Kabir Das ke Dohe: ऐसी बानी बोलिए,मन का आपा खोय...औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय... कबीर दास जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
आज भी हर बच्चे को कबीर जी का यह दोहा मुंह जुबानी याद है- 'गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय।।' उनके दोहे और वाणी आज भी हर किसी जीवन जीने का सलीका बताती है। संत कबीरदास जी को भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में गिना जाता है।
उन्होंने समाज सुधार के काम के साथ, लोगों को एकता का पाठ भी पढ़ाया। उनका मानना था कि हम जिन भगवान को ढूंढने के लिए दर-दर भटकते हैं, वो हमारे अंदर ही हैं। आज उनकी जयंती पर चलिए हम आपको उनके दोहे, साखियां, वाणी और कोट्स फिर से पढ़ाएं।
1. तूं तूं करता तूं भया, मुझ मैं रही न हूं।
वारी फेरी बलि गई, जित देखौं तित तूं ॥
2. कबीर माया पापणीं, हरि सूं करे हराम।
मुखि कड़ियाली कुमति की, कहण न देई राम॥
3. प्रेमी ढूंढ़त मैं फिरूं, प्रेमी मिलै न कोइ।
प्रेमी कूं प्रेमी मिलै तब, सब विष अमृत होइ॥
4. हम भी पांहन पूजते, होते रन के रोझ।
सतगुरु की कृपा भई, डार्या सिर पैं बोझ॥
5. चाकी चलती देखि कै, दिया कबीरा रोइ।
दोइ पट भीतर आइकै, सालिम बचा न कोई॥
6. हेरत हेरत हे सखी, रह्या कबीर हिराई।
बूंद समानी समुंद मैं, सो कत हेरी जाइ॥
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1. माला फेरत जुग गाया, मिटा ना मन का फेर।
कर का मन का छाड़ि, के मन का मनका फेर॥
2. मूरख संग ना कीजिए, लोहा जल ना तिराइ।
कदली, सीप, भुजंग-मुख, एक बूंद तिहं भाइ॥
3. ऐसी बानी बोलिए,मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय॥
4. तिनका कबहुं ना निन्दिए, जो पायन तले होय।
कबहुं उड़न आखन परै, पीर घनेरी होय॥
5. निन्दक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाय।
बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करे सुभाय॥
1. दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोई।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय॥
2. माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंधे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोधुंगी तोय॥
3. मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा।
तेरा तुझकौं सौंपते, क्या लागे है मेरा॥
4. हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मरे, मरम न जाना कोई॥
5. लूटि सकै तो लूटियो, राम नाम है लूटि।
पीछै ही पछिताहुगे, यहु तन जैहै छूटि॥
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1. अपने मन को शांत करो, अपनी इंद्रियों को शांत करो
और अपने शरीर को भी शांत करो।
फिर जब ये सब शांत हो जाएं, तो कुछ भी मत करो।
उस अवस्था में सत्य स्वयं तुम्हारे सामने प्रकट हो जाएगा।
2. अपने हीरे सब्जी मंडी में मत खोलो। वहां उन्हें कोई नहीं पहचानेगा।
उन्हें गठरी में बांधकर अपने दिल में रखो और अपनी राह पर चलो।
3. प्रेम पेड़ों पर नहीं उगता या बाजार से नहीं लाया जाता,
यदि कोई प्रेम पाना चाहता है तो उसे पहले
यह जानना होगा कि बिना शर्त प्रेम कैसे दिया जाए।
इनमें से आपको कबीर जी का कौन-सा दोहा सबसे ज्यादा पसंद, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यदि आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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