Govardhan Puja 2020: जानें शुभ मुहूर्त और पूजा करने की सही विधि

शुभ मुहूर्त और विधि-विधान से गोवर्धन पूजा करने पर मिलेंगे शुभ फल। पंडित जी से जानें।  

Govardhan  Puja  Muhurat

दिवाली के त्‍यौहार को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा त्‍यौहार माना गया है। यह त्‍यौहार भव्‍य तरीके से मनाए जानें के साथ-साथ कई दिनों तक चलता है। दिवाली के दूसरे ही दिन गोवर्धन पूजा होती है और इस पूजा का विशेष महत्‍व भी है। गोवर्धन पूजा को पूरे भारतवर्ष में धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस पर्व पर भगवान श्री कृष्‍ण के गोवर्धन स्‍वरूप की पूजा की जाती है और उन्‍हें 56 भोग और अन्‍नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

उज्‍जैन के पंडित मनीष शर्मा कहते हैं, 'कार्तिक मास में शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा यानि दिवाली के दूसरे दिन को परेवा कहा जाता है और इसी दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पर्व पर लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। यदि सही मुहूर्त पर गोर्वधन पूजा की जाए तो इसके शुभ फल भी प्राप्‍त होते हैं।'

शुभ मुहूर्त

इस वर्ष गोर्वधन पूजा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 15:18 बजे से शाम 17:27 बजे तक है।

Annakoot

इसे जरूर पढ़ें:Bhai Dooj 2020: दिवाली के 2 दिन बाद क्‍यों मनाया जाता है 'भैया दूज' का त्‍यौहार, जानें भाई को टीका लगाने का शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा का महत्‍व

द्वापर युग में भगवान नारायण ने पृथ्‍वी पर धर्म स्‍थापना हेतु श्री कृष्‍ण के रूप में अवतार लिया था। बृज भूमि में जन्‍में श्री कृष्‍ण एक ग्‍वाले थे और उन्‍हें प्रकृति से विशेष लगाव था। उस युग में बृज भूमि के लोग भगवान इंद्र को अपना ईष्ट देव मानते थे। मगर श्री कृष्‍ण का मानना था कि जो पर्वत बृज वासियों को फल, फूल और अन्‍य सुविधाएं देता है, उसे छोड़ कर देवराज इंद्र की पूजा क्‍यों की जाती है।

ऐसी मान्‍यता है कि भगवान कृष्‍ण के कहने पर बृज वासियों ने देवराज इंद्र की पूजा करने के स्‍थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की, जिससे नाराज हो देवराज इंद्र ने लगातार बारिश कर पूरी बृज भूमि को पानीमय कर दिया था। तब भगवान श्री कृष्‍ण ने देवराज इंद्र के अहंकार का नाश करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथों की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया था और बृज वासियों की बारिश से रक्षा की थी। तब से गोर्वधन पूजा हर साल धूम-धाम से हर घर में की जाती है।

इसे जरूर पढ़ें:Diwali 2020: पंडित जी से जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

गोर्वधन पूजा के नियम एवं विधि

  • गोर्वधन पूजा के लिए गाय के ताजे गोबर से फर्श पर चौक और पर्वत बनाएं और इसे फूलों से सजाएं।
  • अब गोवर्धन पर धूप, दीप, जल और फल आदि रखें और कथा पढ़ें।
  • पूजा करने के बाद गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करें। परिक्रमा के वक्‍त हाथों में जल से भरा कोई पात्र या लोटा लें और परिक्रमा के दौरान जल को गिराते जाएं।
  • गोवर्धन पूजा में अन्‍नकूट का प्रसाद जरूर चढ़ाएं और पूजा के बाद घर के सभी सदस्‍यों को यह प्रसाद ग्रहण करने के लिए दें।
  • गोर्वधन पूजा के दिन शाम को निकलने वाले चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए।
  • यदि आप इस तरह पूरे विधि-विधान के साथ गोर्वधन पूजा करते हैं तो आपको भगवान श्री कृष्‍ण के आशीर्वाद के साथ-साथ धन, संतान और गौ रस सुख भी प्राप्‍त होता है।

हरजिंदगी की ओर से आप सभी को गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं। यदि आपको यह लेख अच्‍छा लगा हो तो इसे शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह धर्म से जुड़े और भी लेख पढ़ने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।

Recommended Video

Image Credit:givegita/instagram
HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP