Psychology tricks: होता है खुद पर संदेह, तो ऐसे बढ़ाएं सेल्फ कॉन्फिडेंस

अक्सर ऐसा होता है कि हमें किसी बात की जानकारी होने के बावजूद भी हम सेल्फ कॉन्फिडेंस मेंनटेन नहीं कर पाते हैं। हम में से कुछ लोगों में ऐसी हिचक रहती है, आइए कैसे बढ़ाएं अपनी कॉन्फिडेंस 

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हम सब अपनी कुछ आदतों और मन में चलने वाले कई तरह के विचारों को लेकर असहज होते हैं। कई बार इस कारण हम खुद को हीन यानी कमतर और गलत मानने लगते हैं। आपको भले पसंद न हों, पर ऐसी ही कुछ बातें आपको ज्यादा जागरूक, सहयोगी और मानवीय बनाए रखती हैं।

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क्या आप आसानी से रो पड़ते हैं?

आपको बता दें, दुनियाभर में प्रसिद्ध लेखक पोएलो कोएलो कहते हैं, 'आंसू वे शब्द हैं, जिन्हें लिखे जाने की जरूरत है।' हर किसी में रोने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का प्राकृतिक आवेग होता है। बहुत से लोग कमजोर या अपरिपक्व मान लिए जाने के डर से अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हैं। पर आंसू दिखाते हैं कि हम भीतर से भरे हुए है और अब खुद को हल्का करना चाहते हैं। आप संवेदनशील हैं। आहत हैं। आंसू कमजोरी नहीं हमारी ताकत को दिखाती हैं।

मनोविज्ञान की भाषा में इसे इम्पोस्टर सिंड्रोम कहते हैं। जब लगता है कि हम दूसरों की तुलना में कम कुशल हैं। हर नए काम से पहले हमें अपनी स्किल्स, समझ और फैसलों पर संदेह होने लगता है। लेखिका ब्रियाना वीस्ट कहती हैं, 'भले ही आत्म संदेह की अपनी इस आदत पर आपको झुंझलाहट होती है, पर सच है कि सफल लोगों में भी इंपोस्टर सिंड्रोम होता है। यह बताता है कि आप आत्म जागरूक हैं। अपनी कमियां जानते हैं। खुद को कुशल समझना अच्छी बात है, पर ज्यादा बढ़िया है कि आप यह भी जानते हैं कि आपको अभी कहां सुधार करना है। आपका यह गुण बड़े व अहम काम करते समय आपको जागरूक बनाए रखता है।

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खुद पर संदेह होने से क्या होते हैं नुकसान?

खुद पर संदेह होने से आपको कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। यह हमारे आत्मसम्मान को कम कर सकता है, हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और हमारे लक्ष्यों को हासिल करने की हमारी क्षमता को सीमित कर सकता है। खुद पर संदेह होने से सबसे ज्यादा खुद को ही नुकसान हो सकता है। क्योंकि इससे आपको किसी नए तरह का अवसर मिल सकता है।

  • जब हम खुद पर संदेह करते हैं, तो हम अपने बारे में अच्छी राय नहीं रखते हैं। इससे हमें अपने बारे में नकारात्मक भावनाएं महसूस हो सकती हैं, जैसे कि शर्म, गिल्ट और अयोग्यता। ये भावनाएं हमारे आत्मसम्मान को कम कर सकती हैं और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोक सकती हैं।
  • जब हम खुद पर संदेह करते हैं, तो हम अपने फैसलों में ज्यादा अनसर्टेन और इनसेक्योर होते हैं। इससे हम गलत फैसले लेने में ज्यादा उम्मीद रख सकते हैं, जो हमारे जीवन में निगेटिव रिजल्ट पैदा कर सकते हैं।
  • जब हम खुद पर संदेह करते हैं, तो हम अपने लक्ष्यों को हासिल करने में अधिक कठिनाई महसूस करते हैं। इसे हम टारगेट फिक्स करने से डरते हैं या हम अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भरपूर कोशिश नहीं कर पाते।

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खुद पर संदेह करने से बचने के लिए, हमें अपने विचारों और भावनाओं को पहचानना और स्वीकार करना चाहिए। हमें अपने आप को सकारात्मक संदेश देना चाहिए और अपने आप से प्यार करना चाहिए। हमें अपने टारगेट को फिक्स करना और उन टारगेट को हासिल करने के लिए वर्क प्लान बनाना चाहिए। हमें अपने दोस्तों, परिवार और डॉक्टरों से भी मदद लेनी चाहिए जब हमें जरूरत समझ आए तब।

आपको खुद पर संदेह करने से बचने के लिए क्या कर सकते हैं मदद?

  1. अपने आप को समय-समय पर सकारात्मक संदेश दें।
  2. अपने आप से कहें कि आप कीमती हैं और आपके पास ताकत और क्षमता है।
  3. अपने लिए समय निकालें और उन चीजों पर ध्यान दें जो आपको खुश करती हैं।
  4. अपने आप को उन चीजों के लिए अवार्ड भी करें जो आपने हासिल किया है।
  5. दूसरों के साथ जुड़ें और उनके समर्थन और प्रोत्साहित करने के फायदे उठाएं।
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सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाने से क्या होते हैं फायदे?

सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाने से कई तरह के फायदे हो सकते हैं। यह हमारे आत्मसम्मान को बढ़ा सकता है, हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, और हमारे लक्ष्यों को हासिल करने की हमारी क्षमता को बढ़ा सकता है।

  • जब हम अपने आप पर विश्वास करते हैं, तो हम अपने बारे में अच्छी राय रखते हैं। इससे हमें अपने बारे में सकारात्मक भावनाएं महसूस हो सकती हैं, जैसे कि गर्व, प्रसन्नता और खुशी। ये भावनाएं हमारे आत्म-सम्मान को बढ़ा सकती हैं और हमें अपने जीवन में अधिक सफल होने में मदद कर सकती हैं।
  • जब हम अपने आप पर विश्वास करते हैं, तो हम अपने निर्णयों में अधिक आत्मविश्वासी होते हैं। इससे हम ज्यादा जानकारी के हिसाब से निर्णय लेने की ज्यादा उम्मीद रख सकते हैं, जो हमारे जीवन में पॉजिटिव रिजल्ट दे सकते हैं।
  • जब हम अपने आप पर विश्वास करते हैं, तो हम अपने लक्ष्यों को हासिल करने में ज्यादा पॉजिटिव पर्सेप्शन रखते हैं। इससे हम कड़ी मेहनत करने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने की ज्यादा उम्मीद रखते हैं।

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