बॉलीवुड फिल्मों के कई गाने ऐसे हैं जिन्हें हम किसी खास मौके पर सुनना पसंद करते हैं। ऐसे ही गानों की लिस्ट में शराबियों के महफिल में चार-चांद लगाने वाले सॉग्न शामिल हैं। अमिताभ बच्चन की फिल्म का गाना लोग कहते हैं मैं शराबी, तेरा गम अगर न होता, शीशे की उम्र प्यार की जैसे तमाम गाने और गजल शुमार है। इसके अलावा महफिल में सुनी जाने वाली गजल होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है भी मशरूफ है। ये गजल साल 1999 में रिलीज हुई आमिर खान और सोनाली बेंद्रे स्टारर फिल्म सरफोश के गानों में सबसे ज्यादा सुने जाने वाली लिस्ट में शामिल है। गम हो या उदासी का मौका, ये गजल की दीवानगी आज भी लोगों में देखने को मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस गजल को कैसे लिखा गया। इस लेख में आज हम आपको इस गजल से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसे जान आप भी चौंक जाएंगे।
इस दोहे पर फिल्मायी गई थी 'सरफरोश' फिल्म
होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है जो साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म सरफरोश को फिल्माया गया था। इस गजल को गजल सम्राट जगजीत सिंह ने आवाज दी थी। गजल गायक जगजीत सिंह को इस गजल से कभा शोहरत हासिल हुई थी और वह रातों-रात मशहूर हो गए थे।
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इन कलाकारों ने किया था फिल्म में काम
जॉन एन मथन डायरेक्शन में बनी 'सरफरोश' फिल्म में आमिर खान और सोनाली बेंद्रे मुख्य भूमिका में नजर आए थे। दोनों की जोड़ी को लोगों ने काफी प्यार दिया था। इस फिल्म की वजह से आमिर खान बॉलीवुड के मशहूर सितारों में शामिल हो गए। सरफरोश फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बवाल मचा दिया था।
कबीरदास के दोहे से लिया गया है ये गजल
आमिर खान स्टारर फिल्म 'सरफरोश' की ये गजल 800 साल पुराने कबीरदास के दोहे से लिया गया है। इस कालजयी गजल को लिखने वाले कवि निदा फाजली ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि यह गजल कबीरदास के दोहे से चुराया गया है।
कबीरदास के 800 साल पुराने दोहे की लाइन कुछ इस तरह थी 'हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ?रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ? इस दोहे से प्राभावित होकर निदा फाजली ने अपनी गजल का पहला अंतरा 'होश वालों को ख़बर क्या बेखुदी क्या चीज़ है, इश्क कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है' लिखा था। दोहे की दूसरी लाइन 'जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,हमारा यार है हममें हमन को इंतजारी क्या ?'इसी दोहे की आखिरी पंक्ति में कबीर लिखते हैं, 'कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से, जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सिर बोझ भारी क्या?'लिखा था।
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