यदि इस अवधि के वैज्ञानिक महत्त्व की बात की जाए तो ये ऐसा समय होता है जब मौसम में बदलाव होता है और मन थोड़ा अशांत होता है। इसीलिए यदि अशांत मन से कोई कार्य किया जाए तो असफलता मिलती है इसलिए इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
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न करें शुभ काम
होलाष्टक की अवधि में कुछ विशेष कामों को करने की मनाही होती है और यदि कोई शुभ काम किया भी गया तो फल की प्राप्ति नहीं होती है। इसलिए इस दौरान सभी शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
शादी -ब्याह से बचें
शादी विवाह ऐसे अनुष्ठानों में से है जिसे पूरे विधि-विधान के साथ और विचार करके ही करना फलदायी होता है। यहां तक कि हिन्दू धर्म में शादी और सगाई पूरे विचार करके एक उपयुक्त तिथि को ही संपन्न होता है। जिससे वैवाहिक जीवन सुखकारी होता है। इसलिए होलाष्टक के दौरान भूलकर भी शादी या सगाई जैसे कार्य नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सदैव उतार चढ़ाव बने रहते हैं।
गृह प्रवेश न करें
यदि आपने नया घर खरीदा है तो होलाष्टक की अवधि के दौरान भूलकर भी गृह प्रवेश न करें। वैसे भी मान्यता है कि गृह प्रवेश के बाद नए घर में पहला त्यौहार होली नहीं पड़ना चाहिए। यदि किसी वजह से आपको गृह प्रवेश करने की जल्दबाजी है तब भी होलाष्टक की अवधि में भूल कर भी गृह प्रवेश न करें। ऐसा करने से घर में कलह कलेश तो होता ही है, साथ भी घर के सदस्यों को बीमारी और अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
नई नौकरी या व्यवसाय की शुरुआत न करें
यदि आपको कोई नयी नौकरी ज्वाइन करनी है या फिर नए व्यापार की शुरुआत करनी है तो भूलकर भी होलाष्टक की अवधि में इन कार्यों की शुरुआत न करें। ऐसा करने से हमेशा नौकरी और व्यवसाय में समस्याएं तो बनी ही रहेंगी और सफलता भी नहीं मिलेगी।
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नया मकान न खरीदें
यदि आप नया घर खरीदने जा रहे हैं तो भूलकर भी होलाष्टक के दौरान ऐसा न करें। घर खरीदने जैसा कोई भी फैसला या तो होलाष्टक के पहले करें या फिर इस अवधि के समाप्त होने के बाद नया घर खरीदें।
यदि आप भी कोई शुभ कार्य की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं तो भूलकर भी होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य न करें। ऐसा करने से शुभ कार्यों में सफलता नहीं मिलेगी।
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Image Credit: freepik
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