कौन कहता है कि कपड़ों की वजह से होता है रेप? इस 11 साल की बच्ची को देखकर तो नहीं लगता

राजकोट के सरकारी अस्पताल में 17 मार्च को एक 11 साल की बच्ची ने एक बच्ची को जन्म दिया। 

 yr old rape victim of rajkot main

मैं जब छोटी थी तो हमेशा फ्रॉक पहनती थी और ये आदत बड़ी तक रही। बाहर फ्रॉक पहनकर नहीं निकलती थी। लेकिन मुझे एक घटना बचपन की याद है। मेरे पड़ोस में एक दादा रहते थे जिनके यहां मैं टीवी देखने जाती थी। वो उस समय कुछ करते थे। कुछ हाथ-वाथ इधर-उधर डालते थे। मुझे उस समय समझ में नहीं आता था।

एक दिन अचानक से बड़े होकर टीवी में कुछ देख रही थी तो मुझे इस घटना की याद आई थी और अब मैं सोचती हूं कि वो दादा तो बदमाश थे। उन्होंने मेरे साथ गलत किया था। लेकिन ये हैरान करने वाली बात नहीं है।

मेरी बहन के साथ भी हुआ

क्योंकि इस बात को जब मैंने अपनी बहन के साथ शेयर किया तो मुझे पता चला कि वो दादा ने तो मेरी बहन के साथ भी ऐसा किया हुआ है। और दुख की बात है कि अब इस बारे में कुछ कर भी नहीं सकते।

आपको मैं यह भी बता देती हूं कि उस समय मैं दस साल की थी और मेरी बहन नौ साल की थी।

मतलब की नौ-दस साल की लड़की को भी लोग नहीं छोड़ रहे हैं। और यौन शोषण कर भी कौन रहे हैं... आपके दादा के उम्र के लोग।

जरा ये खबर पढ़ें।

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गुजरात में 11 साल की बच्ची बनी मां

ये खबर तीन दिन पहने गुजरात से आई थी। राजकोट के सरकारी अस्पताल में 17 मार्च को एक 11 साल की बच्ची ने एक बच्ची को जन्म दिया। यह खबर indian express में छपी थी। इस बच्ची का 6 आदमियों ने 8-9 महीनों तक रेप किया था।

8-9 महीनों तक रेप... वो भी बच्ची का।

ये है हमारा समाज।

तीन रेपिस्ट 60 साल से ज़्यादा

लेकिन इस हैरान करने वाली खबर से भी ज्यादा हैरान करने वाली खबर यह है कि इन 6 दरिंदों में तीन 60 साल से ज़्यादा उम्र के आदमी थे। फिलहाल इस बच्ची की हालत बहुत नाज़ुक है और उसका ज़िंदा बचना मुश्किल है।

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ऐसे में क्या कहा जाए? कहां जा रहा है अपना देश और कैसे बच्चे होंगे सुरक्षित?

इस बच्ची के खेलने की उम्र में रेप हुआ। वो भी एक-दो बार नहीं बार-बार हुआ। 8-9 महीनों तक लगातार वो भी 6 लोगों ने किया। इन 6 रेपिस्ट में तीन 60 साल से ज़्यादा उम्र के थे। जो कि किसी के दादा या नाना भी होंगे। ऐसे में वो अपने नाती-पोतों से कैसे नज़र मिलाएंगे।

कहां गए वे लोग जो लड़कियों के कपड़ों को बनाते थे मुद्दा

अब सोचने वाली बात तो यह है कि वे लोग अब कहां गए जो रेप होने पर लड़कियों के कपड़ों या उसके घर देर से आने को मुद्दा बनाते थे। और फिर बयानबाजी करते थे कि छोटे कपड़े पहनेंगे तो रेप होंगे ही।

छह महीने की बच्ची की रेप होता है। लेकिन कोई आवाज नहीं उठाता। पिछले दिनों खबर आई थी कि 2016 में एक लाख से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण हुआ था। अब बच्चे तो बच्चे होते हैं। उन्हें तो मालूम ही नहीं चलता कि उनके साथ क्या हो रहा है। अगर समझ आ भी रहा होगा तो वे आवाज उठाए कैसें? क्योंकि सुनने वाला तो कोई है ही नहीं। लेकिन रेप करने वाले बहुत लोग हैं।

तभी तो खबरों में नौ से दस रेप की घटनाएं पूरे दिन में होती ही हैं। तो आप भी इन खबरों को पढ़ते रहिए ... क्योंकि इससे ज्यादा आप कुछ नहीं कर सकते। इसे हमारे अतुल्नीय भारत की रीत समझिए।

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