शास्त्रों के अनुसार गणेश भगवान को प्रथम पूजनीय बताया गया है। इसलिए किसी भी पूजा या किसी भी शुभ अवसर पर गणपति का पूजन सबसे पहले किया जाता है। मुख्य रूप से किसी भी महीने की चतुर्थी तिथि को गणपति का पूजन शुभ माना जाता है। लेकिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का पुराणों में विशेष महत्त्व बताया गया है। इस दिन से गणेशोत्सव का शुभारम्भ होता है और यह पूरे देश में 10 दिनों तक बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग घर में गणपति की स्थापना करते हैं और उन्हें 5, 7 या 10 दिनों तक घर में स्थापित करके धूमधाम से उनका विसर्जन कर देते हैं।
ऐसी मान्यता है कि घर में गणपति की स्थापना से वो घर के सभी विघ्नों का हरण कर लेते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मुख्य रूप से महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के त्योहार की 10 दिनों तक धूम रहती है। दूर-दूर से लोग गणपति पंडाल के दर्शन के लिए यहां आते हैं। आइए जानें इस साल कब मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी गणेश चतुर्थी , पूजा का शुभ मुहूर्त और गणपति पूजन और स्थापना की विधि।
क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी गणेश चतुर्थी
आरती दहिया जी बताती हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी सनातन हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से भारत के महाराष्ट्र राज्य से प्रचलित हुआ लेकिन धीरे-धीरे ये पूरे देश में प्रचलित हो गया और अब गणेश चतुर्थी के दिन से आरम्भ होने वाला गणपति उत्सव अब विश्व भर में घर -घर मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तक चलता है। इसके बाद चतुर्दशी को भगवान गणेश जी का विसर्जन बड़ी धूम-धाम से किया जाता है और कामना की जाती है कि हमारे समस्त कष्ट गणपति बप्पा हर लें।
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गणेश चतुर्थी तिथि और गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
- इस साल गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 10 सितंबर 2021 को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।
- इस दिन पूजा का और गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 11:03 से दोपहर 1 बजकर 33 मिनट तक है।
- गणपति स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त 2 घंटे 30 मिनट तक का रहेगा और इस मुहूर्त में गणपति की स्थापना शुभ लाभदायक होगी।
गणपति पूजन विधि
श्री गणेश जी की पूजा अपने आप में ही बहुत महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर किसी भी प्रकार की कामना पूर्ति के लिए की जाए। यही नहीं किसी संकट मे पड़े हुए दुखों से निवारण हेतु भी गणपति की पूजा करना लाभदायक माना जाता है। शास्त्रों में भी सर्वप्रथम गणपति बप्पा की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
- गणपति पूजन से पहले नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध आसन पर बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करें।
- पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, दूर्वा ,मोदक आदि एकत्रित करें।
- तदोपरांत गणेश जी को तिलक करें और दूर्वा चढ़ाएं फिर दीया प्रज्वलित करके गणपति बीज मंत्र “ॐ गं गणपतेय नमः” की एक माला का जाप करें।
- गणपति को पुष्प चढ़ाएं और मोदक का भोग लगाएं। गणपति को मोदक अत्यंत प्रिय है इसलिए मोदक चढ़ाने से गणपति अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
- यह विधि आपको पूर्ण अंतराल तक करनी अनिवार्य है ,विसर्जन उपरांत आप पूजा विधि को सामान्य रूप में निसंकोच परिवर्तित कर सकते है।
गणेश चतुर्थी में उपर्युक्त तरीकों से गणपति स्थापना एवं गणपति पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होगा और समस्त पापों से मुक्ति मिलेगी।
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