हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत का महत्व इसलिए भी ज्यादा होता है क्योंकि यह भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। हर महीने प्रदोष व्रत दो बार पड़ते हैं पहला शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और यह पूजा मुख्य रूप से प्रदोष काल में की जाती है। यदि भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, भगवान शिव की आराधना करते हैं और प्रदोष काल में विशेष पूजन-अर्चना करते हैं तो उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। फरवरी 2025 में भी दो प्रदोष व्रत पड़ेंगे, जिनका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी कष्टों का नाश होता है, धन-धान्य की वृद्धि होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो लोग जीवन में सुख-शांति और समृद्धि चाहते हैं, वे इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक रखते हैं। अगर आप भी इस व्रत जा पालन करते हैं तो आपको फरवरी में पड़ने वाले प्रदोष व्रतों की तिथियों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इनके बारे में विस्तार से।
फरवरी 2025 पहला प्रदोष व्रत कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। यह तिथि शुरुआत 9 फरवरी 2025, रविवार के दिन पड़ेगी और इसी दिन व्रत करना फलदायी होगा। रविवार के दिन पड़ने की वजह से इस व्रत को रवि प्रदोष कहा जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार, जो भी श्रद्धालु विधि पूर्वक इस व्रत को करता है, उसे सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। विशेष रूप से रविवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत स्वास्थ्य लाभ और दीर्घायु प्रदान करने वाला माना जाता है। इस दिन शिव भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और संध्या के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। यदि आप भी इस व्रत को रखना चाहते हैं, तो सही विधि और शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है।
फरवरी 2025 पहला प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ- 9 फरवरी, शाम 7 बजकर 25 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि का समापन- 10 फरवरी, शाम 8 बजकर 34 मिनट पर होगा।
चूंकि प्रदोष व्रत के दिन पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही की जाती है और प्रदोष काल 9 फरवरी को मिल रहा है, इसलिए फरवरी का पहला प्रदोष व्रत 9 फरवरी को ही रखा जाएगा।
यदि हम इस दिन की पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो पूजा आपको 9 फरवरी, शाम 7 बजकर 25 मिनट से लेकर 8 बजकर 42 मिनट के बीच करने की सलाह दी जाती है। आपको इस पूजा के लिए कुल 1 घंटे 17 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है, इसलिए इसी मुहूर्त में पूजा करें।
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फरवरी 2025 का दूसरा प्रदोष कब है?
फरवरी का दूसरा प्रदोष प्रदोष व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 फरवरी, मंगलवार को मनाया जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इस व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। ज्योतिष की मानें तो भौम प्रदोष व्रत का पालन करने से मंगल ग्रह से संबंधित दोषों का निवारण हो सकता है और जीवन में शक्ति, साहस और स्थिरता बनी रहती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो कर्ज, भूमि-संपत्ति से जुड़ी समस्याओं या स्वास्थ्य संबंधी कष्टों से जूझ रहे हैं। इस दिन भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ हनुमान जी की आराधना भी शुभ मानी जाती है। इस दौरान प्रदोष काल में शिव पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करते हैं तथा मंत्र जाप व रुद्राभिषेक करते हैं। इस पावन व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से समस्त कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
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फरवरी 2025 का दूसरा प्रदोष पूजा शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 25 फरवरी 2025, मंगलवार दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि का समापन- 26 फरवरी, 11 बजकर 8 मिनट पर।
हालांकि प्रदोष काल 25 फरवरी को ही मिलेगा, इसलिए इसी दिन प्रदोष का व्रत रखना शुभ होगा।
प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त 25 फरवरी, शाम 6 बजकर 18 मिनट से रात्रि 8 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दिन पूजा के लिए आपको कुल 2 घंटे 30 मिनट का समय मिलेगा।
प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?
प्रदोष व्रत का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत ज्यादा है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और यह शुक्ल और कृष्ण पक्ष दोनों में पड़ता है। प्रदोष व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए होता है और इस दिन शिव जी के दर्शन, शिवलिंग पर जल चढ़ाने और शिव मंत्रों का जाप करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है और यह जीवन में समृद्धि लाने वाला माना होता है। प्रदोष व्रत से भक्त शिव की कृपा प्राप्त करते हैं, जिससे जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। यह व्रत खासतौर पर मानसिक शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और गरीबी दूर करने का एक माध्यम माना जाता है।
इसके अलावा, यह व्रत भगवान शिव की शक्ति और भक्ति को जागृत करता है, जिससे व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है। यदि कोई प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है, मंगलवार को भौम प्रदोष, शनिवार को शनि प्रदोष कहा जाता है। शिव भक्तों के लिए यह व्रत उनकी आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी एक अहम साधना माना जाता है। इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है।
यदि आप भी प्रदोष व्रत करती हैं तो यहां फरवरी के व्रत की पूरी जानकारी ले सकती हैं और इसी शुभ मुहूर्त में व्रत का पालन कर सकती हैं। आपकी इस बारे में क्या राय है, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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