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durga puja sindur khela ritual by actress drashti dhami

एक्‍ट्रेस दृष्टि धामी खेल रही हैं सिंदूर की होली, आखिर क्‍या है ‘सिंदूर खेला’ का महत्‍व

सीरियल ‘बदलते रिश्‍ते’ में एक्‍ट्रेस द्रष्टि धामी भूमिका में हैं। सीरियल में उन्‍हें ‘सिंदूर खेला’ की रस्‍म निभाते दिखाया गया है। आखिर क्‍या है इस रस्‍म का महत्‍व। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-10-12, 12:58 IST

त्‍योहारों की खुशियों को दोगुना करने में टीवी सीरियल्‍स का बहुत बड़ा रोल होता  है। दिवाली हो या दशहरा या फिर दुर्गा पूजा टीवी सीरियल्‍स में हर त्‍योहार को ग्रैंड लेवल पर सेलिब्रेट किया जाता है और परंपराओं को दिखाया जाता है। ऐसा ही कुछ आजकल टीवी सीरियल बदलते रिश्‍ते में दिखाया जा रहा है। इस सीरियल में सिंदूर खेला की रस्‍म को बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया है। सीरियल में एक्‍ट्रेस द्रष्टि धामी और आदिति शर्मा मुख्‍य भूमिका में हैं। सीरियल में दोनों को ही ‘सिंदूर खेला’ की रस्‍म निभाते दिखाया गया है। 

durga puja sindur khela ritual by actress drashti dhami

क्‍या होता है सिंदूर खेला 

यह ए बंगाल रस्‍म है जो विजयदशमी यानी दशहरा वाले दिन बंगाली शादीशुदा महिलाएं निभाती हैं। इस रस्‍म में सभी महिलाएं बंगाल की पारंपरिक सफेद और लाल बॉर्डर वाली साड़ी पहनती हैं और उसके बाद देवी दुर्गा को सिंदूर चढ़ा कर सिंदूर से होली खेलती हैं। इस बारे में द्रष्टि धामी कहती हैं, ‘मैं बंगाली नही हूं मगर यह त्‍योहार मुझे बहुत पसंद है। सिंदूर खेला बेहद जोश के साथ बंगाली महिलाएं मनाती हैं। शूटिंग के दौरान जब हमें सिंदूर खेला की रस्‍म निभानी थी तो हम भी काफी एक्‍साइटेड थे। मैं अपनी स्‍टाइलिस्‍ट को भी थैंक्‍स कहना चाहती हूं। उन्‍होंने हमारे लिए बहुत ही खूबसूरत रेश्‍मी बंगाली साड़ी डिजाइन की, जिसे पहनने के बाद मुझे अपना लुक बहुत अच्‍छा लग रहा था।’

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क्‍यों निभाई जाती हैं यह रस्‍म 

ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 10 दिन के लिए आपने मायके आती हैं। इसलिए जगह-जगह उनके पंडाल सजते हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा और अराधना की जाती हैं और दशमी पर सिंदूर की होली खेल कर मां दुर्गा को विदा किया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि नवरात्री के दौरान मां दुर्गा अपने मायके आती हैं इसलिए जिस तरह लड़की अपने मायके जाती है तो उसकी सेवा की जाती है। उसी तरह मां दुर्गा की भी खूब सेवा की जाती है। दशमी के दिन मां दुर्गा के वापिस ससुराल लौटने का वक्‍त हो जाता है तो उन्‍हें खूब सजा कर और सिंदूर लगा कर विदा किया जाता है। इस दौरान बंगाली समाज की महिलाएं भी एक दूसरे को सींदूर लगा कर उनको लंबे सुहाग का आशिर्वाद देती हैं। वैसे तो सिंदूर खेला की रस्‍म केवल शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होती है मगर कुंवारी लड़कियां भी अब इस रस्‍म को निभाती हैं ताकि उन्‍हें अच्‍छा और मन चाहा वर मिल सके। 

 

सुहाग की लंबी आयु की कामनाओं का प्रतीक सिंदूर खेला की रस्‍म में फिल्‍हाल अब केवल बंगाली समाज की महिलाएं ही नहीं बल्कि कोई भी महिला हिस्‍सा ले सकती है। इस रस्‍म को निभाते वक्‍त पूरा माहोल उमंग और मस्ती से भर जाता है। इसके थोड़ी देर बाद मां को विर्सजित करने का वक्‍त आ जाता है और सभी नम आंखों से मां चोले छे ससुर बाड़ी अर्थात मां चली ससुराल गीत गाने लगते हैं और अगले वर्ष फिर उनके आने की कामना करते हुए प्रतिमा को विसर्जित कर देते हैं। 

 

 

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