दिवाली के पर्व के ठीक दो दिन बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भैया दूज का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है। इस त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगा कर उसे अपने हाथ का बना भोजन कराती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि बहने इस दिन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और भाई के भोजन करने के बाद ही कुछ खाती हैं।
उज्जैन के पंडित कैलाश नारायण कहते हैं, 'यह पर्व भाई-बहन के पवित्र और प्यारे रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। यह रक्षाबंधन के पर्व से अलग है क्योंकि इस त्यौहार में बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस त्यौहार के दिन बहनों को शुभ मुहूर्त पर ही भाई के माथे पर तिलक लगाना चाहिए और विधि-विधान के साथ भाई दूज की पूजा करनी चहिए। '
भाई दूज 2020 शुभ मुहूर्त
इस बार भाई दूज का त्यौहार 16 नवंबर को है। इस दिन भाई के माथे पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 13: 10 बजे से लेकर 15: 17 बजे तक है।
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भाई दूज पूजा विधि
भाई दूज की पूजा आप इस प्रकार कर सकती हैं-
- भाई दूज के दिन सुबह उठ कर स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े पहनें।
- इसके बाद घर के आंगन में गेहूं के आटे से चौक बनाएं और चौक के चारों ओर गोबर के कंडे रखें।
- चौक के बीचों-बीच लकड़ी का पाटा रखें। अब भाई दूज की कथा पढ़ें और चौक की पूजा करें।
- इसके बाद जब भाई अपनी बहन के ससुराल आए तो उसे इसी पाटे पर बैठा कर माथे पर तिलक लगाना चाहिए।
- तिलक लगाने से पूर्व आपको भाई की हथेली पर चावल का लेप लगाना चाहिए और उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर पान का पत्ता , सुपारी और फूल अर्पित करने चाहिए।
- इतना करने के बाद भाई के हाथों पर जल धीरे-धीरे गिराएं और मन में यह मंत्र बोलें, 'गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।'
- इसके बाद भाई के माथे पर तिलक लगाएं और उसे भोजन कराएं।
- बहन अपने भाई के साथ बैठ कर ही भोजन कर सकती है या फिर भाई के भोजन करने के बाद अन्न ग्रहण कर सकती है।
भाई के माथे पर इस तरह लगाएं तिलक
भाई के माथे पर तिलक लगाने की सही विधि यह है कि आप अपने सीधे हाथ के अंगूठे से उसे तिलक लगाऐं। इससे भाई की आयु तो बढ़ेगी ही साथ ही उसकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। इतना ही नहीं, अंगूठे से तिलक लगाने पर भाई की सेहत भी दुरुस्त बनी रहेगी।
क्या है भाई दूज से जुड़ी कहानी
ऋगवेद में लिखी भाई दूज की कथा अनुसार, ‘ यमराज और यमुना दोनों भाई-बहन एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे। जब बहन यमुना की शादी हुई तो वह अपने भाई यमराज को हमेशा ही अपने घर भोजन के लिए बुलाती रहती थी। मगर अपने कार्य में व्यस्त होने के कारण यमराज कभी बहन के घर नहीं जा पाते थे। एक दिन बहन के बहुत बुलाने पर जब यमराज बहन यमुना के घर गए तो बहन यमुना ने अपने भाई यमराज की पूजा की और भाई के लिए भोजन पकाया। इससे यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। तब बहन यमुना ने कहा कि भाई, आप हर साल इसी दिन मेरे घर आया करो। बस तब से ही कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जानें लगा।
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Image Credit: Freepik
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