आइए जानते हैं प्रसिद्ध भारतीय नृत्य कथकली के इतिहास के बारे में

आइए इस लेख में प्रसिद्ध भारतीय नृत्य कथकली के इतिहास और महत्व के बारे में करीब से जानते हैं। 

kathakali dance

भारतीय नृत्य किसी पहचान की मोहताज़ नहीं है। भारतीय नृत्य को प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का मत्वपूर्ण अंग माना जाता है। आज के समय में भी लगभग हर शादी, पार्टी आदि प्रोग्राम में नृत्य यानि डांस खास होता है।

खासकर, फिल्मों और टीवी शो में इंडियन क्लासिक डांस जैसे-भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, मणिपुरी देखने को मिलते रहते हैं। इन्हीं क्लासिकल डांस यानि शास्त्रीय नृत्यों में से एक है कथकली, जिसे उत्तर भारत में कम लेकिन, दक्षिण भारत में बेहद ही पसंद किया जाता है। आज इस लेख में हम आपको भारतीय नृत्य कथकली के इतिहास और महत्व के बारे में करीब से जानते हैं, तो आइए जानते हैं।

कथकली नृत्य का इतिहास

history about kathakali dance inside

कथकली भारत के सबसे प्राचीन शास्त्रीय नृत्यों में से एक माना जाता है। हालांकि, इसकी उत्पत्ति कब हुई इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन, कई लोगों का मानना है कि इस नृत्य की उत्पत्ति लगभग 1500 साल पहले हुई थी। कई लोगों का यह भी मानना है कि आर्यन और द्रविड़ सभ्यता के साथ ही इस नृत्य का उदय हुआ था। वहीं, विद्वानों का मत है कि कोट्टारक्करा तंपुरान द्वारा रचे गये 'रामनाट्टम' का विकसित रूप ही कथकली है। आपको बता दें कि कथकली तीन कलाओं से मिलकर बना है, जिसे आमतौर पर पुरुष ही प्रस्तुत करते थे लेकिन, अब इस नृत्य में महिलाएं भी बढ़-चड़कर हिस्सा लेती हैं।

इसे भी पढ़ें:ओणम के अलावा भी केरल के हैं कुछ प्रमुख त्योहार, जानें हर उत्सव की विशेषताएं

पौराणिक मान्यता क्या है?

know history about kathakali dance inside

पौराणिक मान्यता बताने से पहले ये आपको बता दें कि कथकली नृत्य में लगभग 100 शास्त्रीय कथकली कहानियां हैं। इनमें से कुछ कहानियां महाभारत से ली गई थी, जिसके कारण इस नृत्य को महाभारत काल से जोड़कर देखा जाता है। एक अन्य पौराणिक मान्यता है कि महाभारत काल में यह नृत्य रात में प्रस्तुत किया जाता था, जो सूर्य उगने से पहले तक चलता था। (कुचिपुड़ी नृत्य) कई लोगों का यह भी मानना है कि देवताओं का भी यह पसंदीदा नृत्य है।

दक्षिण भारत में कथकली नृत्य का महत्व

about kathakali dance inside

कथकली भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य में से एक है जिसे दक्षिण भारत के लगभग हर राज्य में बेहद ही पसंद किया जाता है। खासकर केरल राज्य में इसे बेहद ही पसंद किया जाता है। तीन कलाओं से मिलकर बना यह नृत्य भाव और अभिनय का मिश्रण होता है। इस नृत्य में कलाकार को चेहरे से हाव-भाव दिखाना होता है। इस नृत्य में सफेद रंग की विशेष स्कर्ट नामा पोशाक होती है जिसे पहनाने के लिए कम से कम 2 लोगों की आवश्यकता पड़ती है और चेहरे को हरे रंग से रंगा जाता है।

इसे भी पढ़ें:लोहड़ी 2022: जानें क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

नृत्य के प्रसिद्ध कलाकार

वैसे तो इस नृत्य के बहुत कलाकार है लेकिन, कुछ लोगों का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। टी चंदू पणिक्कर, गुरु गोपीनाथ, टी रामननी नायर, चेंगन्नुर रमन पिल्लै आदि प्रसिद्ध लोग हैं।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Recommended Video

Image Credit:(@freepik)

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP