महाभारत के इतिहास से जुड़ी न जानें कितनी ऐसी कथाएं हैं जिनका जिक्र शायद ही आपने कभी सुना होगा। कुछ ऐसी प्रेम कहानियां जो आज भी दुनिया में प्रचलित हैं और उनका उदाहरण आज भी प्रेम के सन्दर्भ में दिया जाता है।
चाहे द्रौपदी और अर्जुन की प्रेम कहानी का जिक्र हो या फिर दुर्योधन के प्रेम में गांधारी का आंखों में पट्टी बांधना हो, चाहे श्री कृष्ण का रानी रुकमणी को भगाकर विवाह करना हो। ऐसी न जाने कितनी प्रेम कहानियां हैं जो महाभारत काल से प्रचलित हैं।
ऐसी ही एक प्रेम कहानी है पांडवों में से सबसे शक्तिशाली भीम और राक्षसी हिडिम्बा की। वास्तव में आपमें से न जानें कितने ही इस बात से अंजान होंगे कि आखिर इस प्रेम कहानी की शुरुआत कहां से हुई और भीम जैसे शक्तशाली राजकुमार ने एक राक्षसी को अपनी रानी कैसे बनाया। आइए जानें महाभारत काल से जुड़ी इस अजब प्रेम कहानी के बारे में।
भीम के साथ हिडिम्बा की प्रेम कहानी की शुरुआत एक पौराणिक कथा से शुरू होती है। एक बार जब लाक्षागृह के जलने के बाद पांडव जंगलों में छिपकर रहने लगे थे। उस समय एक रात सभी पांडव भाई और कुंती एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे और भीम हमेशा की तरह सबकी रखवाली कर रहे थे। दरअसल उस समय उनके लिए सबसे बढ़ा खतरा राक्षस हिडिम्ब का था जो पांडवों पर हमला करने के लिए एक वृक्ष में छिपकर बैठा था।
हिडिम्ब मानव रक्तपीने का इच्छुक था और उसकी बहन जिसका नाम हिडिम्बा था उनको हिडिम्ब से आदेश मिला कि वो मानव रक्त का प्यासा है इसलिए उसके लिए मानव रक्त ले आए। अपने भाई हिडिम्ब की बात सुनकर राक्षसी हिडिम्बा पांडवों को मारकर उनका रक्त लेने गई। लेकिन वहां पहुंचने के बाद भीम को जगा हुआ देखकर हिडिम्बा उनके रूप पर मोहित हो गई और उन्हें भीम से प्रेम हो गया।
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हिडिम्बा जब भीम पर मोहित हो गयी तब उसने भीम के सामने शादी का प्रस्ताव रखते हुए उन्हें बताया कि यह पूरा क्षेत्र उनके भाई हिडिम्ब का है जो एक खतरनाक राक्षस है। हिडिम्बा ने भीम से उस जगह को छोड़कर दूर बसने की बात कही। लेकिन भीम ने अपने भाइयों और माता कुंती से दूर जाने से मना कर दिया। उस समय हिडिम्ब वहां आ गया और भीम ने युद्ध में उसे परास्त कर दिया। यही नहीं भीम ने राक्षस का वध कर दिया और हिडिम्बा से भी यह कहा कि वह एक राक्षसी है और उसका विश्वास करना असंभव हो और उसे भी मौत देनी चाहिए। लेकिन युधिष्ठिर और माता कुंती ने भीम को समझाया कि स्त्री किसी भी रूप में क्यों न हो उसका अपमान नहीं करना चाहिए। इसके बाद हिडिम्बा ने कुंती से प्रार्थना करते हुए कहा कि वो भीम को पति बनाना चाहती हैं। भीम ने इस बात की स्वीकृति दी लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह दोनों तब तक ही साथ हैं जब तक उन्हें एक पुत्र न हो जाए।
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हिडिम्बा भीम को उड़ाकर दूर पहाड़ियों में ले गयी जहां दोनों साथ में रखने लगे। हिडिम्बा और भीम को एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम घटोत्कच पड़ा। उसके ऐसा नाम पड़ने का कारण था कि वह जन्म से ही केश हीन था। इस वीर ने महाभारत के चौदवें दिन ही संग्राम मचा दिया और कौरव सेना डरकर भागने लगी। उस समय कारण ने इंद्र से मिली शक्ति का प्रयोग करके भीम के पुत्र घटोत्कच का वध कर दिया।
वास्तव में भले ही भीम और हिडिम्बा का विवाह वैदिक मन्त्रों के साथ नहीं हुआ हो लेकिन उनकी प्रेम कहानी आज भी प्रचलित है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik, hotstar
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